बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 27 नवम्बर 2024 का पंचांग,
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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)
27 नवम्बर 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 27 November 2024 ka Panchang,
गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।
बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।
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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – मार्गशीर्ष माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
बुधवार को बुध की होरा :-
प्रात: 6.53 AM से 7.46 AM तक
दोपहर 01.01 PM से 1.53 PM तक
रात्रि 19.39 PM से 8.46 PM तक
बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।
ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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बुध देव के मन्त्र
“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”
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- तिथि (Tithi) – द्वादशी 6.23 AM, 28 नवम्बर तक I
- तिथि के स्वामी – द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है ।
हिंदू पंचाग की बाहरवीं तिथि द्वादशी (Dwadashi) कहलाती है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि, श्री विष्णु जी है ।
इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश, बल और साहस की प्राप्ति होती है।
द्वादशी को श्री विष्णु जी की पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखो और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है।
द्वादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यन्त श्रेयकर होता है। द्वादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का जन्म भी द्वादशी तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन विष्णु भगवान के पूजन से बुध ग्रह भी मजबूत होता है ।
यदि द्वादशी तिथि सोमवार और शुक्रवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। द्वादशी यदि रविवार के दिन पड़ती है तो क्रकच योग बनाती है, यह अशुभ माना जाता है, इसमें भी शुभ कार्य करना मना किया गया हैं।
लेकिन द्वादशी तिथि जब बुधवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है, ऐसे समय में किये गए कार्य कार्य सिद्ध होते है।
द्वादशी तिथि में विष्टि करण होने के कारण इस तिथि को भद्रा तिथि भी कहते है।
द्वादशी तिथि के दिन विवाह, तथा अन्य शुभ कार्य किये जाते है लेकिन इस तिथि में नए घर का निर्माण, ग्रह प्रवेश करना मना किया जाता है ।
द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।
द्वादशी की दिशा नैऋत्य मानी गई है इस दिन इस दिशा की ओर किए गए कार्य शुभ फल देने वाले माने जाते हैं।
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नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।
चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्र देव जी है।
यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है। 27 नक्षत्रों में चित्रा नक्षत्र सबसे ज्यादा चमकने वाला नक्षत्र भी बताया जाता है ।
चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष बहुत मेहनती होते हैं। इसके बावजूद सफलता प्राप्त करने में इन्हें 32 साल की उम्र तक संघर्ष करना पड़ता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।
चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।
चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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- योग (Yog) – आयुष्मान 15.13 PM तक
- योग के स्वामी, स्वभाव :- आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
- प्रथम करण : – कौलव 17.07 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – तैतिल 6.23 AM, 28 नवम्बर तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
- गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 10:30 से 12 बजे तक ।
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- दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।
इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 6.54 AM
- सूर्यास्त – सायं 17.24 PM
- विशेष – द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना, मसूर का सेवन करना वर्जित है ।
- द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है।
- मुहूर्त :-
- पर्व त्यौहार-
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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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