सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 29 जनवरी 2024 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 29 जनवरी 2024 का पंचांग,

आप सभी को सकट चौथ / संकष्टी चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 29 जनवरी 2024 का पंचांग, 29 January 2024 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

29 जनवरी 2024 का पंचांग, 29 January 2024 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – माघ माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 7.11 AM से 8.05 AM तक

दोपहर 01.28 PM से 2.22 PM तक

रात्रि 8.09 PM से 9.15 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

  अवश्य पढ़ें :-  मकर संक्रांति के दिन तिल के इन प्रयोग से समस्त पापो का नाश होता है, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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  • तिथि (Tithi) – चतुर्थी तिथि पूर्ण रात्रि तक
  • तिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान विघ्नहर्ता गणेश जी है ।

  • आज 29 जनवरी सोमवार को सकट चौथ मनाई जाएगी । सकट चौथ को माघी चतुर्थी या तिलकुट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है ।
  • संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैसे तो हर महीने में होता है लेकिन माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की महिमा सबसे ज्यादा है ।
  • सकट चौथ के दिन व्रत रखकर भगवान गणपति गणेश जी की पूजा की जाती है और उन्हें तिल और गुड़ से बने तिलकुट का भोग लगाया जाता है ।
  • चतुर्थी को गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
  • सकट चौथ का व्रत रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूरा होता है ।
  • सकट चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है अर्थात इस दिन सूर्योदय से चंद्रोदय तक जल तक का सेवन भी नहीं किया जाता है । इस दिन भगवान गणेश से भक्त अपने संकट दूर करने की प्रार्थना करते हैं ।
  • सकट चौथ पर महिलाएं व्रत रखकर अपनी संतान को संकटो से बचाने की खुशहाली और तरक्की की कामना करती हैं ।
  • चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 29 जनवरी प्रात: 6 बजकर 10 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि का समापन- 30 जनवरी को प्रात: 8 बजकर 54 मिनट तक
  • 29 जनवरी को चंद्रोदय का समय- रात्रि लगभग 9 बजकर 11 मिनट पर
  • सकट चौथ पर रात्रि में चंद्रोदय के बाद चांदी या पीतल के लोटे में जल ले कर उसमें गाय का कच्चा दूध, अक्षत् और सफेद फूल डालकर चंद्र देव जी का स्मरण करके उनको देखते हुए अर्घ्य दें औरअपनी संतान के सुखी जीवन एवं जीवन के संकटों को दूर करने औरके लिए प्रार्थना करें ।
  • सकट चौथ के ब्रत में चन्द्रमा जी अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलना चाहिए, और इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय जल जमीन पर ना गिरे या उसके छीटें पैरे में न पड़े ।
  • चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
  • चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है 
  • किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।
  • धनतेरस के दिन यह खरीदने से घर से दरिद्रता का होगा नाश, लक्ष्मी जी का होगा वास, इस लिए धनतेरस पर यह अनिवार्य रूप से खरीदें,

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नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्वाफाल्गुनी 18.57 PM तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी

  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है ।

आकाश मंडल में पूर्वा फाल्गुनी को 11वां नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक बिस्तर के सामने के दो पैर हैं जो आराम, अच्छे भाग्य का भी प्रतीक है।

यह नक्षत्र सुख, धन, कामुक प्रसन्नता, प्रेम और मनोरंजन को दर्शाता हैं।

इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पलाश तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवनभर सूर्य और शुक्र का प्रभाव बना रहता है।

पूर्वा फाल्गुनी में जन्मा जातक सुन्दर, विलासी, स्त्रियों का प्रिय, साहसी, चतुर, वाकपटु, खुले दिल वाला और घूमने फिरने का शौक़ीन होता है, इन्हे स्त्री और धन-सं‍पत्ति का पूर्ण सुख मिलता है।

लेकिन यदि सूर्य और शुक्र शुभ नहीं है तो जातक बहुत कामुक, विलासी, धूर्त, घमंडी, जुए – सट्टे का लती और क्रोधी हो सकता है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्रियाँ  धार्मिक, दयालु, आकर्षक, मिलनसार, आसानी से दूसरो को  प्रभावित करने वाली, वैसी प्रवर्ति की होती है। यह आसानी से  जीवन में सफलता प्राप्त कर लेती हैं।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चाकलेटी, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और रविवार माना जाता है ।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ भगाय नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

संकटो से रक्षा के लिए इस नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए ।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन माँ लक्ष्मी जी की आराधना से कभी भी धन की कमी नहीं होती है ।

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – शोभन 9.44 AM तक तत्पश्चात अतिगण्ड
  • योग के स्वामी :-    ब्रह्म योग के स्वामी अश्विनी कुमार जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है  ।
  • प्रथम करण : – बव 07.31 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।

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  • द्वितीय करण : – बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।
  • पर्व त्यौहार- सकट चौथ / संकष्टी चतुर्थी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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