रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 26 जनवरी का पंचांग 2025 का पंचांग,
रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,
26 जनवरी 2025 का पंचांग, 26 January 2025 ka Panchang,
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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।
रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
26 जनवरी 2024 का पंचांग, 26 January 2024 ka Panchang,
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भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – माघ माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन,
रविवार को सूर्य देव की होरा :-
प्रात: 7.12 AM से 8.06 AM तक
दोपहर 01.27 PM से 02.20 PM तक
रात्रि 20.07 PM से 9.14 PM तक
रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।
सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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सूर्य देव के मन्त्र :-
ॐ भास्कराय नमः।।
अथवा
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
- तिथि (Tithi) – द्वादशी 20.54 PM तक तत्पश्चात त्रियोदशी,
- तिथि के स्वामी :- द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी और त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है ।
- हिंदू पंचाग की बाहरवीं तिथि द्वादशी (Dwadashi) कहलाती है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि, श्री विष्णु जी है ।
- इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश, बल और साहस की प्राप्ति होती है।
- द्वादशी को श्री विष्णु जी की पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखो और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है।
- द्वादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यन्त श्रेयकर होता है। द्वादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
- भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का जन्म भी द्वादशी तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन विष्णु भगवान के पूजन से बुध ग्रह भी मजबूत होता है ।
- यदि द्वादशी तिथि सोमवार और शुक्रवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। द्वादशी यदि रविवार के दिन पड़ती है तो क्रकच योग बनाती है, यह अशुभ माना जाता है, इसमें भी शुभ कार्य करना मना किया गया हैं।
- लेकिन द्वादशी तिथि जब बुधवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है, ऐसे समय में किये गए कार्य कार्य सिद्ध होते है।
- द्वादशी तिथि में विष्टि करण होने के कारण इस तिथि को भद्रा तिथि भी कहते है।
- द्वादशी तिथि के दिन विवाह, तथा अन्य शुभ कार्य किये जाते है लेकिन इस तिथि में नए घर का निर्माण, ग्रह प्रवेश करना मना किया जाता है ।
- द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।
- द्वादशी की दिशा नैऋत्य मानी गई है इस दिन इस दिशा की ओर किए गए कार्य शुभ फल देने वाले माने जाते हैं।
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- नक्षत्र (Nakshatra) – ज्येष्ठा 8.26 AM तक तत्पश्चात मूल,
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है। ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’। ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।
देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है, ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने आयु से पूर्व ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाते हैं।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : निर्गुडी/चीड़ तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। ‘ज्येष्ठा’ नक्षत्र सितारे का लिंग मादा है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर मंगल और बुध दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।
इस नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत ही ऊंचाइयों पर जाते हैं। यह साहसी, दयालु, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले और समस्याओं को सुलझाने में माहिर होते है।
लेकिन यदि बुध और मंगल खराब हैं तो यह झूठे, धोखेबाज़, क्रोधी, जिद्दी, अल्प मित्र वाले होते है।
ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग सफ़ेद, भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार माना जाता है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का जाप, भगवान श्री विष्णु की उपासना करनी चाहिए, इससे बुध्दि और व्यापार के देवता बुद्ध ग्रह अनुकूल होते है ।
ज्येष्ठा नक्षत्र वाले दिन भगवान बुद्ध के मन्त्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। का जाप करने से भी ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ फल प्राप्त होते है ।
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- योग (Yog) – व्याघात 3.34 AM, 27 जनवरी तक
- योग के स्वामी :- व्याघात योग के स्वामी वायु देव एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
- प्रथम करण : – कौलव 8.48 AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – तैतिल 20.54 PM तक तत्पश्चात गर
- करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
- गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 07:12
- सूर्यास्त – सायं 17:56
आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय - विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । - द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना, मसूर का सेवन करना वर्जित है।
- द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है ।
- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।
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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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