शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 25 नवम्बर 2023 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 25 नवम्बर 2023 का पंचांग,


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 25 नवम्बर 2023 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    25 नवम्बर
     2023 का पंचांग, 25 November 2023 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायान,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
कार्तिक माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – 
मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.51 AM से 7.44 AM तक

दोपहर 1.00 PM से 1.53 PM तक

रात्रि 19.39 PM से 8.46 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस तरह से करें स्नान, अक्षय पुण्य की होगी प्राप्ति 

  • तिथि (Tithi)- त्रियोदशी 17.22 PM तक तत्पश्चात चतुर्दशी
  • तिथि का स्वामी – त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।

 त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी  हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए  हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।

कामदेव के हाथ में धनुष है जिसका एक कोना स्थिरता और दूसरा कोना चंचलता का प्रतीक है। कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। कामदेव जब कमान से अपना तीर छोड़ते हैं, तो उसमें कोई आवाज नहीं होती है।

कामदेव का वाहन हाथी को  माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।

त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।

त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।  

अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए  त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला  जाप अवश्य करें ।

इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में मनाई जाती है । बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा का विधान है। इस बार यह पर्व 25 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा।

शास्त्रों के अनुसार, यही वो दिन है, जब भगवान शिव ने इस ब्रह्मांड को संभालने का सारा भार भगवान श्री हरि विष्णु जी को सौंपा था।

बैकुंठ चतुर्दशी का दिन वर्ष का एकमात्र दिन होता है जब भगवान शंकर जी तुलसी पत्र को स्वीकार करते हैं और भगवान श्री विष्णु को बेल पत्र और कमल के फूलों अर्पित किया जाता है।

भगवान विष्णु ने नारद जी के आग्रह पर जय और विजय को वर्ष के इसी एकमात्र दिन बैकुंठ चतुर्दशी पर स्वर्ग के द्वार खुले रखने का आदेश दिया है, मान्यता है कि जो भक्त बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करते है उनको सीधे स्वर्ग में स्थान मिलता है ।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु 108 कमल पुष्पों से भगवान शिव की पूजा कर रहे थे, तब ​महादेव ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प गायब कर दिया ।

भगवान विष्णु शिवलिंग पर एक-एक करके कमल पुष्प चढ़ा रहे थे, अंत में एक पुष्प कम मिला । तब उन्होंने सोचा कि उनके नेत्र भी कमल के समान हैं, इसलिए वे अपने एक नेत्र को कमल के स्थान पर शिवलिंग पर ​अर्पित करने जा रहे थे ।

तभी भगवान शिव प्रकट हुए और ऐसा करने से रोका. उन्होंने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया ।

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नक्षत्र (Nakshatra) – अश्विनी 14.56 PM तक तत्पश्चात भरणी

नक्षत्र के स्वामी :-    अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनीकुमार जी और नक्षत्र के स्वामी केतु जी है ।  

अश्विन नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र है और घोड़े के सिर का प्रतीक है। अश्विनी नक्षत्र साहस, जीवन, और शक्ति का प्रतीक है।

अश्विनी एक देवता नक्षत्र है जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह नाम अश्विनी-कुमारों से संबंधित है जो हिंदू देवता माने जाते हैं।

अश्विनी नक्षत्र का लिंग पुरुष है। अश्विन नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कुचला और स्वभाव शुभ माना गया है ।

अश्विनी नक्षत्र के जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 7 और 9, भाग्यशाली रंग पीला, मैरून, ऑरेंज, गुलाबी, एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार होता है ।

आज अश्विनी नक्षत्र के मंत्र “ॐअश्विनी कुमाराभ्यां नमः” का 108 बार जाप करें इससे अश्विनी नक्षत्र को बल मिलेगा।

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  • योग (Yog) – वरीयान
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- वरीयान योग के स्वामी कुबेर देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – तैतिल 17.22 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – गर
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:51 AM


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  • पर्व त्यौहार- बैकुंठ चतुर्दशी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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