सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 2 सितम्बर 2024 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 2 सितम्बर 2024 का पंचांग, 2 September 2024 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

2 सितम्बर 2024 का पंचांग, 2 September 2024 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – भाद्रपद माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 5.59 AM से 7.03 AM तक

दोपहर 01.23 PM से 2.27 PM तक

रात्रि 8.34 PM से 9.30 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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  • तिथि (Tithi) – अमावस्या पूरी रात्रि तक
  • तिथि का स्वामी – अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी है ।
  • आज अति पुण्यदायक भाद्रपद माह की अमावस्या, सोमवती अमावस्या है । अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है।
  • पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है। इस दिन प्रात: काल पीपल की सेवा करने, पीपल को दूध, काले तिल मिश्रित मीठे जल से सींचने, “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करते हुए पीपल की परिक्रमा करने से सहस्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है।
  • शास्त्रों के अनुसार में पीपल की छाया से, स्पर्श करने से और प्रदक्षिणा करने से समस्त पापों का नाश, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति और आयु में वृद्धि होती है ।
  • सोमवती अमावस्या के दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल की 108 बार परिक्रमा करने, सोमवती अमावस्या की कथा पढ़ने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
  • मान्यता है की इस दिन जो स्त्री तुलसी जी व माता पार्वती पर सिन्दूर चढ़ाकर उसे अपनी माँग में लगाती है वह अखण्ड सौभाग्यवती बनी रहती है ।
  • जिन जातकों की जन्मपत्रिका में घातक कालसर्प दोष है, वे लोग यदि सोमवती अमवस्या पर चांदी के बने नाग-नागिन की विधिवत पूजा करके उन्हे शिवलिंग पर चढ़ाएं अथवा नदीं में प्रवाहित कर दें तो उन्हें निश्चित ही काल सर्प दोष में राहत मिलती है ।
  • अमावस्या तिथि को पितरों के तर्पण, दान के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है । इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर अपने पितरों की शांति के लिए उनका तर्पण करते हैं ।
  • आज पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।
  • अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।
  • हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।
  • इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
  • अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
  • हिन्दु धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को बहुत प्रमुख माना जाता है तंत्र शास्त्र के अनुसार, किसी भी सिद्धि प्राप्ति या मनोकामना पूर्ति के लिए चार रात्रियां सर्वश्रेष्ठ हैं ।
  • जीवन में समस्त संकटो को दूर करने, सफलता का द्वार खोलने के लिए नवरात्री के मंगलवार को अवश्य ही करें ये उपाय

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सोमवती अमावस्या के दिन इस उपाय को करने से समस्त जन्मो के पापो का होता है नाश, जानिए सोमवती अमावस्या के उपाय

नक्षत्र (Nakshatra) – मघा 00.21, अगले दिन 3 सितम्बर तक, तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी

  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  मघा नक्षत्र के देवता पितर देव और नक्षत्र स्वामी केतु जी है ।

 मघा का अर्थ होता है महान। मघा नक्षत्र का आकाश में 10वां स्थान है। मघा नक्षत्र के चारों चरण सिंह राशि में हीआते हैं।  

मघा नक्षत्र को सिंहासन द्वारा दर्शाया गया है जो शक्ति, उच्च प्रतिष्ठा, गुणों का प्रतीक है। मघा नक्षत्र के जातको पर जीवन भर केतु और सूर्य का प्रभाव रहता है।  

मघा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बरगद एवं नक्षत्र का स्वभाव उग्र, क्रूर माना गया है।

मघा नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिमान, स्पष्टवादी, दयालु, भरोसेमंद, साहसी, धीरे बोलने वाले, बड़ो का सम्मान करने वाले और अपनी स्त्री के वश में रहने वाले होते है। इन्हे भूमि, भवन और माता का पूर्ण सुख मिलता है।

लेकिन यदि चन्द्रमा, केतु और सूर्य खराब स्थिति में हैं तो जातक क्रोधी, शक्की, भावुक, बहुत अधिक चिंता करने वाला होता है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्रियाँ मददगार, परोपकारी, विलासी जीवन पर खर्च करने वाली लेकिन विवादों में शामिल होने वाली जल्द ही आवेश में आ जाने वाली होती है ।

मघा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 7 और 10, भाग्यशाली रंग, क्रीम, लाल , भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार का माना जाता है ।

मघा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पितृभ्यो नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

मघा नक्षत्र के जातको को हर अमावस्या को पितरो के निमित ब्राह्मण भोजन और दान पुण्य करना चाहिए इससे पितरो के आशीर्वाद से जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है ।

इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और माँ काली की आराधना भी श्रेष्ठ फलदाई कही गयी है ।

मघा नक्षत्र का पेड़ बरगद है, अतः मघा नक्षत्र में बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इस नक्षत्र के जातको को बरगद के पेड़ के एक पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसे अपने घर के मंदिर में रखकर अगले दिन उस पत्ते को बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए ।

सोमवती अमावस्या के दिन इस कथा को पढ़ने सुनने से मिलता है अक्षय पुण्य, पितरो की मिलती है असीम कृपा, अवश्य पढ़ें सोमवती अमावस्या की कथा

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – शिव 18.19 तक तत्पश्चात सिद्ध
  • योग के स्वामी :-    शिव योग के स्वामी मित्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – चतुष्पाद 06.19 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है ।

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  • द्वितीय करण : – किस्तुघ्न 20.36 PM तक तत्पश्चात नाग,
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – अमावस्या,  श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, तुलसी जी, किसी भी तरह के फूल पत्ती को तोड़ना, सहवास करना निषिद्ध है ।
  • पर्व त्यौहार- सोमवती अमावस्या
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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