मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 27 फरवरी 2024 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 27 फरवरी 2024 का पंचांग,


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

27 फरवरी 2024 का पंचांग, 27 February 2024 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

  • दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।

    मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।

    मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,

    मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।

    मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।

*विक्रम संवत् 2080,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – 
उत्तरायण
*ऋतु – बसंत
 ऋतु
*मास –
 फाल्गुन माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.48 AM से 7.46 AM तक

दोपहर 01.31 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.24 PM से 9.26 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न,

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

राशिनुसार होली खेलकर अपने भाग्य को ऐसे करें मजबूत,

अगर पूरी करनी चाहते है अपनी सभी मनोकामनाएं तो अवश्य ही घर पर लगाएं यह वृक्ष

तिथि :- तृतीया तिथि

तिथि के स्वामी :- तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी है ।

तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर जी है । 

तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है।  तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है।

अपने नाम के अनुसार ही यह तिथि सभी शुभ कार्यों में जय दिलाने अर्थात सफलता दिलाने वाली कही गई है। लेकिन बुधवार को तृतीया तिथि होने से मृत्युदा कहलाती है, इसलिए बुधवार की तृतीया को कोई भी नया कार्य शुरु करना शुभ नहीं माना जाता  है।

तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें । 

कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए  और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए । 

शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक किसी भी पक्ष की तृतीया को घी का दीपक जलाकर नियम से नीचे दिए गए कुबेर मंत्र का जप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करता है उसे कुबेर देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है, उसे अपने कार्यक्षेत्र , व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है। 

कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं, ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:”। यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।

तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-     हस्त नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव जी एवं राशि के स्वामी बुध देव जी है ।  

आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है, इसमें सकारात्मक ऊर्जा मानी जाती है ।  

यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मा जातक शांत, दयालु, आकर्षक और वफादार होते हैं। यह एक अवसर तलाशने वाले, बुद्धिमान, मिलनसार, शांत और विनम्र स्वभाव के होते हैं ।

यदि चन्द्र और बुध की जन्म कुंडली में स्थिति खराब हो तो जातक दब्बू, डरपोक, शीघ्र क्रोध करने वाला,अनैतिक कार्यो में लिप्त रहने वाला शराब का लती भी हो सकता है ।

इन नक्षत्र के लोगो का 30 से 42 वर्ष की आयु के बीच का समय सबसे भाग्यशाली होता है।

हस्त नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, आकर्षक, मिलनसार बड़ो का सम्मान करने वाली होती हैं।  किसी के भी अधीन रहना इनको पसंद नहीं होता है, समान्यता इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5,  भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन  सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

कार्यो में चाहते है श्रेष्ठ सफलता और सुख – समृद्धि तो होली के दिन अवश्य ही करें ये उपाय 

  • योग :- शूल 16.25 PM तक तत्पश्चात गण्ड
  • योग के स्वामी :- शूल योग के स्वामी सर्प एवं स्वभाव हानिकारक है ।
  • प्रथम करण : – वणिज 12.35 तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – विष्टि
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:49
  • सूर्यास्त – सायं 18:19
  • विशेष – तृतीया तिथि को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया तिथि को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है।
  • पर्व – त्यौहार-

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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