रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 30 अप्रैल 2023 का पंचांग,

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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

30 अप्रैल 2023 का पंचांग, 30 April 2023 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
30 अप्रैल
 2023 का पंचांग30 April 2023 ka Panchang,

इतने सारे कारण है जिसके कारण अक्षय तृतीया सबसे पुण्यदायक दिन माना गया है, अवश्य जानिए क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – बैसाख माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 5.41 AM से 6.47 AM तक

दोपहर 13.24 PM से 2.30 PM तक

रात्रि 20.43 PM से 9.36 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi)- दशमी 20.28 PM तक तत्पश्चात एकादशी
  • तिथि के स्वामी :- दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी और एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी है।

दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है।    

शास्त्रों के अनुसार यमराज जी मृत्यु के देवता कहे गए हैं। यह भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र है, यमुना अर्थात (यमी)  इनकी जुड़वां बहन और मनु इनके भाई कहे गए है। यमराज की पत्नी  का नाम देवी धुमोरना तथा इनके पुत्र का नाम कतिला है।

यमराज जी का वाहन महिष / भैंसे को माना गया हैं। वे समस्त जीवों के शुभ अशुभ कर्मों का निर्णय करते हैं।

इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है,  नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है।

 इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है । दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है। इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है।  

यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।  
दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए।     

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  • नक्षत्र (Nakshatra)-  – मघा 15.30 PM तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  मघा नक्षत्र के देवता पितर देव और नक्षत्र स्वामी केतु जी है।

मघा का अर्थ होता है महान। मघा नक्षत्र का आकाश में 10वां स्थान है। मघा नक्षत्र के चारों चरण सिंह राशि में हीआते हैं।

मघा नक्षत्र को सिंहासन द्वारा दर्शाया गया है जो शक्ति, उच्च प्रतिष्ठा, गुणों का प्रतीक है। मघा नक्षत्र के जातको पर जीवन भर केतु और सूर्य का प्रभाव रहता है।

मघा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बरगद एवं नक्षत्र का स्वभाव उग्र, क्रूर माना गया है।।

मघा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 7 और 10, भाग्यशाली रंग, क्रीम, लाल , भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार का माना जाता है ।

मघा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पितृभ्यो नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

मघा नक्षत्र के जातको को हर अमावस्या को पितरो के निमित ब्राह्मण भोजन और दान पुण्य करना चाहिए इससे पितरो के आशीर्वाद से जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है ।

इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और माँ काली की आराधना भी श्रेष्ठ फलदाई कही गयी है ।

मघा नक्षत्र का पेड़ बरगद है, अतः मघा नक्षत्र में बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।

इस नक्षत्र के जातको को बरगद के पेड़ के एक पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसे अपने घर के मंदिर में रखकर अगले दिन उस पत्ते को बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – वृद्धि 11.17 AM तक तत्पश्चात ध्रुव
  • योग के स्वामी :-   वृद्धि  योग के स्वामी सूर्य देव एवं स्वभाव शुभ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – तैतिल 7.27 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – गर 20.28 PM तक तत्पश्चात वणिज
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:42
  • सूर्यास्त – सायं 18:55

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • दशमी के दिन कलम्बी,परवल का सेवन नहीं करना चाहिए 
  • पर्व त्यौहार-

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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