Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 15 अगस्त 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 15 अगस्त 2024 का पंचांग,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 15 August 2024 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

15 अगस्त 2024 का पंचांग, 15 August 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 15 August 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है, 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – श्रावण माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 5.50 AM से 6.56 AM तक

दोपहर 01.31 PM से 2.36 PM तक

रात्रि 20.48 PM से 9.42 PM तक

जीवन में स्थाई परिवारिक सुख, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य ही करें ,जानिए पूर्णिमा के अचूक उपाय

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

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  • तिथि (Tithi) :- दशमी 10.28 AM तक तत्पश्चात एकादशी
  • तिथि का स्वामी – दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी और एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विश्वदेव जी है ।

दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है।  शास्त्रों के अनुसार यमराज जी मृत्यु के देवता कहे गए हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार यमराज के महल को कालित्री महल कहते हैं और उनके सिंहासन को विचार-भू कहते हैं।

पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि यमलोक पृथ्वी से 86,000 योजन यानी करीब 12 लाख किलोमीटर दूर है।

गरुड़ पुराण में यमलोक में चार द्वार बताए गए हैं। पूर्वी द्वारा से प्रवेश सिर्फ धर्मात्मा और पुण्यात्माओं को मिलता है जबकि दक्षिण द्वार से पापियों का प्रवेश होता है जिसे यमलोक में यातनाएं भुगतनी पड़ती है।

साधु-संतों को उत्तर दरवाजे से और दान पुण्य करने वाले मनुष्यों को पश्चिम द्वार से प्रवेश मिलता है।

यमराज जी भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र है, यमुना अर्थात (यमी)  इनकी जुड़वां बहन और मनु इनके भाई कहे गए है।

यमराज की पत्नी  का नाम देवी धुमोरना तथा इनके पुत्र का नाम कतिला है।

यमराज जी का वाहन महिष / भैंसे को माना गया हैं। वे समस्त जीवों के शुभ अशुभ कर्मों का निर्णय करते हैं।

इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है,  नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है।

मथुरा में स्थित यमराज और उनकी बहन यमुना जी का एक प्राचीन मंदिर है  उस मंदिर को यमुना धर्मराज मंदिर कहते है। देश में भाई-बहन का ये एकमात्र मंदिर है।

मान्यता है कि, भाई बहन इस मंदिर में भैया दूज के दिन एक साथ स्नान करते हैं। इससे उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

 इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है ।

दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है। इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है।  

यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।  

दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए।    

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – ज्येष्ठा 12.53 PM तक तत्पश्चात मूल
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –     ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है।  ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’। ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।

देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है, ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने आयु से पूर्व ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाते हैं।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : निर्गुडी/चीड़ तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। ‘ज्येष्ठा’ नक्षत्र सितारे का लिंग मादा है।  इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर मंगल और बुध दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत ही ऊंचाइयों पर जाते हैं। यह साहसी, दयालु, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले और समस्याओं को सुलझाने में माहिर होते है।

लेकिन यदि बुध और मंगल खराब हैं तो यह झूठे, धोखेबाज़, क्रोधी, जिद्दी, अल्प मित्र वाले होते  है।

ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8,  भाग्यशाली रंग सफ़ेद,  भाग्यशाली दिन  शनिवार और मंगलवार माना जाता है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का जाप, भगवान श्री विष्णु की उपासना करनी चाहिए, इससे बुध्दि और व्यापार के देवता बुद्ध ग्रह अनुकूल होते है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र वाले दिन भगवान बुद्ध के मन्त्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। का जाप करने से भी ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ फल प्राप्त होते है ।

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योग :- वैधृति 14.58 PM तक तत्पश्चात विष्कुम्भ

योग के स्वामी, स्वभाव :- वैधृति योग के स्वामी दिति और स्वभाव हानिकारक है ।

प्रथम करण :- गर 10.28 AM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण :- वणिज 22.11 PM तक तत्पश्चात विष्टि

करण के स्वामी, स्वभाव :-   वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:50
  • सूर्यास्त – सायं 19:00
  • विशेष – दशमी के दिन कलम्बी, परवल का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  •  एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
  • पर्व त्यौहार
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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