Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 3 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 3 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

आप सभी को शरद नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ, जय माँ शैलपुत्री

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 3 October 2024 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

3 अक्टूबर 2024 का पंचांग, 3 October 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 3 October 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

पितृ पक्ष में तिथिनुसार इस तरह से पितरो के निमित घर पर कराएं  ब्राह्मण भोजन, पूरे वर्ष पितरो का मिलेगा आशीर्वाद, 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – शरद ऋतु,
    * मास – अश्विन माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.15 AM से 7.14 AM तक

दोपहर 01.08 PM से 2.07 PM तक

रात्रि 20.06 PM से 9.07 PM तक

यह है नवरात्री में कलश स्थापना का सर्वोत्तम मुहूर्त, इस समय घर पर कलश की स्थापना तो माँ दुर्गा की मिलेगी असीम कृपा

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

अवश्य पढ़ें :- जानिए कैसा हो खिड़कियों का वास्तु , जिससे जिससे वहाँ के निवासियों को मिले श्रेष्ठ लाभ

  • तिथि (Tithi) :- प्रतिपदा 2.58 AM, 4 अक्टूबर तक
  • तिथि का स्वामी – प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।

आज से शरद नवरात्री प्रारम्भ हो रहे है । नवरात्री के पहले दिन माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में माँ दुर्गा का पहला स्वरूप हैं । पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा ।

नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है । मां शैलपूत्री सौभाग्‍य का प्रतीक मानी गयी हैं।

माँ शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। देवी का वाहन बैल है । मां शैलपुत्री के मस्तक पर अर्ध चंद्र विराजित है । माता शैलपुत्री मूलाधार चक्र की देवी मानी जाती हैं ।

अपने पूर्व जन्म में ये सती के रूप में प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं, उस जन्म में सती माता का विवाह भगवान शंकर जी से हुआ था ।

पूर्वजन्म की भाँति इस जन्म में भी ‘शैलपुत्री’ देवी का विवाह भी शंकरजी से ही हुआ। अर्थात इस जन्म में भी वे शिवजी की ही अर्द्धांगिनी बनीं ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां शैलपुत्री चंद्रमा के दोष को दूर करती हैं । जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, उन्हें माता के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करनी चाहिए।

आज माता के दिव्य मन्त्र – ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। की एक माला का जप अवश्य ही करना चाहिए ।

पहला नवरात्र के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी भोग लगाने चाहिए, इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है ।

इस बार नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल 

  • नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त 15.32 PM तक तत्पश्चात चित्रा नक्षत्र
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –        हस्त नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव जी एवं राशि के स्वामी बुध देव जी है ।

आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है, इसमें सकारात्मक ऊर्जा मानी जाती है ।  

यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मा जातक शांत, दयालु, आकर्षक और वफादार होते हैं। यह एक अवसर तलाशने वाले, बुद्धिमान, मिलनसार, शांत और विनम्र स्वभाव के होते हैं ।

यदि चन्द्र और बुध की जन्म कुंडली में स्थिति खराब हो तो जातक दब्बू, डरपोक, शीघ्र क्रोध करने वाला,अनैतिक कार्यो में लिप्त रहने वाला शराब का लती भी हो सकता है ।

इन नक्षत्र के लोगो का 30 से 42 वर्ष की आयु के बीच का समय सबसे भाग्यशाली होता है।

हस्त नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, आकर्षक, मिलनसार बड़ो का सम्मान करने वाली होती हैं।  किसी के भी अधीन रहना इनको पसंद नहीं होता है, समान्यता इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5,  भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन  सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

नवरात्री में माँ को प्रत्येक दिन इन खाद्य पदार्थों  का लगाएं भोग माँ  की मिलेगी असीम कृपा, जानिए नवरात्री में माता के प्रत्येक दिन के भोग

यदि राशिनुसार सूर्य ग्रहण के उपाय तो भाग्य होगा मजबूत, सारे संकट – कष्ट होंगे दूर, जानिए राशिनुसार सूर्य ग्रहण के अचूक उपाय,



कैसा भी सिर दर्द हो उसे करें तुरंत छूमंतर, जानिए सिर दर्द के अचूक उपा

योग :- इंद्र 4.24 AM. 4 अक्टूबर तक

योग के स्वामी, स्वभाव :- परिध योग की स्वामी विश्वकर्मा जी एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।

प्रथम करण :- किस्तुघ्न 13.38 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।

द्वितीय करण :- बव 2.58 AM, 4 अक्टूबर तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:15
  • सूर्यास्त – सायं 18:04
  • विशेष – प्रतिपदा के दिन कद्दू  /  पेठे का सेवन नहीं करना चाहिए, प्रतिपदा के दिन इनका सेवन करने से धन की हानि होती है ।
  • पर्व त्यौहार– शरद नवरात्री प्रारम्भ, नवरात्री का पहला दिन ।
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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