मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 19 सितम्बर 2023 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 19 सितम्बर 2023 का पंचांग,

आप सभी को 10 दिवसीय गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

19 सितम्बर 2023 का पंचांग, 19 September 2023 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

*विक्रम संवत् 2080,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – उत्तरायण
*ऋतु – वर्षा
 ऋतु
*मास –
 भाद्रपद माह,
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.07 AM से 7.08 AM तक

दोपहर 13.16 PM से 2.17 PM तक

रात्रि 20.19 PM से 9.18 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

गणेश  उत्सव के दिन अवश्य जानें कैसे हुआ गणेश जी का अवतरण, कैसे गणेश जी का सर हाथी के सर में बदल गया,

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,

अगर पूरी करनी चाहते है अपनी सभी मनोकामनाएं तो अवश्य ही घर पर लगाएं यह वृक्ष

तिथि :- चतुर्थी 13.43 तक तत्पश्चात पंचमी

तिथि के स्वामी :- चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है ।

गणेश चतुर्थी को भूल कर भी “इस लिए ना करें चन्द्रमा के दर्शन”, अपयश, झूठा लांछन का करना पड़ सकता है सामना

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की ही पूजा की जाती है। भगवान गणेश जी पूजा करने से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं।

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है । गणेश चतुर्थी को बप्पा के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गणेश उत्सव का पर्व गणेश चतुर्थी के दिन आरंभ होता है जो अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन तक चलता है।

वर्ष 2023 में गणेश चतुर्थी की शुरुआत 19 सितंबर मंगलवार से हो रही है जिसका समापन 28 सितंबर 2023 अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाएगा ।

गणेश चतुर्थी को पूर्ण हर्ष और उल्लास के साथ घर कारोबार में गणेश जी की स्थापना की जाती है, मान्यता है कि इन दिनों गणेश जी की स्थापना करके उनकी विधि पूर्वक आराधना करने से जीवन से साथी कष्ट दूर होते है, सभी मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है ।

वैसे समान्यता 10 दिनों तक गणेशोत्सव मनाने की परंपरा है लेकिन बहुत से लोग एक दिन से लेकर तीन, पांच, सात या 10 दिनों तक के लिए बप्पा को घर ला सकते हैं।

इसका भी उतना ही शुभ फल प्राप्त होता है जितना कि अनंत चतुर्थी के दिन बप्पा का विसर्जन करने से मिलता है।

19 सितंबर को श्री गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करने का शुभ समय सुबह 10 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर के 01 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।

गणेश उत्सव मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही गणेश जी का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

वहीं दूसरी एक अन्त्य कथा के अनुसार महर्षि वेद-व्यास जी ने भगवान गणेश जी से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की तो विघ्हर्ता गणपति जी लगातार 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत लिखते रहे।

तब वेद-व्यास जी ने देखा कि गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ा हुआ है फिर उन्होंने 10वें दिन गणेश जी को नदी में स्नान करवाया। तभी से गणेश चतुर्थी मनाने की प्रथा शुरू हुई ।

आज विनायक चतुर्थी है । प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते है।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, विनायक चतुर्थी का व्रत सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। विनायक चतुर्थी की पूजा अमूमन दोपहर काल में की जाती है।

आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है ।

अवश्य पढ़ें :-  चाहते है बेदाग, गोरी त्वचा तो तुरंत करें ये उपाय, आप खुद भी आश्चर्य चकित हो जायेंगे

गणेश उत्सव, गणेश चतुर्थी के दिन ऐसे करें गणपति जी की आराधना, स्थापनाकष्ट होंगे दूर, पूरी होगी सभी मनोकामना

अवश्य जानिए, यह भी जानिए :-  पेट के दर्द करना हो छूमंतर तो तुरंत करें ये उपाय ,

हिन्दू धर्म में चन्द्रमा का विशेष स्थान है, चन्द्रमा के दर्शन, पूजा को बहुत ही शुभ माना जाता है लेकिन धर्म शास्त्रों में एक ऐसा भी दिन है जब चन्द्रमा के दर्शन करना बहुत ही अशुभ माना गया है।

साल में एक बार आने वाली भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना अशुभ माना गया है।

ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन चंद्रमा को देखने से व्यक्ति पर झूठे कलंक लगते हैं।

मान्यताओं के अनुसार गणेश जी ने चंद्र देव का घमंड देखकर उन को श्राप दे दिया कि, ‘तुम सदैव के लिए काले हो जाओगे’। गणेश जी के इस श्राप से चंद्र देव काले हो गए।

तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भगवान गणेश से क्षमा मांगने लगे तो गणेश जी ने उनको उनका रूप लौटा दिया ।

लेकिन यह कहा कि भाद्रपद चतुर्थी का दिन तुम्हें दंड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा और जो कोई भी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा। इस श्राप से देवता भी नहीं बच पाएंगे ।

इसीलिए इस दिन चन्द्रमा का भूल कर भी दर्शन नहीं करना चाहिए ।

जीवन में किसी भी प्रकार के कलंक से बचने, चंद्रमा के दर्शन के दोष को दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन अवश्य करें ये उपाय

अक्षय तृतीया के दिन अवश्य ही करें ये बहुत ही छोटी सी खरीददारी, घर धन – धान्य से भरा रहेगा,

  • नक्षत्र (Nakshatra) – स्वाति 13.48 PM तक तत्पश्चात विशाखा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है। 

स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है।

स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।

स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जन्माष्टमी के दिन अवश्य जानिए अपने प्रभु के परिवार के बारे में, भगवान श्री कृष्ण की पटरानियाँ और उनकी कितनी संताने थी 

  • योग :- वैधृति
  • योग के स्वामी :- वैधृति योग के स्वामी दिति और स्वभाव हानिकारक है । 
  • प्रथम करण : – विष्टि 1.43 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
  • द्वितीय करण : – बव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:08
  • सूर्यास्त – सायं 18:22
  • विशेष – किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।

क्या आप जानते है कि गणेश जी का दाँत कैसे टूटा था, चारो युग में गणेश जी के कौन कौन से वाहन है, अवश्य जानिए गणपति जी के बारे में विशेष बातें

  • पर्व – त्यौहार- गणेशोत्सवविनायक चतुर्थी,

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

19 सितम्बर 2023 का पंचांग, 19 September 2023 ka panchang, mangalwar ka panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang,mangalwar ka rahu kaal, mangalwar ka shubh panchang, panchang, tuesday ka panchang, tuesday ka rahu kaal, आज का पंचांग, मंगलवार का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, ट्यूसडे का पंचांग, ट्यूसडे का राहुकाल, पंचांग, मंगलवार का राहु काल, मंगलवार का शुभ पंचांग,

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..
धन्यवाद ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 30 सितम्बर 2024 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 30 सितम्बर 2024 का पंचांग, रविवार का पंचांग मंगलवार का पंचांग सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 30...