शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 12 अगस्त 2023 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 12 अगस्त 2023 का पंचांग,


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 12 अगस्त 2023 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    12 अगस्त
     2023 का पंचांग, 12 August 2023 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – 
सावन माह,
* पक्ष – 
कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – 
मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 5.48 AM से 6.54 AM तक

दोपहर 13.32 PM से 2.38 PM तक

रात्रि 20.51 PM से 9.44 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

इतने सारे कारण है जिसके कारण अक्षय तृतीया सबसे पुण्यदायक दिन माना गया है, अवश्य जानिए क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व,

  • तिथि (Tithi)- एकादशी सुबह 6.33 AM तक तत्पश्चात द्वादशी
  • तिथि का स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है I I

शुक्रवार 11 अगस्त तथा आज शनिवार 12 अगस्त दोनों ही दिन एकादशी तिथि है । लेकिन अधिकतर लोग आज ही एकादशी का ब्रत रख रहे है ।

अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 11 अगस्त 2023 को सुबह 05:06 मिनट पर होगा, तथा एकादशी तिथि आज 12 अगस्त 2023 सुबह 06:31 मिनट पर समाप्त होगी।

पुरषोत्तम माह अर्थात अधिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम ‘परमा एकादशी’ है। इसका व्रत रखने और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापो का नाश हो जाता हैं।

इस एकादशी का व्रत अति प्राचीन काल से चला आ रहा है। पुराणों के अनुसार सबसे पहले राजा हरिश्चंद्र ने परमा एकादशी का व्रत किया था।

उसके बाद महाभारत काल में इस एकादशी का उलेख्य मिलता है जब कौडिन्य ऋषि के कहने पर काम्पिल्य नगर (आज के फर्ररुखाबाद) के सुमेधा ब्राह्मण और उनकी पत्नी ने इस एकादशी का व्रत किया था।

महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत का नाम और महत्व बताते हुए कौडिन्य ऋषि की कथा सुनाई इस प्रकार आम लोगो को इस परमा एकादशी के पुण्य के बारे में मालूम पड़ा।

शास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि भगवान श्री विष्णु जी को अति प्रिय है । एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी / श्री कृष्ण जी की आराधना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी का ब्रत रखने वाला जातक भगवान विष्णु जी को बहुत प्रिय होता है ।

एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।

एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।

एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” अथवा ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। का आशिक से अधिक जाप करना चाहिए ।

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नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तर भाद्रपद

नक्षत्र के स्वामी :-     उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है। 

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26वां नक्षत्र है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र वैवाहिक आनंद, सुख समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। यह प्रकाश की किरण, संसार को खुशियों का आशीर्वाद देता है।

शनि और गुरु में शत्रुता है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के जातको पर जीवन भर शनि और गुरु का प्रभाव रहता है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : नीम तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए, इनको पीपल की सदैव / विशेषकर शनिवार को तो अवश्य ही सेवा करनी चाहिए ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक क्या हैं 6 और 8, भाग्यशाली रंग बैगनी तथा भाग्यशाली दिन गुरुवार, मंगलवार और शुक्रवार होता है ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – हर्षण योग 15.22 PM तक तत्पश्चात वज्र
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – बालव 6.33 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – कौलव 19.25 PM तक तत्पश्चात तैतिल
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:48 AM
  • सूर्यास्त – सायं 19:03 PM
  • विशेष : एकादशी को चावल, सेम की फली और दूसरों का अन्न नहीं खाना चाहिए चाहिए I।


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  • पर्व त्यौहार- कमला एकादशी या पद्मिनी एकादशी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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