Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 29 नवंबर 2024 का पंचांग,
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 29 नवंबर 2024 का पंचांग,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
29 नवंबर 2024 का पंचांग, 29 November 2024 ka Panchang,
- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2081,
- * शक संवत – 1946,
*कलि संवत – 5126
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – मार्गशीर्ष माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
*कलि संवत – 5126
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – मार्गशीर्ष माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,
शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-
प्रात: 6.55 AM से 7.47 AM तक
दोपहर 01.01 PM से 1.54 PM तक
रात्रि 19.39 PM से 8.46 PM तक
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भैरव नाथ प्रकट हुए थे, जानिए भगवान भैरव नाथ के व्रत व पूजा का विशेष विधान
दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या
‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I
यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I
सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
शुक्र देव के मन्त्र :-
ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा
” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।
भैरव अष्टमी के दिन ऐसे करें भैरव नाथ को प्रसन्न समस्त भय और कष्ट होंगे दूर
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आज मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि है । पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष / अगहन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शुक्रवार 29 नवंबर को प्रात: 8.39 से शुरू होगी जो अगले दिन शनिवार 30 नवंबर को प्रात: 10.29 तक रहेगी ।
चूँकि शिवरात्रि में रात्रि का महत्त्व माना जाता है इसलिए मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि / मासिक शिवरात्रि शुक्रवार 29 नवंबर को ही मनाई जाएगी ।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है । यह दिन भगवान भोलनाथ जी को समर्पित है ।
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलनाथ जी की विधि पूर्वक पूजा आराधना की जाती है, इस दिन भगवान शंकर जी के साथ माता पार्वती जी की भी पूजा की जाती है ।
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान महादेव जी के शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करके उन्हें शमी पत्र, बेलपत्र, सफ़ेद पुष्प, सफ़ेद चन्दन, भस्म, शक्कर / मिश्री या सफ़ेद मिठाई चढ़ाकर धूप-दीप दिखाकर उनकी कपूर से आरती की जाती है ।
शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह की शिवरात्रि के दिन व्रत रखकर भगवान भोलनाथ जी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं उनपर अपनी असीम कृपा बनाते है ।
मासिक शिवरात्रि के पुण्य से भक्तो की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है, और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
नक्षत्र ( Nakshatra ) : स्वाति 10.18 AM तक तत्पश्चात विशाखा,
नक्षत्र के स्वामी :– स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है ।
स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है। स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं। स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से भी है।
स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।
स्वाति नक्षत्र के पानी का महत्व ज्यादा होता है। इसकी एक बूंद से पपैया पक्षी अपनी प्यास बुझा लेता है। केले के पत्ते पर जल की बूंद गिरने से कपूर बनता है। इसी जल की बूंद समुद्र में गिरने से मोती बनता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।
इस नक्षत्र में जन्मा जातक धार्मिक, लोकप्रिय, बुद्धिमान, चतुर, परिश्रमी, अनुशासित, आध्यात्मिक होता हैं, सामन्यता इन्हे भूमि, भवन और पूर्ण सुख मिलता है।
लेकिन यदि शुक्र ख़राब हो तो जातक क्रोधी, घमंडी, अति कामुक, मदिरा प्रेमी होता है उसको धन और स्त्री का सुख भी नहीं मिलता है ।
स्वाति नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री सुन्दर, मिलनसार, धार्मिक, दयालु, दूसरो को जल्द प्रभावित करने वाली होती हैं। इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।
स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को वायु देव के “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए, इससे जीवन में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
आज मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि है । पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष / अगहन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शुक्रवार 29 नवंबर को प्रात: 8.39 से शुरू होगी जो अगले दिन शनिवार 30 नवंबर को प्रात: 10.29 तक रहेगी ।
