शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 28 अक्टूबर 2023 का पंचांग,
आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें
Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 28 अक्टूबर 2023 ka Panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
28 अक्टूबर 2023 का पंचांग, 28 October 2023 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
अगर धन की लगातार परेशानी रहती है, धन नहीं रुकता हो, सर पर कर्ज चढ़ा तो अवश्य करें ये उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
इस बार शरद नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल
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* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायान,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ ,
शनिवार को शनि महाराज की होरा :-
प्रात: 6.29 AM से 7.25 AM तक
दोपहर 13.00 PM से 1.56 PM तक
रात्रि 19.48 PM से 8.52 PM तक
शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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शनि देव के मन्त्र :-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
अथवा
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
चंद्र ग्रहण के दिन इस उपाय को करने से सर्वकार्य होने लगेंगे सिद्द, जानिए चंद्र ग्रहण के उपाय
- तिथि (Tithi)- पूर्णिमा तिथि
- तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।
आज अति शुभ शरद पूर्णिमा है । शरद पूर्णिमा तो वह तिथि है जिस दिन माँ लक्ष्मी का अवतरण हुआ था अतः इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना, उनको प्रसन्न करने के लिये किये गए उपायों का अत्यंत श्रेष्ठ फल मिलता है ।
पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को तड़के सुबह 04 बजकर 17 AM पर शुरू होगी जो 29 अक्टूबर को 01 बजकर 53 AM तक रहेगी. शरद पूर्णिमा के दिन सांय 17. 20 पर चंद्रोदय होगा ।
इस दिन लक्ष्मी सहस्त्रनाम, सिद्धिलक्ष्मी कवच, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, महालक्ष्मी कवच, कनकधारा के पाठ में जो भी कर सके उसे अधिक से अधिक अवश्य ही करें । इससे आने वाली पीढ़ियों पर भी माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
भगवान विष्णु को आँवला अत्यंत प्रिय है । शरद पूर्णिमा Sharad Purnima को भगवान श्री विष्णु जी को आंवला चढ़ाने, आंवला की पूजा करने से माँ लक्ष्मी घर में अवश्य ही आती है।
शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी जी का प्राकट्य हुआ था और देवी लक्ष्मी ने बिल्व वृक्ष के नीचे आराम किया था। शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए बिल्वपत्र के पेड़ की पूजा की जाती है और जल चढ़ाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन बिल्व पत्र ( बेल पत्र ) का पौधा लगाने, उसकी सेवा करने, सांय काल वहां पर दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस जातक का साथ कभी भी नहीं छोड़ती है, उस पर कभी कोई कर्ज नहीं रहता है, उसे अतुल ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
माँ लक्ष्मी को खीर अत्यंत प्रिय है । शास्त्रो में गाय के दूध में महालक्ष्मी का वास माना गया है, अत: इस दिन यथा संभव गाय के दूध में खीर बनाये और खीर में केसर, छुआड़े और मेवे भी अपनी सामर्थ्यानुसार अवश्य ही डालें ।
खीर बनाने के बाद उसमें चांदी का सिक्का या कोई भी अन्य चांदी की वास्तु डालकर उसे चन्द्रमा की रौशनी में रखे ।
फिर अगले दिन माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाकर पूरे परिवार को इसका सेवन करना चाहिए ।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है, मान्यता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने निकलती है और जो भक्त रात में जागकर माँ की आराधना करते है माँ लक्ष्मी उस घर में सदैव के लिए निवास करती है ।
इस वर्ष 2023 में शरद पूर्णिमा के दिन 28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा जिसक कारण इस ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा।
चंद्र ग्रहण विश्व में 28 अक्टूबर की रात 11 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा और देर रात 3 बजकर 36 मिनट पर तक रहेगा अर्थात कुल 4 घंटे 4 मिनट तक रहेगा I
पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण भारत में 28 अक्तूबर की रात 01 बजकर 06 मिनट से शुरू होगा जो रात के 2 बजकर 22 मिनट पर तक रहेगा । इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाएगा।
इस तरह से 28 अक्तूबर को शाम 4 बजे से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण के अंत तक रहेगा, इस तरह से 28 अक्तूबर को शाम 4 बजे से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण के अंत तक रहेगा, इस लिए इस दिन शाम 4 बजे के बाद किसी भी तरह का मंदिर में पूजा पाठ या तुलसी जी / पीपल / शमी पर दीपक नहीं जलाया जायेगा।।
30 साल बाद शरद पूर्णिमा पर लग रहे इस चंद्र ग्रहण के दिन गजकेसरी योग का भी निर्माण हो रहा है।
साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, मंगोलिया, भूटान, चीन, ईरान, रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान, इराक, तुर्की, सऊदी अरब, सूडान, अल्जीरिया, जर्मनी, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, इटली, फ्रांस, नॉर्वे, ब्रिटेन, स्पेन, स्वीडन, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान और इंडोनेशिया में भी दिखाई पड़ेगा ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – रेवती 7.31 AM तक तत्पश्चात अश्विनी
नक्षत्र के स्वामी :- रेवती नक्षत्र का स्वामी बुद्धि के कारक बुध देव जी एवं इस नक्षत्र के देवता “पूषा” हैं जो सूर्य भगवान का ही एक रूप है ।
रेवती नक्षत्र आकाश मंडल में अंतिम नक्षत्र है। यह मीन राशि में आता है। रेवती का अर्थ है ‘समृद्ध’ और यह सुख – समृद्धि, धन और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।
रेवती नक्षत्र की गणना गंडमूल नक्षत्रों में की जाती है । इस नक्षत्र में जन्मे जातको को विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए । इन्हे नित्य विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में श्रेष्ठ सफलता की प्राप्ति होती है ।
रेवती नक्षत्र का आराध्य वृक्ष महुआ और स्वभाव मृदु माना गया है ।
रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इनके दोस्तों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों की अच्छी संख्या होती है।
रेवती नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 5, भाग्यशाली रंग भूरा, और भाग्यशाली दिन शनिवार और गुरुवार होता है ।
रेवती नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- “ॐ रेवत्यै नमः”l मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
सप्तमी तिथि को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए । मान्यता है कि सप्तमी को ताड़ का सेवन करने से रोग होने की संभावना रहती है।
- योग (Yog) – वज्र 10.52 AM तक तत्पश्चात सिद्धि
- योग के स्वामी, स्वभाव :- वज्र योग के स्वामी वरुण जी और स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
- प्रथम करण : – विष्टि 15.02 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
- द्वितीय करण : – बव
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:25 AM
- सूर्यास्त – सायं 17:46 PM
- विशेष : पूर्णिमा, और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, क्रोध करना, सहवास करना निषिद्ध है।
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- पर्व त्यौहार- शरद पूर्णिमा
- मुहूर्त (Muhurt) – चंद्र ग्रहण
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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