कुंडली से जानें क्या, कैसे और कितनी पढ़ाई करेगी आपकी संतान

कुंडली से जानें क्या, कैसे और कितनी पढ़ाई करेगी आपकी संतान 
शिक्षा मनुष्य को विनयशील बनाती है। विनयशीलता से योग्यता और योग्यता हो तो धन की प्राप्ति होती है। धन हो तो मनुष्य के मन में धर्म के प्रति आस्था का संचार होता है और जहां धर्म होता है और फिर उसे सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे में प्रत्येक माता-पिता का यह परम कर्तव्य बनता है कि वे अपनी संतान की बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करे। चाणक्य ने भी कहा है कि संतान को विद्या में लगाना चाहिए क्योंकि नीतिका: शील सम्पन्ना: भवति कुल पूजिता:।' अर्थात नीतिमान तथा शील संपन्न कुल में नीतिमान तथा शील संपन्न व्यक्ति का ही पूजन होता है। लेकिन अक्सर लोगों के सामने यक्ष प्रश्न होता है कि आखिर उनकी संतान क्या पढ़ाई करे, जिससे उसका उज्जवल भविष्य बने। ज्योतिष के पास इसका सटीक जवाब होता है, जिसके जरिए आप अपने बच्चे को सही दिशा दे सकते हैं।

मसलन, किसी जातक की कुंडली में यदि भावेश सुदृण हों और नवांश में शुभ ग्रह हो तो उसके उच्च शिक्षा का योग बनता है। जातक की कुंडली में शिक्षा का के योग को देखने के लिए उसकी कुंडली के द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम तथा एकादश आदि भावों की विवेचना की जाती है। उच्च शिक्षा हेतु जातक की कुंडली में बुधादित्य योग, गज केसरी योग, उपाध्याय योग, हंस योग, सरस्वती योग आदि होने चाहिए ।

द्वितीय भाव : आज के दौर में शिक्षा अर्जित करने के लिए आर्थिक स्थिति का मजबूत होना बहुत आवश्यक है, और आर्थिक स्थिति देखने के लिए जातक की कुंडली में द्वितीयेश तथा लाभेश केंद्र में हों तथा दोनों के बीच गृह परिवर्तन होना चाहिए।

चतुर्थ भाव : शिक्षा कैसे संस्थान में होगी इसकी जानकारी के लिए कुंडली के चतुर्थ भाव की पड़ताल की जाती है, यदि व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थेश बली होता है तो व्यक्ति की शिक्षा बड़े संस्थानों में होती है।

पंचम भाव : व्यक्ति की बुद्धिमता का परीक्षण करने के लिए कुंडली के पंचम भाव का विश्लेषण किया जाता है । पंचमेश का अन्य ग्रहों से कैसा संबंध है आदि की पड़ताल करके व्यक्ति के बौद्धिक स्तर की जांच की जाती है।

नवम भाव : जातक की उच्च शिक्षा की जानकारी नवम भाव से की जाती है यदि कुंडली में नवमेश का नवांश वर्गोत्तम या शुभ वर्ग है तो व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है।

एकादश भाव : मजबूत एकादशेश का नवमेश तथा पंचमेश के साथ केंद्र त्रिकोण में दृष्टि या युति सम्बन्ध हो तो उच्च शिक्षा का योग बनता है।

ग्रहों की दृष्टि से देखें तो किसी भी जातक की कुंडली में मौजूद तमाम स्थिति को देखकर जाना जा सकता है कि बच्चा पढ़ाई में कैसा होगा और किस क्षेत्र में कामयाब होगा —

चंद्र - यदि कुंडली में चंद्र  वृश्चिक का हो तो, स्मरण शक्ति काफी मजबूत होती है। चंद्र के बलाबल और दुर्बलता से व्यक्ति की स्मरण शक्ति की जानकारी प्राप्त होती है यदि चंद्र दुर्बल है और सही स्थान पर नहीं है तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति काफी कमजोर होती है। बली चंद्र केंद्र त्रिकोण तथा शुक्ल पक्ष की पंचमी तक हो, तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति काफी मजबूत होती है।  

