मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 29 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 29 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

आप सभी को धनतेरस के पर्व, भगवान धन्वन्तरि और कुबेर देव जी की आराधना के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

29 अक्टूबर 2024 का पंचांग, 29 October 2024 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – 
दक्षिणायन
*ऋतु – शरद
 ऋतु
*मास –
 कार्तिक माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

छोटी दीपावली पर अवश्य ही करे ये उपाय, पूरे वर्ष होती रहेगी धन की वर्षा

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.26 AM से 7.23 AM तक

दोपहर 01.01 PM से 1.58 PM तक

रात्रि 19.51 PM से 8.54 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

दीपावली के दिन इस तरह से करें पूजा, मां लक्ष्मी, गणेश जी की मिलेगी असीम कृपा, अवश्य जानिए दीपावली की आसान पूजन विधि

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

जरूर पढ़े :-  करना है शनि देव को प्रसन्न तो शनिवार के दिन अवश्य करें ये उपाय,

पितृ पक्ष के अंतिम दिन, सर्व पितृ दोष अमावस्या के दिन पितरो की कृपा प्राप्त करने के लिए अवश्य ही करे ये उपाय.

तिथि :- द्वादशी 10.31 AM तक तत्पश्चात त्रियोदशी

तिथि के स्वामी :- द्वादशी तिथि के स्वामी भग्वान श्री विष्णु जी और त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है।

हिंदू पंचाग की बाहरवीं तिथि द्वादशी (Dwadashi) कहलाती है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि, श्री विष्णु जी है ।

इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश, बल और साहस की प्राप्ति होती है।

द्वादशी को श्री विष्णु जी की पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखो और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है।

द्वादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यन्त श्रेयकर होता है। द्वादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का जन्म भी द्वादशी तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन विष्णु भगवान के पूजन से बुध ग्रह भी मजबूत होता है ।

द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।

नवरात्री में माँ दुर्गा की स्वरूप कन्याओं की इस तरह से करें पूजा, अवश्य जानिए नवरात्री में कन्या पूजन की सही विधि 

अवश्य जानिए, यह भी जानिए :-  पेट के दर्द करना हो छूमंतर तो तुरंत करें ये उपाय ,

अवश्य पढ़ें :- चाहिए परिवार में सुख-समृद्धि, प्रेम और आरोग्य तो ऐसा होना चाहिए किचन का वास्तु, जानिए किचन के वास्तु टिप्स,

अवश्य जानें कैसे हुआ गणेश जी का अवतरण, कैसे गणेश जी का सर हाथी के सर में बदल गया, कैसे गणपति जी कहलाएं भगवान गजानन

दीपोत्सव के 5 दिवसीय पर्व दीपावली की 5 पर्वो की शुरुआत धनतेरस से होती है, इसके बाद क्रमशः नरक चतुर्दशी – दीपावली – गोवर्धन पूजा और भाई दूज के पर्व के साथ इन पर्वो का समापन हो जाता है ।

धनतेरस दीपावली के पर्वो का प्रथम पर्व है इस दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है, धन्वंतरि जी आरोग्य और आयुर्वेद के देवता माने गए हैं। ऐसी मान्यता है कि धन्वंतरि जी समुद्र मंथन से अमृत कलश और पवित्र आयुर्वेदिक ग्रंथ को साथ लेकर निकले थे ।

धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी जी जो स्वयं समुद्र मंथन में हाथ में स्वर्ण कलश लेकर निकली थी की पूजा करने का विशेष विधान है, इनके साथ ही देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर जी और वैधराज भगवान धन्वंतरि जी की भी पूजा की जाती है ।

इस दिन शुभ मुहूर्त प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी माता , कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है । मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में इनकी पूजा करने से करने से घर में स्थिर लक्ष्मी का आगमन होता है, जीवन सुखमय होता है ।

धन तेरस अर्थात धन + तेरस ( तेरहँवा ) मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी भी अवश्य करनी चाहिए, ऐसा करने से संपत्ति में 13 गुना बढ़ोतरी होती है, पूरे वर्ष धन लाभ होता है ।

धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है, लाभ में निश्चित ही 3 गुना अधिक लाभ प्राप्त होता है ।

