Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 8 मार्च 2024 का पंचांग,
आप सभी को महाशिवरात्रि के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 8 मार्च 2024 का पंचांग,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
8 मार्च 2024 का पंचांग, 8 March 2024 ka Panchang,
- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
-
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2080,
- * शक संवत – 1945,
*कलि संवत – 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – फाल्गुन माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
*कलि संवत – 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – फाल्गुन माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-
प्रात: 6.45 AM से 7.43 AM तक
दोपहर 1.31 PM से 2.29 PM तक
रात्रि 20.25 PM से 9.27 PM तक
दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या
‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I
यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I
सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
शुक्र देव के मन्त्र :-
ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा
” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।
जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न,
परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,
प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष का चौदहवाँ दिन अर्थात अमावस्या से पूर्व का दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वर्ष की सभी शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्रि, सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है और यह फरवरी या मार्च माह में आती है ।
दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महा शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की कृष्ण शिवरात्रि को महा शिवरात्रि के रूप में मनाते है ।
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि शुक्रवार 8 मार्च 2024 को रात्रि 09.57 से प्रारम्भ होगी और अगले दिन शनिवार 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट तक रहेगी । चूंकि शिवरात्रि की पूजा रात्रि में होती है इसलिए शिवरात्रि का पर्व शुक्रवार 8 मार्च को ही मनाया जायेगा ।
इस वर्ष महा शिवरात्रि का पर्व इस लिए भी बहुत विशेष है क्योंकि इस दिन प्रदोष और शिवरात्रि का संयोग एक ही दिन पड़ रहा है ।
हिन्दू धर्म शास्त्रों शिवरात्रि को बहुत ही महत्त्व दिया गया है । मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था, इसी दिन शंकर जी और माँ पार्वती का विवाह हुआ था । इसलिए भक्तगण महा शिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की वर्षगांठ के रूप में मानते हैं ।
यह भी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान भोलनाथ जी शिवलिंग में वास करते हैं । महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर जी पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में अलग अलग जगहों पर प्रकट हुए थे ।
महा शिवरात्रि भगवान शंकर जी को बहुत ही प्रिय है, मान्यता है की शिवरात्रि का ब्रत रखने इस दिन शंकर जी की पूजा, शिवलिंग का अभिषेक करने से समस्त संकष्टो का नाश होता है ।
महाशिवरात्रि के ब्रत में भक्त अन्न का सेवन नहीं करते है, इस दिन फलाहार रखा जाता है । शिवरात्रि के दिन रात्रि में जागरण करके भगवान की आराधना करने का बहुत महत्त्व है ।
परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,
प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष का चौदहवाँ दिन अर्थात अमावस्या से पूर्व का दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वर्ष की सभी शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्रि, सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है और यह फरवरी या मार्च माह में आती है ।
दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महा शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की कृष्ण शिवरात्रि को महा शिवरात्रि के रूप में मनाते है ।
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि शुक्रवार 8 मार्च 2024 को रात्रि 09.57 से प्रारम्भ होगी और अगले दिन शनिवार 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट तक रहेगी । चूंकि शिवरात्रि की पूजा रात्रि में होती है इसलिए शिवरात्रि का पर्व शुक्रवार 8 मार्च को ही मनाया जायेगा ।
इस वर्ष महा शिवरात्रि का पर्व इस लिए भी बहुत विशेष है क्योंकि इस दिन प्रदोष और शिवरात्रि का संयोग एक ही दिन पड़ रहा है ।
हिन्दू धर्म शास्त्रों शिवरात्रि को बहुत ही महत्त्व दिया गया है । मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था, इसी दिन शंकर जी और माँ पार्वती का विवाह हुआ था । इसलिए भक्तगण महा शिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की वर्षगांठ के रूप में मानते हैं ।
यह भी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान भोलनाथ जी शिवलिंग में वास करते हैं । महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर जी पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में अलग अलग जगहों पर प्रकट हुए थे ।
महा शिवरात्रि भगवान शंकर जी को बहुत ही प्रिय है, मान्यता है की शिवरात्रि का ब्रत रखने इस दिन शंकर जी की पूजा, शिवलिंग का अभिषेक करने से समस्त संकष्टो का नाश होता है ।
महाशिवरात्रि के ब्रत में भक्त अन्न का सेवन नहीं करते है, इस दिन फलाहार रखा जाता है । शिवरात्रि के दिन रात्रि में जागरण करके भगवान की आराधना करने का बहुत महत्त्व है ।
जरूर पढ़े :-अवश्य जानिए माँ लक्ष्मी का प्राकट्य कैसे हुआ ? उनके माता – पिता, भाई – बहन, पति, संतान और उनकी प्रिय वस्तुओं के बारे में,
नक्षत्र ( Nakshatra ) : श्रवण 10.41 AM तक तत्पश्चात धनिष्ठा
नक्षत्र के स्वामी :– श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।
श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।
श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं ।
श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।
यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग(Yog) :- शिव
योग के स्वामी, स्वभाव :- शिव योग के स्वामी मित्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
प्रथम करण : – गर 11.41 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
द्वितीय करण :- वणिज 21.57 PM तक तत्पश्चात विष्टि
करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 06:38
- सूर्यास्त – सायं : 18:25
- विशेष – त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
- पर्व त्यौहार- महाशिवरात्रि
- मुहूर्त (Muhurt) –
नक्षत्र ( Nakshatra ) : श्रवण 10.41 AM तक तत्पश्चात धनिष्ठा
नक्षत्र के स्वामी :– श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।
श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।
श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं ।
श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।
यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग(Yog) :- शिव
योग के स्वामी, स्वभाव :- शिव योग के स्वामी मित्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
प्रथम करण : – गर 11.41 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
द्वितीय करण :- वणिज 21.57 PM तक तत्पश्चात विष्टि
करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 06:38
- सूर्यास्त – सायं : 18:25
- विशेष – त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
- पर्व त्यौहार- महाशिवरात्रि
- मुहूर्त (Muhurt) –
जरुर पढ़ें :- पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा कहते है जानिए क्यों महत्वपूर्ण है पुष्य नक्षत्र,
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
8 मार्च 2024 का पंचांग, 8 March 2024 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग,
दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
8 मार्च 2024 का पंचांग, 8 March 2024 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग,
दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Comment form message