बुध - जातक की गणितीय क्षमता, अभिव्यक्ति और आंकलन की क्षमता, सहज बुद्धि, विश्लेषण क्षमता, वाक् शक्ति, विश्लेषण क्षमता लेखन क्षमता आदि का पता बुध ग्रह के बलाबल से चलता है।

सूर्य -  सूर्य की स्थिति से व्यक्ति की तेजस्विता और सफलता  का आंकलन किया जाता है।
व्यक्ति के पंचम भाव तथा नवम भाव का सम्बन्ध व्यक्ति की तकनीकी शिक्षा से है। कुंडली में शनि, राहु, केतु तथा मंगल का सम्बन्ध उच्च तकनीकी शिक्षा से होता है।

उच्च शिक्षा प्राप्त करने के तीन मार्ग हैं - योग्यता के आधार पर, राजकीय शिक्षण संस्थाओं में नामांकन से और डोनेशन देकर प्रबंधन पाठ्यक्रम में नामांकन के जरिए। जिन छात्रों की जन्मकुंडली में गुरु केंद्र में हो, एकादशेश, पंचमेश तथा नवमेश भी केंद्र त्रिकोण तथा एकादश भाव में हों तो ऐसे प्रतिभावान छात्र योग्यता के आधार पर चयनित प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होते हैं और उनका नामांकन राजकीय शिक्षण संस्थाओं में होता है।

पेमेंट - जातक की जन्मकुंडली में द्वितीय, पंचम तथा नवम तथा एकादश भाव की संधियों के नक्षत्रों के स्वामियों या केंद्र में या द्वितीय भाव में हो तथा नवम और द्वितीय भावों के स्वामियों के नक्षत्र के साथ यथा द्वादश भाव की संधि के नक्षत्र के स्वामियों के उपस्वामियों का सम्बन्ध इनके साथ हो तो ऐसे जातक का नामांकन पेमेंट शीट पर होता है।

डोनेशन - जब कुंडली में पंचमेश या नवमेश बली होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तथा दोनों का द्वादशेश से युति या दृष्टि सम्बन्ध हो और पंचमेश, नवमेश तथा द्वितीयेश के नवांश में यदि द्वादशेश पड़ता हो तो जातक का नामांकन डोनेशन द्वारा होता है।

विदेश शिक्षा- जातक की कुंडली में यदि नवमेश पक्षी द्रेष्काण में हो तो व्यक्ति शिक्षा हेतु या किसी विषय में विशेषज्ञता हेतु विदेश जाने का योग बनता है। यदि पंचमेश, नवमेश तथा चतुर्थेश का सम्बन्ध या इनके उपस्वामियों का सम्बन्ध युति दृष्टि या अन्य ढंग से द्वादश एवं अष्टम भाव से हो तो व्यक्ति विदेश में शिक्षा ग्रहण करता है

पंचम तथा नवम भाव जिस जिस गृह के प्रभाव में होते हैं व्यक्ति की शिक्षा उस ग्रह से सम्बंधित विषयों में होती है। कुंडली में ग्रहों से सम्बंधित विषयों का संक्षिप्त विवरण —

सूर्य : दवा रसायन, प्रशासन राजनीति शास्त्र, आदि ।

चंद्र : समुद्र अभियंत्रण, मत्स्य पालन, संगीत, नर्स, गृहविज्ञान, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी, खेती, मनोविज्ञान आदि।

मंगल : सभी प्रकार का अभियंत्रण विशेषकर मेटलर्जी तथा माइनिंग, सर्जरी, पदार्थ विज्ञान, दवा, युद्ध विद्या आदि।

बुध : वाणिज्य, चार्टेड अकॉउंटेन्सी बैंकिंग, पत्रकारिता, गणित आर्किटेक आदि।

गुरु : धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, मानवशास्त्र, समाज विज्ञान आदि।

शुक्र: सुन्दर्य, प्रसाधन, नाट्य, सिनेमा, आर्किटेक्चर, फैशन डिज़ाइनर आदि।

शनि : कृषि मैकैनिकल इंजीनियरिंग, आर्किओलॉजी, इतिहास, वनस्पति शास्त्र, ज्योतिष।
राहु व केतु : ज्योतिष, तंत्र, लेदर टेक्नोलॉजी, विष विद्या, कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्युनिकेशन आदि।

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