मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 14 जनवरी 2025 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 14 जनवरी 2025 का पंचांग,

आप सभी को मकर संक्रांति के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

14 जनवरी 2025 का पंचांग, 14 January 2025 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – 
उत्तरायण
*ऋतु – शरद
 ऋतु
*मास –
 माघ माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन इस उपाय से समस्त मनोकामनाएँ होती है पूर्ण 

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 7.15 AM से 8.07 AM तक

दोपहर 01.22 PM से 2.15 PM तक

रात्रि 20.00 PM से 9.07 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

मकर संक्रांति के दिन इन उपायों को करने से खुल जायेंगे भाग्य के दरवाज़े, जानिए मकर संक्रांति के अचूक उपाय,

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

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तिथि :- प्रतिपदा 3.21 AM, बुधवार 15 जनवरी तक,

तिथि के स्वामी :- प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।

आज प्रतिपदा है । प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव हैं। प्रतिपदा को आनंद देने वाली कहा गया है।

अग्नि देव इस पृथ्वी पर साक्षात् देवता हैं, देवताओं में सर्वप्रथम अग्निदेव की उत्पत्ति हुई थी । ऋग्वेद का प्रथम मंत्र एवं प्रथम शब्द अग्निदेव की आराधना से ही प्रारम्भ होता है।

हिन्दू धर्म ग्रंथो में देवताओं में प्रथम स्थान अग्नि देव का ही दिया गया है। अग्नि देव सोने के भगवान के रूप में वर्णित है।

पुराणों में आठ दिशाओं के आठ रक्षक देवता हैं जिन्हें अष्ट-दिक‌्पाल कहते हैं। इनमें दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा के रक्षक अग्निदेव हैं। इसीलिए अग्निदेव की प्रतिमा मंदिर के दक्षिण-पूर्वी कोण में स्थापित होती है।

पौराणिक युग में अग्नि देव के ऊपर अग्नि पुराण नामक एक ग्रन्थ भी रचित हुआ। अग्निदेव सब देवताओं के मुख हैं और यज्ञ में इन्हीं के द्वारा देवताओं को समस्त यज्ञ-वस्तु प्राप्त होती है।

अग्निदेव में प्रेम पूर्वक ‘‘स्वाहा‘‘ कहकर दी हुई आहुतियों को अग्नि देव अपनी सातो जिह्वाओं से ग्रहण करते है, इससे तीनो देव ब्रह्मा – विष्णु – महेश तथा समस्त देव स्वत: ही तृप्त हो जाते है ।

अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा हैं जो कि दक्ष प्रजापति तथा आकूति की पुत्री थीं। अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र और पुत्र-पौत्रों की संख्या उनंचास है।

प्रतिपदा तिथि के दिन अग्नि देव के मन्त्र “ॐ अग्नये स्वाहा” का जाप अवश्य ही करें । शास्त्रों में अग्निदेव का बीजमन्त्र “रं” तथा मुख्य मन्त्र “रं वह्निचैतन्याय नम:” है।

शास्त्रों के अनुसार अग्नि देव की उपासना से धन, धान्य, यश, शक्ति, सुख – समृद्धि प्राप्त होती है, परिवारिक सुख मिलता है ।

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हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का महत्त्व बहुत अधिक बताया गया है । मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में बहुत ही उमंग व उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का विशेष विधान है।

भगवान सूर्य आज मंगलवार 14 जनवरी को मकर राशि में सुबह 9.03 बजे प्रवेश करेंगे। चूँकि सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि के अनुसार ही संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसलिए मकर संक्रांति मंगलवार 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

14 जनवरी को पूरे दिन ही मकर संक्रांति के पर्व का मान रहेगा। प्रात: से मध्याह्न तक का समय स्नान व दान, जप, तप, आदि के लिए विशेष पुण्य फलदायक रहेगा।

सूर्यदेव के 14 को उत्तरायण की राशि मकर में प्रवेश करने के साथ ही देवताओं के दिन और पितरों की रात्रि का शुभारंभ हो जाएगा।

इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। सूर्य देव का उत्तरायण होना बेहद शुभ माना जाता है, इसी लिए मकर संक्रांति का विशेष महत्व माना गया है।

भागवत पुराण के अनुसार इसी लिए भीष्म पितामह ने तीरो से अपने शरीर के बिंधे होने के बावजूद भी सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण अपनी देह का त्याग नहीं किया था और सूर्य के उत्तरायन होने पर ही पितामह भीष्म ने अपना देह त्याग किया था।

मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इस लिहाज से मकर संक्रांति Makar Sankranti पिता और पुत्र के मिलन का भी प्रतीक है।

मकर संक्रांति Makar Sankranti से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दिन से ही मौसम में गर्माहट भी बढ़नी शरू हो जाती है।

एक वर्ष में 12 संक्रांतियाँ होती है जिसमें छह संक्रांतियाँ उत्तरायण की और छह दक्षिणायन की कहलाती है।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति को सभी जातकों को चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष सूर्योदय से पूर्व अवश्य ही अपनी शय्या का त्याग कर के स्नान अवश्य ही करना चाहिए ।

देवी पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है। वह रोगी और निर्धन बना रहता है।