धनतेरस पर खुद को हर संभावित बुरे अपशकुन से बचाने के लिए पीली धातु जैसे पीतल या सोना लाने की परंपरा हैं जिससे घर में आरोग्य और सुख – समृद्धि का वास होता है ।

धातु से बने बर्तन, सामान और गहने खरीदने के लिए धनतेरस का दिन वर्ष का सबसे दिन श्रेष्ठ दिन माना गया है । इस दिन घर में धातु का सामान लाने से घर कारोबार में सदैव स्थिर लक्ष्मी का वास रहता हैं।

धनतेरस के दिन घर के बाहर यम के निमित दक्षिण दिशा में एक चौमुखा दीपक भी जलाना चाहिए , मान्यता है कि ऐसा करने से घर के सदस्यों की अकाल मृत्यु नहीं होती है ।

धनतेरस में गणेश – लक्ष्मी जी, कुबेर देव जी और भगवान धन्वन्तरि जी की पूजा सांय काल प्रदोष काल में की जाती है । 29 अक्टूबर धनतेरस के दिन शाम में 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक का समय पूजन के लिए बहुत ही शुभ है ।

  • नक्षत्र (Nakshatra) – आद्रा 5.38 AM, 23 अक्टूबर तक
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –  आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव) और नक्षत्र के स्वामी राहु जी है । ।

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आद्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आर्द्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातको पर राहु का प्रभाव रहता है अत: इन्हे राहु का उपाय अवश्य करना चाहिए । इन्हे अनैतिक कार्यो से सदैव दूर रहना चाहिए अन्यथा इन्हे अपमान अपयश का सामना करना पड़ सकता है ।

आर्द्रा नक्षत्र के पुरुष हंसमुख, जिम्मेदार, आकर्षक व्यक्तित्व वाले, नए नए खोजो वाले लेकिन चालाक और अपना काम निकलने वाले होते है। लेकिन यदि बुध और रा‍हु खराब हो तो जातक घमंडी, बुरे विचारों वाले, पराई स्त्री में आसक्त रहने वाले, दुखी स्वाभाव वाले भी होते हैं।

आर्द्रा नक्षत्र में पैदा हुई महिला बुद्विमान, व्यवहार कुशल और शांतिप्रिय होती हैं। यह खूब खर्चा करने वाली, लेकिन हमेशा मीन मेख निकालने वाली भी होती है।

समान्यता इनके माता-पिता में बहुत ही अनबन रहती है, अर्थात इन्हे घर में कलह देखना पड़ता है।

आर्द्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 4, 7 और 9, भाग्यशाली रंग, लाल और बैंगनी,  भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

आद्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन आर्द्रा नक्षत्र हो उस दिन ॐ रुद्राय नम: मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे आर्द्रा नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।  

आर्द्रा नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभदायक होता है।  भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए. सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। 

 अवश्य जानिए पितृ पक्ष में पित्तरों के निमित जो भी वस्तुएं उन्हे अर्पित की जाती है वह उन्हें उनकी योनि के हिसाब से किस रूप में प्राप्त होती है

नित्य गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

  • योग :- परिध 8.46 AM तक तत्पश्चात शिव
  • योग के स्वामी :- परिध योग की स्वामी विश्वकर्मा जी एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – गर 1.52 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – वणिज 1.28 AM, 23 अक्टूबर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:26
  • सूर्यास्त – सायं 17:44
  • विशेष –  षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, दातुन करना या किसी भी तरह से  नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । इस दिन नीम का सेवन करने से नीच योनि की प्राप्ति होती है।
  • पर्व – त्यौहार-

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

29 अक्टूबर 2024 का पंचांग, 29 October 2024 ka panchang, mangalwar ka panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang,mangalwar ka rahu kaal, mangalwar ka shubh panchang, panchang, tuesday ka panchang, tuesday ka rahu kaal, आज का पंचांग, मंगलवार का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, ट्यूसडे का पंचांग, ट्यूसडे का राहुकाल, पंचांग, मंगलवार का राहु काल, मंगलवार का शुभ पंचांग,

इस बार नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल 

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..
धन्यवाद ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 7 नवम्बर 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 7 नवम्बर 2024 का पंचांग, गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 7 November 2024 Ka Panchang, बृहस्पतिव...