Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 29 अगस्त 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 29 अगस्त 2024 का पंचांग,

आप सभी को अजा एकादशी की हार्दिक शुभकामनायें

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 29 August 2024 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

29 अगस्त 2024 का पंचांग, 29 August 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 29 August 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है, 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – भाद्रपद माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 5.57 AM से 7.01 AM तक

दोपहर 01.25 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.37 PM से 9.33 PM तक

जीवन में स्थाई परिवारिक सुख, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य ही करें ,जानिए पूर्णिमा के अचूक उपाय

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

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  • तिथि (Tithi) :- अजा एकादशी 01.40 30 अगस्त तक
  • तिथि का स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी है ।

आज अति पुण्यदायक अजा एकादशी है । जन्माष्टमी के 4 दिन बाद पड़ने वाली इस एकादशी को मोक्ष दायनी एकादशी भी कहते है ।

मान्यता है कि इस एकादशी का ब्रत रखने से मनुष्य को जीवन के सभी सुख मिलते है, पापो का नाश होता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है । शास्त्रों के अनुसार अजा एकादशी का ब्रत रखने से अश्वमेघ यज्ञ के फल के समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है ।

गुरुवार और सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ने के कारण इस एकादशी का महत्त्व और भी अधिक बड़ गया है ।

अजा एकादशी के व्रत का पारण शुक्रवार 30 अगस्त को किया जायेगा । ब्रत का पारण शुक्रवार को सुबह 7:49 बजे से 8:31 बजे करना चाहिए ।

शास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि भगवान श्री विष्णु जी को अति प्रिय है । एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी / श्री कृष्ण जी की आराधना की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार एकादशी का ब्रत रखने वाला जातक भगवान विष्णु जी को बहुत प्रिय होता है ।

एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय अथवा ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। का आशिक से अधिक जाप करना चाहिए ।

एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।

एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।

एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है ।

एकादशी के दिन क्रोध – हिंसा करने, मैथुन करने, किसी को धोखा देने से घोर पाप का भागी होना पड़ता है, इसलिए इस दिन कोई भी अशुभ, पाप के काम नहीं करने चाहिए ।

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – आद्रा 16.40 PM तक तत्पश्चात पुनर्वसु
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –      आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव) और नक्षत्र के स्वामी राहु जी है ।

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आद्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आर्द्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातको पर राहु का प्रभाव रहता है अत: इन्हे राहु का उपाय अवश्य करना चाहिए । इन्हे अनैतिक कार्यो से सदैव दूर रहना चाहिए अन्यथा इन्हे अपमान अपयश का सामना करना पड़ सकता है ।

आर्द्रा नक्षत्र के पुरुष हंसमुख, जिम्मेदार, आकर्षक व्यक्तित्व वाले, नए नए खोजो वाले लेकिन चालाक और अपना काम निकलने वाले होते है। लेकिन यदि बुध और रा‍हु खराब हो तो जातक घमंडी, बुरे विचारों वाले, पराई स्त्री में आसक्त रहने वाले, दुखी स्वाभाव वाले भी होते हैं।

आर्द्रा नक्षत्र में पैदा हुई महिला बुद्विमान, व्यवहार कुशल और शांतिप्रिय होती हैं। यह खूब खर्चा करने वाली, लेकिन हमेशा मीन मेख निकालने वाली भी होती है।

समान्यता इनके माता-पिता में बहुत ही अनबन रहती है, अर्थात इन्हे घर में कलह देखना पड़ता है।

आर्द्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 4, 7 और 9, भाग्यशाली रंग, लाल और बैंगनी,  भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

आद्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन आर्द्रा नक्षत्र हो उस दिन ॐ रुद्राय नम: मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे आर्द्रा नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।  

आर्द्रा नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभदायक होता है।  भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए. सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। 

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योग :- सिद्धि 18.16 PM तक तत्पश्चात व्यातिपात

योग के स्वामी, स्वभाव :- सिद्धि योग के स्वामी भगवान गणेश जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।

प्रथम करण :- बव 13.27 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण :- बालव 01.40 AM, 30 अगस्त तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:57
  • सूर्यास्त – सायं 18:45
  • विशेष – एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  •  एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
  • पर्व त्यौहार– अजा एकादशी
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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