शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 15 अप्रैल 2023 का पंचांग,
Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 15 अप्रैल 2023 ka Panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
15 अप्रैल 2023 का पंचांग, 15 April 2023 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
अगर धन की लगातार परेशानी रहती है, धन नहीं रुकता हो, सर पर कर्ज चढ़ा तो अवश्य करें ये उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
* विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – बैसाख माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन
शनिवार को शनि महाराज की होरा :-
प्रात: 5.56 AM से 7.00 AM तक
दोपहर 13.25 PM से 2.29 PM तक
रात्रि 20.38 PM से 9.33 PM तक
शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
शनि देव के मन्त्र :-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
अथवा
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
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- तिथि (Tithi)- दशमी 20.45 PM तक तत्पश्चात एकादशी
- तिथि का स्वामी – दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी और एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विश्वदेव जी है।
दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है।
शास्त्रों के अनुसार यमराज जी मृत्यु के देवता कहे गए हैं। यह भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र है, यमुना अर्थात (यमी) इनकी जुड़वां बहन और मनु इनके भाई कहे गए है। यमराज की पत्नी का नाम देवी धुमोरना तथा इनके पुत्र का नाम कतिला है।
यमराज जी का वाहन महिष / भैंसे को माना गया हैं। वे समस्त जीवों के शुभ अशुभ कर्मों का निर्णय करते हैं।
इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है, नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है।
इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है । दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है। इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है।
यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।
दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए।
अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश
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नक्षत्र (Nakshatra)- श्रवण 7.36 AM तक तत्पश्चात धनिष्ठा
नक्षत्र के स्वामी :- श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है।
श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है।
श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।
श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है।
यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।up Q
- योग (Yog) – साध्य 6.33 AM तक तत्पश्चात शुभ
- योग के स्वामी, स्वभाव :- साध्य योग की स्वामी देवी सावित्री जी और स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
- प्रथम करण : – वणिज 9.59 AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।
- द्वितीय करण : – विष्टि
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 05:56 AM
- सूर्यास्त – सायं 18:47 PM
- विशेष :- दशमी के दिन कलम्बी,परवल का सेवन नहीं करना चाहिए ।
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- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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