बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 29 जनवरी 2025 का पंचांग,

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 29 जनवरी 2025 का पंचांग,

आप सभी को अति पुण्यदायक मौनी अमावस्या की हार्दिक शुभकामनायें


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


29 जनवरी 2025 का पंचांग, ( Panchang ), 29 January 2025 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,


बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस उपाय से शरीर रहेगा निरोगी, शक्ति रहेगी भरपूर, बुढ़ापा पास भी नहीं आएगा, जानिए रोगनाशक दिव्य आहार,

* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – माघ माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 7.131 AM से 8.05 AM तक

दोपहर 01.28 PM से 2.22 PM तक

रात्रि 20.09 PM से 9.15 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

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  • तिथि (Tithi) – अमावस्या 18.05 PM तक तत्पश्चात प्रतिपदा,
  • तिथि के स्वामी – अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।

आज माघ माह की अमावस्या अति शुभ मौनी अमावस्या हैं। माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं ।

इस दिन स्नान से पूर्व मौन रहकर गंगा / यमुना / सरयू / गोदावरी किसी पवित्र नदी , जलाशय अथवा घर में जल में तिल और गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए ।

शास्त्रों के अनुसार माघ में पड़ने वाली मौनी अमावस्या के दिन पवित्र संगम तीर्थ में तैंतीस कोटी देवताओं का निवास होता है इसलिए माघ अमावस्या पर संगम में स्नान से अमृत स्नान का पुण्य मिलता है।

मौनी अमावस्या के दिन प्रातः गंगा नदी / पवित्र नदी या घर में जल में गंगा जल डाल कर स्नान करने से पितृदोष से, गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है, सभी तरह के संकटो एवं दुर्घटना से रक्षा होती है।

एक मान्यता ऐसी भी है कि इस दिन मनु ऋषि का भी जन्म हुआ था जिसके कारण भी इस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।

मौनी अमावस्या के दिन प्रात: जल में दूध, काले तिल, अक्षत और सफ़ेद पुष्प डाल कर पितरो का तर्पण करने से पितरो को स्वर्ग में स्थान मिलता है, पितरो का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है ।

इस दिन पितरो के निमित दान और घर पर ब्राह्मण भोजन से सभी मनोरथ निश्चय ही पूर्ण होते है ।

इस दिन किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक, भगवान शंकर की आरधना अवश्य ही करें ।

मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, घी, कम्बल, चावल, वस्त्रादि किसी गरीब ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान देने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन किसी भूखे को भोजन कराने से जो पुण्य मिलता है वह पुण्य जन्म जन्मांतर तक अक्षय होता है, अत: इस दिन किसी भूखे को भोजन अवश्य ही करवाएं या किसी गरीब असहाय की मदद अवश्य करें।

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नक्षत्र (Nakshatra) – उत्तराषाढ़ा 8.20 AM तक तत्पश्चात श्रवण,

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-            उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्‍वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र 21 वें नंबर का नक्षत्र  है। उत्तराषाढ़ा’ का अर्थ होता है अजेय, विजय के पश्चात। यह एक हाथी के दांत जैसा प्रतीत होता है।

उत्तराषाढ़ नक्षत्र तारे का लिंग स्त्री है। उत्तराषाढा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कटहल और नक्षत्र का स्वभाव स्थिर माना गया है ।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक पर सूर्य, शनि और गुरु का प्रभाव बना रहता है।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति एक सफल एवं स्वतंत्र व्यक्ति होते हैं। इन्हे ईश्वर में आस्था होती है, इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति प्रसन्न चित्त और मित्रो में लोकप्रिय होते है ।

विवाह के उपरान्त इनको जीवन में और अधिक सफलता प्राप्त होती है, इन्हे उत्तम पुत्र सुख मिलता है। यह घूमने फिरने के बहुत शौक़ीन होते है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 3 और 8, भाग्यशाली रंग, तांबे का रंग, हल्का भूरा,  भाग्यशाली दिन गुरुवार और शुक्रवार का माना जाता है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए । 

उत्तराषाढा नक्षत्र में  जन्मे जातको को नित्य गणेश संकट स्रोत्र का पाठ करना चाहिए इससे कार्यो में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है 

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  • योग (Yog) – सिद्धि 21.22 PM तक तत्पश्चात व्यातिपात
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  शूल योग के स्वामी सर्प एवं स्वभाव हानिकारक है ।
  • प्रथम करण : – नाग 18.05 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – किस्तुघ्न 5.10 AM गुरुवार 30 जनवरी तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-      किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 7.11 AM
  • सूर्यास्त – सायं 17.58 PM
  • विशेष – अमावस्या के दिन तुलसी के पत्ते, बिल्व पत्र या किसी भी तरफ के फूल पत्तो को बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए।
  • अमावस्या,  श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, तुलसी जी, किसी भी तरह के फूल पत्ती को तोड़ना, सहवास करना निषिद्ध है। 
  • मुहूर्त :-
  • पर्व त्यौहार- मौनी अमावस्या

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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