शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 6 जनवरी 2024 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 6 जनवरी 2024 का पंचांग,


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 6 जनवरी 2024 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    6 जनवरी 2024
     का पंचांग, 6 January 2024 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तराणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
पौष माह,
* पक्ष – 
कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – 
मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 7.14 AM से 8.06 AM तक

दोपहर 1.18 PM से 2.10 PM तक

रात्रि 19.54 PM से 9.02 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

  • तिथि (Tithi)- दशमी तिथि
  • तिथि का स्वामी – दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है I

दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है।  शास्त्रों के अनुसार यमराज जी मृत्यु के देवता कहे गए हैं।

गरुड़ पुराण के अनुसार यमराज के महल को कालित्री महल कहते हैं और उनके सिंहासन को विचार-भू कहते हैं।

पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि यमलोक पृथ्वी से 86,000 योजन यानी करीब 12 लाख किलोमीटर दूर है।

गरुड़ पुराण में यमलोक में चार द्वार बताए गए हैं। पूर्वी द्वारा से प्रवेश सिर्फ धर्मात्मा और पुण्यात्माओं को मिलता है जबकि दक्षिण द्वार से पापियों का प्रवेश होता है जिसे यमलोक में यातनाएं भुगतनी पड़ती है।

साधु-संतों को उत्तर दरवाजे से और दान पुण्य करने वाले मनुष्यों को पश्चिम द्वार से प्रवेश मिलता है।

यमराज जी भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र है, यमुना अर्थात (यमी)  इनकी जुड़वां बहन और मनु इनके भाई कहे गए है।

यमराज की पत्नी  का नाम देवी धुमोरना तथा इनके पुत्र का नाम कतिला है।

यमराज जी का वाहन महिष / भैंसे को माना गया हैं। वे समस्त जीवों के शुभ अशुभ कर्मों का निर्णय करते हैं।

इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है,  नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है।

मथुरा में स्थित यमराज और उनकी बहन यमुना जी का एक प्राचीन मंदिर है  उस मंदिर को यमुना धर्मराज मंदिर कहते है। देश में भाई-बहन का ये एकमात्र मंदिर है।

मान्यता है कि, भाई बहन इस मंदिर में भैया दूज के दिन एक साथ स्नान करते हैं। इससे उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

 इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है ।

दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है। इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है।  

यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।  

दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए।    

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नक्षत्र (Nakshatra) – स्वाति 21.23 PM तक तत्पश्चात विशाखा

नक्षत्र के स्वामी :-   स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है ।  

स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है।

स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मा जातक धार्मिक, लोकप्रिय, बुद्धिमान, चतुर, परिश्रमी, अनुशासित, आध्यात्मिक होता हैं, सामन्यता इन्हे भूमि, भवन और पूर्ण सुख मिलता है।

लेकिन यदि शुक्र ख़राब हो तो जातक क्रोधी, घमंडी, अति कामुक, मदिरा प्रेमी होता है उसको धन और स्त्री का सुख भी नहीं मिलता है ।

स्वाति नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री सुन्दर, मिलनसार, धार्मिक, दयालु, दूसरो को जल्द प्रभावित करने वाली होती हैं। इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।

स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – धृति
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- धृति योग के स्वामी जल एवं स्वभाव श्रेष्ठ है।
  • प्रथम करण : – वणिज 12.20 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – विष्टि
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:15 AM


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  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ) (9425203501+07714070168)

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