मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 8 अगस्त 2023 का पंचांग,
मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,
Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
आज का पंचांग, Aaj ka Panchang, मंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,
8 अगस्त 2023 का पंचांग, 8 August 2023 ka panchang,
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
मार्ग शीर्ष माह में इस दिन है काल भैरव जयंती, भैरव नाथ सभी भय और संकटो का करेंगे नाश
*विक्रम संवत् 2080,
*शक संवत – 1945
*कलि सम्वत 5124
*अयन – उत्तरायण
*ऋतु – ग्रीष्म ऋतु
*मास – सावन माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ
मंगलवार को मंगल की होरा :-
प्रात: 5.46 AM से 6.52 AM तक
दोपहर 13.33 PM से 2.40 PM तक
रात्रि 20.53 PM से 9.46 PM तक
मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।
कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास
और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
मंगल देव के मन्त्र
ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा
ॐ भौं भौमाय नम:”
नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,
अगर पूरी करनी चाहते है अपनी सभी मनोकामनाएं तो अवश्य ही घर पर लगाएं यह वृक्ष
तिथि :- अष्टमी तिथि
तिथि के स्वामी :- अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलनाथ जी है।
आज अष्टमी तिथि है, अष्टमी तिथि जया तिथि या कलावती तिथि कहलाती है। मान्यता कि अष्टमी तिथि में किये गए कार्यो में सफलता मिलती है ।
यदि अष्टमी तिथि बुधवार को हो तो मृत्युदा योग बनाती है। इस समय शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
लेकिन अष्टमी तिथि जब मंगलवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। इस समय कार्य करने से कार्य सिद्ध होते है।
अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है ।
पूजा में उन्हें नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।
अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।
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अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,
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आज मासिक कालाष्टमी है । हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी, Bhairav Ashtmi, कालाष्टमी के दिन कालभैरव के भक्त उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं ।
इस दिन भैरव नाथ की सच्चे मन से पूजा, अर्चना और व्रत करने से भैरव नाथ अति प्रसन्न होकर भक्तो पर अपनी कृपा बरसाते है,सभी शत्रुओं, विपदाओं का नाश होता है और पाप एवं कष्ट दूर होते हैं।
इस दिन श्री कालभैरव जी का दर्शन-पूजन अत्यंत मनवाँछित फलो को प्रदान करने वाला होता है।
मान्यता है कि इस दिन भैरव जी की पूजा व व्रत करने से समस्त विघ्न, भूत, पिशाच एवं काल का भय भी भी दूर होता है।
भगवान शिव के इस रुप भैरव जी की पूजा उपासना करने वाला मनुष्य इनका आश्रय प्राप्त करके निर्भय हो जाता है तथा किसी भी तरह के कष्ट उसके निकट भी नहीं आते है।
भैरव नाथ की उपासना क्रूर ग्रहों के सभी बुरे प्रभाव को समाप्त करती है, शनि देव का प्रकोप भी शांत होता है।
भैरव नाथ को काले उड़द, काले गुलाब जामुन, उड़द के बड़े, नमकीन, मदिरा, काले तिल, लाल अनार आदि विशेष रूप से प्रिय है।
भैरव नाथ जी की मुख्य सवारी स्वान (कुत्ता ) है। भैरव अष्टमी के दिन एक रोटी लेकर उस पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी दो रंग वाले कुत्ते को खाने के लिए दें।
आज के दिन "ॐ कालभैरवाय नम:।"
की कम से कम एक माला का जाप अवश्य ही करें ।
अक्षय तृतीया के दिन अवश्य ही करें ये बहुत ही छोटी सी खरीददारी, घर धन – धान्य से भरा रहेगा,
- नक्षत्र (Nakshatra) – भरणी
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है ।
भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है।
यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है। भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है। भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है।
भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।
भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है ।
भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।
भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को भगवान शंकर जी की आराधना परम फलदाई है, इन्हे इस नक्षत्र के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
- योग :- गण्ड 16.42 PM तक तत्पश्चात वृद्धि
- योग के स्वामी :- गण्ड योग के स्वामी अग्नि एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है।
- प्रथम करण : – बालव 3.57 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
- द्वितीय करण : – कौलव
- करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
- गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
- दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 05:46
- सूर्यास्त – सायं 19:07
- विशेष – अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुध्दि का नाश होता है।
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- पर्व – त्यौहार- मासिक कालाष्टमी
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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