चूँकि शिवरात्रि में रात्रि का महत्त्व माना जाता है इसलिए मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि / मासिक शिवरात्रि शुक्रवार 29 नवंबर को ही मनाई जाएगी ।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है । यह दिन भगवान भोलनाथ जी को समर्पित है ।
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलनाथ जी की विधि पूर्वक पूजा आराधना की जाती है, इस दिन भगवान शंकर जी के साथ माता पार्वती जी की भी पूजा की जाती है ।
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान महादेव जी के शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करके उन्हें शमी पत्र, बेलपत्र, सफ़ेद पुष्प, सफ़ेद चन्दन, भस्म, शक्कर / मिश्री या सफ़ेद मिठाई चढ़ाकर धूप-दीप दिखाकर उनकी कपूर से आरती की जाती है ।
शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह की शिवरात्रि के दिन व्रत रखकर भगवान भोलनाथ जी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं उनपर अपनी असीम कृपा बनाते है ।
मासिक शिवरात्रि के पुण्य से भक्तो की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है, और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
नक्षत्र ( Nakshatra ) : स्वाति 10.18 AM तक तत्पश्चात विशाखा,
नक्षत्र के स्वामी :– स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है ।
स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है। स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं। स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से भी है।
स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।
स्वाति नक्षत्र के पानी का महत्व ज्यादा होता है। इसकी एक बूंद से पपैया पक्षी अपनी प्यास बुझा लेता है। केले के पत्ते पर जल की बूंद गिरने से कपूर बनता है। इसी जल की बूंद समुद्र में गिरने से मोती बनता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।
इस नक्षत्र में जन्मा जातक धार्मिक, लोकप्रिय, बुद्धिमान, चतुर, परिश्रमी, अनुशासित, आध्यात्मिक होता हैं, सामन्यता इन्हे भूमि, भवन और पूर्ण सुख मिलता है।
लेकिन यदि शुक्र ख़राब हो तो जातक क्रोधी, घमंडी, अति कामुक, मदिरा प्रेमी होता है उसको धन और स्त्री का सुख भी नहीं मिलता है ।
स्वाति नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री सुन्दर, मिलनसार, धार्मिक, दयालु, दूसरो को जल्द प्रभावित करने वाली होती हैं। इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।
स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को वायु देव के “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए, इससे जीवन में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
समस्त रोगों, कष्टों और विपत्तियों के अधिदेवता भैरव नाथ जी ने इस कारण काटा था ब्रह्मा जी का पांचवा सिर, अवश्य जानिए कैसे हुई भैरवनाथ जी की उत्पत्ति
योग(Yog) :- शोभन 16.34 PM तक तत्पश्चात अतिगण्ड ,
योग के स्वामी, स्वभाव :- शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
प्रथम करण : – वणिज 8.39 AM तक,
करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
द्वितीय करण :- विष्टि 21.38 PM तक तत्पश्चात शकुनि,
करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक ।
- सूर्योदय -प्रातः 06:55
- सूर्यास्त – सायं : 17:24
- विशेष – त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
- चतुर्दशी, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है ।
- पर्व त्यौहार- मासिक शिवरात्रि
योग(Yog) :- शोभन 16.34 PM तक तत्पश्चात अतिगण्ड ,
योग के स्वामी, स्वभाव :- शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
प्रथम करण : – वणिज 8.39 AM तक,
करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
द्वितीय करण :- विष्टि 21.38 PM तक तत्पश्चात शकुनि,
करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक ।
- सूर्योदय -प्रातः 06:55
- सूर्यास्त – सायं : 17:24
- विशेष – त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
- चतुर्दशी, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है ।
- पर्व त्यौहार- मासिक शिवरात्रि
जरुर पढ़ें :- पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा कहते है जानिए क्यों महत्वपूर्ण है पुष्य नक्षत्र,
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए अध्यात्म ज्योतिष परामर्श केंद्र रायपुर छत्तीसगढ़ के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।
अगर नित्य पंचाग पढ़ने से आपको लाभ मिल रहा है, आपका आत्मविश्वास बढ़ रहा है, आपका समय आपके अनुकूल हो रहा है तो आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार कोई भी सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए अध्यात्म ज्योतिष परामर्श केंद्र रायपुर छत्तीसगढ़ के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।
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