गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 1 फरवरी 2024 का पंचांग,


गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 1 फरवरी 2024 का पंचांग,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 1 फरवरी 2024 का पंचांग, 1 February 2024 ka Panchag,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

1 फरवरी 2024 2023 का पंचांग, 1 February 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 1 February 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है, 

  • *विक्रम संवत् 2080,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – उत्तरायण,
    * ऋतु – शरद ऋतु,
    * मास – माघ माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 7.09 AM से 8.03 AM तक

दोपहर 01.29 PM से 2.23 PM तक

रात्रि 20.11 PM से 9.17 PM तक

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

अवश्य पढ़ें :- जानिए कैसा हो खिड़कियों का वास्तु , जिससे जिससे वहाँ के निवासियों को मिले श्रेष्ठ लाभ

  • तिथि (Tithi) :- षष्टी 14.03 PM तक तत्पश्चात सप्तमी
  • तिथि का स्वामी – षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी और सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देव जी है ।

षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ के पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है।

दक्षिण भारत में इन्हे भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है। यह दक्षिण भारत के  तमिल नाडु राज्य के रक्षक देव भी माने जाते हैं।

भारत के आलावा विश्व के अन्य देशों जैसे श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी कार्तिकेय जी को इष्ट देव के रूप में स्वीकार किया गया है।

कार्तिकेय जी को युवा और बाल्य रूप में ही पूजा जाता है। भगवान कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है ।

  स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कार्तिकेय ने देवताओं और असुरो के संग्राम में देवताओं का नेतृत्व कर राक्षस तारकासुर का संहार किया।

तारकासुर के वध करने के बाद कार्तिकेय जी को देवताओ से सदैव युवा रहने का वरदान प्राप्त हुआ ।  

इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं।  

भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तो को बल और साहस की प्राप्ति होती है, विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।

कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है ।

षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है।

मौनी अमावस्या के दिन इस उपाय को करने से खुल जायेंगे भाग्य के द्वार, जानिए क्यों मौनी अमावस्या इतनी पुण्यदायक मानी जाती है

  • नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा नक्षत्र
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –     चित्रा नक्षत्र के देवता विश्‍वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।

चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्रमा जी है।

यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।

चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।

चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

 बसंत पंचमी के दिन ऐसा करने से जीवन में हर तरफ से प्रसन्नता दौड़ी चली आती है,

यदि राशिनुसार सूर्य ग्रहण के उपाय तो भाग्य होगा मजबूत, सारे संकट – कष्ट होंगे दूर, जानिए राशिनुसार सूर्य ग्रहण के अचूक उपाय,



कैसा भी सिर दर्द हो उसे करें तुरंत छूमंतर, जानिए सिर दर्द के अचूक उपा

योग :- धृति 12.28 PM तक तत्पश्चात शूल

योग के स्वामी, स्वभाव :- धृति योग के स्वामी जल एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।

प्रथम करण :- वणिज 14.03 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण :- विष्टि

करण के स्वामी, स्वभाव :-  विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:10
  • सूर्यास्त – सायं 18:00
  • विशेष – षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है।
  • पर्व त्यौहार
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

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