इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व, indira ekadashi vrat ka mahatva, इंदिरा एकादशी 2023,

         

इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व, indira ekadashi vrat ka mahatva, इंदिरा एकादशी 2023,

इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व, indira ekadashi vrat ka mahatva,

  • शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत indira ekadashi ka vrat पितरो की मुक्ति के लिए, उन्हें मोक्ष प्रदान कराने का, उन्हें स्वर्ग में स्थान दिलाने का अत्यंत उत्तम उपाय है, इस उपाय को करने से पितरो को महान पुण्य की प्राप्ति होती है।

    इंदिरा एकादशी का व्रत indira ekadashi ka vrat को करने से पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजो को आशीर्वाद स्वरूप उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते है।
  • इस पृथ्वी में हर घर के मुखिया को अपने पितरो के लिए इंदिरा एकादशी का ब्रत, indira ekadashi ka vrat, इस दिन पितरो के निमित योग्य ब्राह्मण को दान अवश्य ही करना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी के दिन सभी स्त्री पुरुषो को इंदिरा एकादशी की कथा को अवश्य ही पढ़ना / सुनना चाहिए , इससे पितरो का उद्दार होता है , मनुष्यो के पापो का नाश होता है,उनके पुण्य बढ़ते है, आरोग्य की प्राप्ति होती है, घर परिवार में प्रेम, सौहार्द, सुख-समृद्धि का वास होता है, अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है, नरक के दर्शन नहीं होते है।

    वर्ष 2023 में इंदिरा एकादशी का ब्रत 10 अक्टूबर मंगलवार को है I

कुंडली में पितृदोष होने पर जीवन में कदम कदम पर होगा परेशानियों से मुकाबला, अवश्य जानिए पितृ दोष कैसे दूर करें

इंदिरा एकादशी व्रत की कथा, indira ekadashi vrat ki katha,

  • धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से कहते है ! हे प्रभु आश्विन कृष्ण एकादशी का नाम क्या है? इसकी क्या विधि तथा क्या फल है? आप कृपा करके हमें बताएं । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हे धर्मराज अत्यंत पुण्य प्रदान करने वाली इस एकादशी Ekadashi का नाम इंदिरा एकादशी Indira Ekadashi है।

    यह इंदिरा एकादशी Indira Ekadashi व्रत करने वाले के समस्त पापों को नाश करने वाली तथा पितरों को नरक, नीच योनियों से मुक्ति देने वाली, उन्हें मोक्ष प्रदान कराने वाली है। हे राजन! अब आप ध्यानपूर्वक इस ब्रत की कथा को सुनिये । इस एकादशी Ekadashi की कथा को सुनने मात्र से ही बाजपेई यज्ञ का फल मिलता है
  • राजन्! प्राचीन काल की बात है, सत्ययुग में इद्रसेन नाम के यशस्वी राजा थे जो धर्मपूर्वक माहिष्मतीपुरी नगर में राज्य करते हुए प्रजा का पालन पोषण करते थे। उनकी यश और कीर्ति सभी और फैली थी। राजा इंद्रसेन भगवान् विष्णु के परम भक्त थे।

