Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 5 मई 2023 का पंचांग,
आप सभी को बुद्ध पूर्णिंमा की हार्दिक शुभकामनायें
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 5 मई 2023 ka Panchang,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
5 मई 2023 का पंचांग, 5 May 2023 ka Panchang,
- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2079 ,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत – 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – बैसाख माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क. सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन ,
शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-
प्रात: 5.43 AM से 6.49 AM तक
दोपहर 13.24 PM से 2.30 PM तक
रात्रि 20.42 PM से 9.36 PM तक
दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या
‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I
यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I
सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
शुक्र देव के मन्त्र :-
ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा
” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।
अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश
- तिथि, (Tithi) :- पूर्णिमा 23.03 PM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
- तिथि के स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है।
आज बैसाख माह की पूर्णिमा बुध पूर्णिमा है । शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसीलिए बैसाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है।
महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध को जिस दिन बोध गया में बोधिवृद्ध के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वह तिथि भी बैसाख पूर्णिमा ही थी ।
ऐसी भी मान्यता है कि बैसाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्री कृष्ण के बचपन के सखा सुदामा धनवान हुए थे ।
पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
पूर्णिमा के दिन “ॐ सोम सोमाय नम:” मन्त्र का जाप अवश्य ही करें। इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,
वर्ष 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 को बुध पूर्णिमा के दिन लगेगा लेकिन यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा ।
यह साल का पहला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो तब ये तीनों एक सीधी लाइन में कुछ देर के लिए आ जाते हैं तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।
लेकिन जब चंद्रमा पर पृथ्वी की परछाई सीधी न पड़े तो इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।
केवल 15 दिनों के अंदर ही यह वर्ष 2023 का दूसरा ग्रहण होगा। अभी 20 अप्रैल को बैसाख माह की अमावस्या के दिन ही साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था।
यह चंद्र ग्रहण एशिया के ज्यादातर हिस्से, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, हिंद महासागर, प्रशांत,अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा।
यधपि यह चंद्र ग्रहण भारत में नज़र नहीं आएगा लेकिन फिर भी सभी राशियों पर इसका प्रभाव अवश्य ही पड़ेगा । शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय किया गए जप – तप, दान से सामान्य दिनों से 10 लाख गुना अधिक फल मिलता है ।
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नक्षत्र ( Nakshatra ) : स्वाति 21.40 PM तक तत्पश्चात विशाखा
नक्षत्र के स्वामी :– स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है।
स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है।
स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।
स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।
स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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योग(Yog) :- सिद्धि 9.17 AM तक तत्पश्चात व्यतिपात
योग के स्वामी, स्वभाव :- सिद्धि योग के स्वामी भगवान गणेश जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
प्रथम करण : – विष्टि 11.27 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
द्वितीय करण :- बव 23.03 PM तक तत्पश्चात बालव
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 05:38
- सूर्यास्त – सायं : 18:59
- विशेष – पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए और ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए ।
- पर्व त्यौहार- बुद्ध पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण
- मुहूर्त (Muhurt) –
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“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।5 मई 2023 का पंचांग, 5 May 2023 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग,
दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद । - तिथि के स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है।
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