विष्णु धर्मसूत्र में कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन पितरों की आत्मा की शांति, स्वास्थ्यवर्द्धन तथा सबके कल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग अत्यंत पुण्यदायक एवं फल प्रदान करने वाले होते हैं।

मकर संक्रांति के दिन प्रात: स्नान से पहले तिल का उबटन लगाना,

  • जल में तिल डालकर उस तिल के जल से स्नान करना,
  • इस दिन भगवान सूर्य देव को जल में तिल ड़ालकर अर्घ्य देना, पितरो को जल में तिल अर्पण करना,
  • मकर संक्रांति के दिन स्नान, पूजा के बाद तिल का योग्य ब्राह्मण को दान करना,
  • इस दिन यज्ञ में घी मिश्रित तिल की आहुति देना, एवं
  • मकर संक्रांति के तिल तिल से बना भोजन करना अथवा तिल के पदार्थो का सेवन करना । इससे उस जातक और उसके परिवार पर पितरो और देवताओं दोनों का ही आशीर्वाद बना रहता है, पापो का नाश होता है, पुण्य संचय होता है, उसके पितृ स्वर्ग में वास करते है और अंत में वह जातक को भी मोक्ष प्राप्त होता है।

तिल का इस तरह से प्रयोग करने से भगवान सूर्य देव की कृपा मिलती है, समस्त पापो का नाश होता है, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।

इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना एवं गोरोचन का तिलक लगाना श्रेयकर है।

मकर संक्रांति के दिन गौ माता को तिल मिली हुई खिचड़ी खिलाने से शनि ग्रह और सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड़ और पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाने से भी भगवान सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

इस दिन खिचड़ी का सेवन अत्यंत शुभ माना जाता है । घर में खिचड़ी बना कर पहले घर के मंदिर में भगवान को भोग लगाएं फिर सभी सदस्यों के एक साथ प्रेम पूर्वक खाने से परिवार बढ़ता है ।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इस पुण्य का फल जन्म – जन्मान्तर तक मिलता रहता है ।

इस दिन कंबल, गर्म वस्त्र, घी, गुड़, नमक, दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी और तिल आदि का दान विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

इस दिन तिल के दान से आपकी कुंडली के कई दोष दूर होते है , विशेष रूप से कालसर्प योग, शनि की साढ़ेसाती और ढय्या, राहु-केतु के दोष दूर हो जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन गुड़ का दान करने से कुंडली में सूर्य देव बलवान होते है ।

मकर संक्रांति के दिन घी, और अनाज दान करने से भी बहुत पुण्य मिलता है।

मकर संक्रांति के दिन नमक का दान करने से समस्त अनिष्ट दूर होते है ।

  • नक्षत्र (Nakshatra) – पुनर्वसु 10.17 AM तक तत्पश्चात पुष्य नक्षत्र
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –       पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति (पृथ्वी देवी), बृहस्पति, एवं नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति जी है।

पुनर्वसु अर्थ पुन: शुभ या पुन: बसना होता है। पुनर्वसु नक्षत्र आकाश मंडल में  7वां नक्षत्र है ।
ज्योतिषशास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र को सबसे बड़ा और बहुत ही शुभ माना जाता है । यह मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम जी का जन्म नक्षत्र है। मान्यता है कि पुनर्वसु जातक के यहा केवल पुत्र ही होता है।

माना जाता है कि जिसका जन्म इस नक्षत्र में होता है, वे दूसरों की सेवा करने, भलाई करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं  । पुनर्वसु प्रत्येक कार्य के शुभारम्भ के लिए, नयी शुरुआत के लिए श्रेष्ठ होता है। 

पुनर्वसु नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बांस / बांबू और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है ।

इस नक्षत्र  में जन्मे जातक व्यव्हार कुशल, शांत, परोपकारी, धार्मिक,सुखी, दानी, न्यायप्रिय, लोकप्रिय, पुत्रवान होते हैं।

लेकिन यदि गुरु, बुध और चन्द्रमा शुभ ना जो तो ऐसा जातक कामुक, दब्बू,, बुद्धिहीन, कंजूस और थोड़े में ही संतुष्ट रहने वाला होता है।

इस नक्षत्र की स्त्रियां शांत लेकिन अकस्मात उग्र होने वाली, विलासी जीवन जीने वाली, कामुक, सौन्दर्यप्रेमी और आशावादी मानी जाती  है ।

पुनर्वसु नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार का माना जाता है ।

पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ आदित्याय नम:”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

मकर संक्रांति के दिन इस दान से खुल जायेगे सफलता के समस्त द्वार, जानिए क्या है मकर संक्रांति का सर्वश्रेष्ठ दान

नित्य गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

  • योग :- विष्वकंभ 2.59 AM, बुधवार 15 जनवरी तक
  • योग के स्वामी :-  विष्कम्भ योग के स्वामी यम एवं स्वभाव हानिकारक है ।
  • प्रथम करण : – बालव 15.54 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – कौलव 3.21 AM, बुधवार 15 जनवरी तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-      कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:15
  • सूर्यास्त – सायं 17:46
  • विशेष – प्रतिपदा के दिन कद्दू  /  पेठे का सेवन नहीं करना चाहिए, प्रतिपदा के दिन इनका सेवन करने से धन की हानि होती है । 
  • पर्व – त्यौहार- मकर संक्रांति

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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इस बार नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल 

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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