रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 17 सितम्बर 2023 का पंचांग,

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 17 सितम्बर 2023 का पंचांग,

आप सभी को विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनायें

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

17 सितम्बर 2023 का पंचांग, 17 September 2023 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
17 सितम्बर
 2023 का पंचांग17 September 2023 ka Panchang,

गुरु पूर्णिमा के दिन इन ऋषियों के नामो का स्मरण करने से समस्त पापो का होगा नाश,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

*विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – भाद्रपद माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 6.06 AM से 7.08 AM तक

दोपहर 13.17 PM से 2.18 PM तक

रात्रि 20.21 PM से 9.20 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – द्वितीया 11.08 AM तक तत्पश्चात तृतीया
  • तिथि के स्वामी :- द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी और तृतीया तिथि के स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी है I

द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।

व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।

देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।

ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।

गुरु पूर्णिमा के दिन इस मन्त्र का अवश्य ही करें जाप, जानिए गुरु पूर्णिमा का उपाय 

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आज विश्वकर्मा पूजा का पर्व है। विश्वकर्मा पूजा का पर्व प्रत्येक वर्ष 17 सितम्बर को मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को ही इस ब्रह्माण्ड का पहला शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर माना जाता है।

इस ब्रह्माण्ड के सबसे महान अविष्कारक देवताओं के वास्तुकार, प्रमुख शिल्पी, भगवान विश्वकर्मा ने इंद्रपुरी, स्वर्गलोक, यमपुरी, द्वारका नगरी, कुबेर पुरी, लंका और हस्तिनापुर इत्यादि अनेको अद्वितीय नगरों का निर्माण किया था ।

भगवान विश्वकर्मा जी ने अनेको अस्त्र शास्त्र जैसे भगवान श्री विष्णु जी का सुदर्शन चक्र, भगवान भोलेनाथ जी का त्रिशूल, हनुमान जी की गदा, यमराम के कालदंड, कर्ण के कुण्डल और पुष्पक विमान आदि का निर्माण भी किया था।

भगवान विश्वकर्मा जी की प्रतिमा, चित्र सामान्यतः प्रत्येक कारखानों, निर्माण स्थलों, कार्यस्थल में स्थापित किए जाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा पर लोग अपने अपने कल – कारखानों, दफ्तरों को सजाकर, अपनी मशीनों, औजारों और किसी भी तरह के निर्माण कार्यों में काम आने वाले उपकरणों, वाहनों की विधिवत पूजा करके अपने कार्य में श्रेष्ठ तरक्की के लिए प्रार्थना करते हैं।

मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन दिन मशीन, औजार और वाहन आदि की पूजा करने से वे काम की बीच में कभी भी धोखा नहीं देते, सारे कार्य निर्विघ्न पूरे हो जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन इस मन्त्र का अवश्य ही करें जाप, जानिए गुरु पूर्णिमा का उपाय,

  • नक्षत्र (Nakshatra)-   हस्त 10.02 AM तक तत्पश्चात चित्रा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-   हस्त नक्षत्र के देवता सुर्य और स्वामी चंद्र देव जी है । 

आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है।

यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।

हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5, भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – ब्रह्म
  • योग के स्वामी :-    ब्रह्म योग के स्वामी अश्विनी कुमार जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – कौलाव 11.08 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – तैतिल 23.57 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:07
  • सूर्यास्त – सायं 18:24

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • द्वितीया को बैगन, कटहल और नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • पर्व त्यौहार- विश्वकर्मा पूजा

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ) (9428203501+07714070168)

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