अवश्य जानिए नरक का भय दूर करने वाले नरक चतुर्दशी / छोटी दीपावली के उपाय,

  • एक दिन राजा राजसभा में सूखपूर्वक बैठे हुए थे। तभी देवर्षि नारद आकाश से वहां आ पहुंचे। राजन ने उनका विधिपूर्वक स्वागत पूजन करके उन्हें आसन पर बिठाया। फिर उनसे बोले – ‘ हे मुनिश्रेष्ठ ! आपकी कृपा से यहाँ पर सर्वथा कुशल मंगल है। हम सभी आपके दर्शन से धन्य है, हे देवर्षि आप अपने आगमन का कारण बताकर मुझ पर उपकार करें।’
  • नारद जी बोले – नृपश्रेष्ठ ! सुनो, मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डाल देगी। मैं ब्रह्मलोक से यमलोक गया था। वहां पर यमराज ने मेरा विधिपूर्वक पूजन किया वहीँ पर यमराज की सभा में मैंने तुम्हारे पिता को भी देखा था। जो एकादशी Ekadashi के व्रतभंग के दोष से वहां आये थे।
  • राजन् ! उन्होंने तुम्हारे लिए संदेशा दिया सो मैं तुम्हें कहता हूँ। उन्होंने कहा ‘बेटा ! पूर्व जन्म में ‍कोई विघ्न हो जाने के कारण मैं यमराज के निकट हूँ, मुझे ‘इंदिरा एकादशी ‘ के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग में भेजो।’ उनका यह संदेश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूं।
  • अत: राजन् ! अपने पिता को स्वर्गलोक की प्राप्ति कराने के लिये ‘इन्दिरा’ ‘ indira’ का व्रत करिये। राजा ने पूछा – भगवन ! कृपा करके ‘इन्दिरा एकादशी ‘ Indira Ekadashi का व्रत बताइये। इस ब्रत को किस पक्ष की किस तिथि को और किस विधि से करना चाहिये।
  • नारदजी कहने लगे- हे राजन आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन प्रात:काल श्रद्धापूर्वक स्नानादि से निवृत्त होकर पुन: दोपहर को नदी आदि में जाकर स्नान करके श्रद्धापूर्व पितरों का श्राद्ध करें और उस एक बार भोजन करें। फिर एकादशी के दिन प्रात:काल दातून आदि करके स्नान करें, व्रत के नियमों को श्रद्धा भक्तिपूर्वक ग्रहण करते हुए प्रतिज्ञा करें कि ‘मैं आज संपूर्ण भोगों को त्याग कर निराहार एकादशी का व्रत करूँगा।
  • हे अच्युत! हे पुंडरीकाक्ष! मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा कीजिए, इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम का ध़ूप, दीप, गंध, ‍पुष्प, नैवेद्य आदि सब सामग्री से पूजन करें फिर भगवान शालिग्राम को साक्षी मानकर विधिपूर्वक पितरों का श्राद्ध करके उनके निमित योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएँ और दक्षिणा दें। तथा पितरों के श्राद्ध से जो बच जाए उसको सूँघकर गौ को दें। और रात्रि को जागरण करते हुए भगवान श्रीहरि का पूजान करें।
  • तत्पश्चात सबेरा होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्तिपूर्वक भगवान श्री विष्णु की पूजा करे। तत पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर भाई-बंधु, नाती और पुत्र आदि के साथ स्वयं मौन होकर भोजन करे।

  जरूर पढ़े :- व्यापार में सफलता के लिए सही शुरुआत का होना आवश्यक है, जानिए  व्यापार में सफलता का मुहूर्त

  • नारद जी ने आगे कहा हे राजन् ! इस विधि से आलस्यरहित होकर तुम ‘इन्दिरा एकादशी ‘Indira Ekadashi का व्रत करो। इससे तुम्हारे पितर भगवान् विष्णु के वैकुण्ठ धाम में चले जायेंगे।
  • भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं – राजन! राजा से ऐसा कहकर देवर्षि नारद अन्तर्धान हो गये। राजा ने उनकी बतायी हुई विधि से अपनी रानियों, पुत्रों और बंधु बांधवो सहित उस उत्तम व्रत को किया। इस व्रत के पूर्ण होने पर आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी।

    उनके पिता गरुड़ पर सवार होकर श्रीविष्णु लोक को चले गये और राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से निष्कंटक राज्य करके अंत में अपने पुत्र को सिंहासन पर बैठाकर स्वर्गलोक को प्राप्त हुए ।
  • ‘इन्दिरा एकादशी ‘ Indira Ekadashi व्रत के इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। भगवान् श्री कृष्ण बोले- राजन् ! इस प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष में ‘इंदिरा एकादशी ‘ ‘ Indira Ekadashi’ व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पाप नष्ट हो जाते है।

    यह एकादशी नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी सद्गति देने वाली, मोक्ष प्रदान करने वाली है ।
इंदिरा एकादशी, indira ekadashi, इंदिरा एकादशी 2023, indira ekadashi 2023, इंदिरा एकादशी व्रत, indira ekadashi vrat, इंदिरा एकादशी की कथा, indira ekadashi ki katha, इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व, indira ekadashi vrat ka mahatva, इंदिरा एकादशी ब्रत की कथा, indira ekadashi brat ki katha,     
           संपर्क सूत्र   9425203501+07714070168    .                                                                   ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

पितृ पक्ष में श्राद्ध, Pitrapaksha me Shradh, Shradh 2024,

पितृ पक्ष में श्राद्ध, Pitrapaksha me Shradh, Shradh 2024, पितृ पक्ष में श्राद्ध, Pitrapaksha me Shradh, पितृ पक्ष Pitra Paksh का हिन्दू धर्...