शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 14 अक्टूबर 2023 का पंचांग,
Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 14 अक्टूबर 2023 ka Panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
14 अक्टूबर 2023 का पंचांग, 14 October 2023 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
अगर धन की लगातार परेशानी रहती है, धन नहीं रुकता हो, सर पर कर्ज चढ़ा तो अवश्य करें ये उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
इस बार शरद नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल
* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,
शनिवार को शनि महाराज की होरा :-
प्रात: 6.16 AM से 7.15 AM तक
दोपहर 13.07 PM से 2.06 PM तक
रात्रि 20.03 PM से 9.04 PM तक
शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
शनि देव के मन्त्र :-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
अथवा
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
पितृ पक्ष के अंतिम दिन, सर्व पितृ दोष अमावस्या के दिन पितरो की कृपा प्राप्त करने के लिए अवश्य ही करे ये उपाय.
- तिथि (Tithi)- अमावस्या 23.24 PM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
- तिथि का स्वामी – अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है
आज अश्विन माह की अमावस्या, पितरों की अमावस्या, शनि अमावस्या, सूर्य ग्रहण का अति दुर्लभ संयोग है। हमारे पूर्वज पितृ पक्ष के दिनों में अपने अपने घरो पर आते है और अपने लिए तर्पण, श्राद्ध, दान आदि की अपेक्षा करते है ।
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है। सर्व पितृ अमावस्या जो पितृ पक्ष का अंतिम दिवस होता है इस दिन यह पितृ गण सांय काल धरती से अपने लोक में वापस चले जाते है ।
इस दिन पितरो के निमित्त, श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दान आदि करने से पितृ प्रसन्न होते है, पितृ दोष दूर होता है, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।
पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है। अमावस्या के दिन सुबह के समय लोहे के बर्तन में, दूध, पानी, काले तिल, शहद एवं जौ मिला कर समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित करके पीपल की 7 परिक्रमा करें, तथा इस दौरान “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें ।
इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते है, उनका आशीर्वाद मिलता है ।
आज पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।
अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।
हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।
इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
आज शनि अमावस्या भी होने के कारण आज शनि मंदिर जाकर शनि देव के चेहरे को बिना देखे उनके ऊपर तेल चढ़ाएं, एवं तेल में अपना चेहरा देख कर छाया दान अवश्य करें ।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2023 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 14 अक्तूबर 2023 को लगेगा।
यह सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 14 अक्तूबर को रात के 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा, जो मध्य रात्रि को 02 बजकर 25 मिनट तक रहेगा । यह सूर्य ग्रहण वलयाकार में होगा।
इस स्तिथि में सूर्य ग्रहण के समय आकाश में सूर्य एक अंगूठी यानी रिंग के आकार में नजर आएगा। इसी लिए इसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।
14-15 अक्तूबर को रात्रि में पड़ने वाला वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण रात में लगेगा जिस कारण भारत में नज़र नहीं आएगा । इस सूर्य ग्रहण को उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मैक्सिकों, अर्जेटीना, पेरू, क्यूबा, कोलांबिया और ब्राजील में देखा जा सकेगा।
चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिख रहा है इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा।
यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि के अंतिम चरणों में व चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में पड़ेगा । चित्रा नक्षत्र मंगल ग्रह का नक्षत्र है, और मंगल भूमि का स्वामी है।
ज्योतिषयों की माने तो पृथ्वी पर, मनुष्यो पर इस सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव कुछ ज्यादा देखने को मिल सकता है।
मंगल व सूर्य दोनों ही अग्नि से सम्बंधित ग्रह है, इसलिए इस ग्रहण के कारण आगजनी, भूकंप, दुर्घटना, विमान दुर्घटना, युद्ध की संभावना अधिक दिखाई पड़ती है।
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नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त 16.24 PM तक तत्पश्चात चित्रा
नक्षत्र के स्वामी :- हस्त नक्षत्र के देवता सुर्य और स्वामी चंद्र देव जी है।
आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है।
यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।
हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।
हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5, भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।
हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
- योग (Yog) – इंद्र 10.25 AM तक तत्पश्चात वैधृति
- योग के स्वामी, स्वभाव :- शिव योग के स्वामी मित्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
- प्रथम करण : – चतुष्पाद 10.AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है ।
- द्वितीय करण : – नाग 23.24 PM तक तत्पश्चात किस्तुघ्न
- करण के स्वामी, स्वभाव :- नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है ।
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:21 AM
- सूर्यास्त – सायं 17:53 PM
- विशेष : अमावस्या और श्राद्ध के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
अमावस्या के दिन किसी भी दशा में तुलसी जी, बेलपत्र, कोई भी फूल पत्ती आदि नहीं तोड़नी चाहिए ।
इस बार शरद नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल
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- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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