शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 22 अप्रैल 2023 का पंचांग,


शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 22 अप्रैल 2023 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

आप सभी को अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनायें


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग22 अप्रैल 2023 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    22 अप्रैल
     2023 का पंचांग, 22 April 2023 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – 
बैसाख माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क. सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन ,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 5.49 AM से 6.54 AM तक

दोपहर 13.25 PM से 2.30 PM तक

रात्रि 20.40 PM से 9.35 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

इतने सारे कारण है जिसके कारण अक्षय तृतीया सबसे पुण्यदायक दिन माना गया है, अवश्य जानिए क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व,

  • तिथि (Tithi)- द्वितीया 7.49 AM तक तत्पश्चात तृतीया
  • तिथि का स्वामी – द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी और तृतीया तिथि के स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी है।

द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।

द्वितीया तिथि को चारो वेदो के रचियता ब्रह्मा जी का स्मरण करने से कार्य सिद्ध होते है।

व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।

देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।

ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।

द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश

अवश्य पढ़ें :- अक्षय तृतीया के दिन अवश्य ही करें ये बहुत ही छोटी सी खरीददारी, घर धन – धान्य से भरा रहेगा,

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वर्ष 2023 में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 22 अप्रैल 2023 को सुबह 07.49 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 23 अप्रैल 2023 को सुबह 07.47 मिनट तक है ।

चूँकि शनिवार 22 अप्रैल को तृतीया तिथि का दिन भर मान रहेगा और पूजा और खरीदारी का मुहूर्त भी इसी दिन मिल रहा है इसलिए 22 अप्रैल शनिवार को ही अक्षय तृतीया का पर्व मानना श्रेयकर रहेगा ।

दूसरी ओर 23 अप्रैल को भी अक्षय तृतीया पर स्नान, दान का महत्व है ।

“न क्षयति इति अक्षय” अर्थात जिसका कभी क्षय न हो उसे अक्षय कहते हैं और वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। इसी दिन भगवान परशुरामका जन्म होने के कारण इस दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है।

अक्षय तृतीया, Akshaya Tritiya के दिन गंगा-स्नान करने एवं भगवान श्री कृष्ण को चंदन लगाने का महत्त्व है।

इस दिन सूर्योदय से पर्व गंगा स्नान / पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यदि घर पर ही स्नान करना पड़े तो सूर्य उदय से पूर्व उठ कर एक बाल्टी में जल भर कर उस में गंगा जल मिला कर स्नान करना चाहिए ।

मान्यता है कि इस दिन राजा भागीरथ की घोर तपस्या के बाद मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं और राजा भागीरथ के सभी पूर्वजो को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी । इस दिन पवित्र गंगा में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही माँ पार्वती ने देवी अन्नपूर्णा के रूप में अवतार लिया था तथा भगवान शिव ने उनसे भिक्षा प्राप्त की थी।

अक्षय तृतीया के अवसर पर ही म‍हर्षि वेदव्‍यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था।

अक्षय तृतीया के दिन ही धर्मराज युधिष्ठर को ‘अक्षय पात्र’ की प्राप्ति भी हुई थी।

इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु को सत्तू का भोग लगाया जाता है और प्रसाद में इसे ही बांटा जाता है। इस दिन प्रत्येक मनुष्य सत्तू अवश्य खाना चाहिए।

और भी ढेर सारे कारण है जिससे पता चलता है कि क्यों अक्षय तृतीया को वर्ष की सबसे शुभ तिथि माना जाता है ।

माना जाता हैं कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी खरीदा जाता है उसमें दिनदूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है ।

अक्षय तृतीया पर चाँदी की कोई भी वस्तु खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है । इसलिए यदि संभव हो तो इस दिन चाँदी अवश्य ही खरीदें ।

दान अगर शुभ समय, शुभ मुहूर्त और वो भी अक्षय तृतीया जैसी पुण्य प्रदान करने वाली तिथि में किया जाय तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है अर्थात वह पुण्य कभी भी समाप्त नहीं होता है।

अक्षय तृतीया के दिन दान द्वारा अर्जित पुण्य लिखने में तो स्वयं चित्रगुप्त भी असमर्थ है। गरीब से लेकर अमीर, सभी को अपनी-अपनी दशा के अनुसार कुछ-न कुछ अवश्य ही दान करते रहना चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन विशेषकर जौ, तिल, घी और का चावल का दान महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन यथासंभव आदित्यहृदय स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य ही करना चाहिए । अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya के दिन भगवान विष्णु के नरसिंह रुप का अवश्य ही ध्यान करें।

आज भगवान नरसिंह के मंत्र का जाप करने से समस्त भय और संकट दूर होते है।

नक्षत्र (Nakshatra)- कृतिका

नक्षत्र के स्वामी :-     कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है।

कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है जो सात सितारों के एक समूह,आग को दर्शाता है और इसे शक्ति और ऊर्जा का अंतिम स्रोत माना जाता है।

यह नक्षत्र भगवान अग्नि देव द्वारा शासित है । कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

कृतिका नक्षत्र का तत्व अग्नी, आराध्य वृक्ष उंबर, औदुंबर और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3 और 9, भाग्यशाली रंग पीला और लाल , भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार होता है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज गायत्री मन्त्र “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को गूलर के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और

अपने घर अथवा मंदिर में गूलर के पेड को लगाकर उसकी सेवा करनी चाहिए ।

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – आयुष्मान 9.26 AM तक तत्पश्चात सौभाग्य
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – कौलव 7.49 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – तैतिल 19.43 तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:49 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:51 PM
  • विशेष :- द्वितीया को बैगन और नींबू का सेवन ना करें ।


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  • पर्व त्यौहार- अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

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