शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 21 अक्टूबर 2023 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 21 अक्टूबर 2023 का पंचांग,


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 21 अक्टूबर 2023 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    21 अक्टूबर
     2023 का पंचांग, 21 October 2023 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
अश्विन माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.25 AM से 7.21 AM तक

दोपहर 13.02 PM से 1.59 PM तक

रात्रि 19.52 PM से 8.55 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

जानिए नवरात्री में कन्या पूजन में माता के किन किन स्वरूपों की पूजा की जाती है

  • तिथि (Tithi)- सप्तमी 21.53 PM तक तत्पश्चात अष्टमी
  • तिथि का स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा जी है

सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें।

सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।

  सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता है।

सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव के मन्त्र “ॐ सूर्याय नम:”।। की एक माला का जाप अवश्य ही करें ।

नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- आराधना की जाती है।

मां के माता कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह के पापो, शत्रुओं, नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माता कालरात्रि काल से भी रक्षा करने वाली शक्ति है।

मां का रूप अत्यंत भयानक है एवं बाल बिखरे हुए हैं। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं, इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है और ये गर्दभ की सवारी करती हैं।

माँ के ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है जो भक्तों को निर्भय रहने का आशीर्वाद देता है अर्थात माँ कालरात्रि के भक्तो की समस्त संकटो से रक्षा होती है।

वहीँ बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है।

मां को गुड का भोग अर्पित करके पूजा के बाद सबको गुड का प्रसाद वितरित करना चाहिए ।

नवरात्री के सातवें दिन मां कालरात्रि की कृपा के लिए रात्रि में मां कालरात्रि के समक्ष दीपक जलाकर श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें, एवं यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे “

‘ॐ कालरात्र्यै नम:।’

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नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्वाषाढ़ा 19.54 PM तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा

नक्षत्र के स्वामी :-   पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।  

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर का नक्षत्र है। ‘पूर्वाषाढ़ा’ का अर्थ है ‘विजय से पूर्व’। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।

शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक आकर्षक, प्रेम करने वाला, तथा जिंदादिल इंसान होता है। यह हाथी दांत या हाथ का पंखा जैसा नज़र आता है जो कि शक्ति और विजय को दर्शाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का लिंग पुरुष है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष वेत और नक्षत्र का स्वभाव उग्र माना गया है ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 6, भाग्यशाली रंग, काला, गहरा भूरा, भाग्यशाली दिन रविवार, शनिवार, शुक्रवार और गुरुवारका माना जाता है ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जीवन में निरंतर शुभ समय के लिए पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को माँ लक्ष्मी, माँ ललिता और देवी त्रिपुर सुंदरी की पूजा उपासना करनी चाहिए. ।

लक्ष्मी सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम, कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करना जातक के लिए कल्याणकारी होता है. ।

इसके अतिरिक्त पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर जी की आराधना भी बहुत शुभ फलदाई होती है ।

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  • योग (Yog) – सुकर्मा
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – गर 10.41 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – वणिज 21.53 PM तक तत्पश्चात विष्टि
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:25 AM


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  • पर्व त्यौहार- नवरात्री का सातवाँ दिन
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168+9425203501)

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