मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 11 अप्रैल 2023 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 11 अप्रैल 2023 का पंचांग,


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

11 अप्रैल 2023 का पंचांग, 11 April 2023 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

*विक्रम संवत् 2079,
*शक संवत – 194
4
*कलि सम्वत 5124
*अयन – उत्तरायण
*ऋतु – बसंत
 ऋतु
*मास –
 बैसाख माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.00 AM से 7.04 AM तक

दोपहर 13.26 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.36 PM से 9.33 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें । कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,

अगर पूरी करनी चाहते है अपनी सभी मनोकामनाएं तो अवश्य ही घर पर लगाएं यह वृक्ष

तिथि :- पंचमी 7.17 AM तक तत्पश्चात षष्टी

तिथि के स्वामी :- पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है।

पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।

पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं। पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।

पंचमी जब शनिवार के दिन होती है, तो वह मृत्युदा योग बनाती है। यह अशुभ योग माना गया है।

जब पंचमी तिथि गुरुवार के दिन होती है तो बहुत ही शुभ सिद्धिदा योग बनता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्धिदा योग में किए गए कार्य श्रेष्ठ फल प्रदान करते है।

प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नामो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया
का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।

पंचमी को नागो के पौराणिक नाम “अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल” का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।

पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।  

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अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

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अक्षय तृतीया के दिन अवश्य ही करें ये बहुत ही छोटी सी खरीददारी, घर धन – धान्य से भरा रहेगा,

  • नक्षत्र (Nakshatra)- ज्येष्ठा 12.58 PM तक तत्पश्चात मूल
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है। ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’। ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।

देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है, ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने आयु से पूर्व ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाते हैं।

ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग सफ़ेद, भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार माना जाता है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का जाप, भगवान श्री विष्णु की उपासना करनी चाहिए, इससे बुध्दि और व्यापार के देवता बुद्ध ग्रह अनुकूल होते है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र वाले दिन भगवान बुद्ध के मन्त्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। का जाप करने से भी ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ फल प्राप्त होते है ।

नवरात्री के दिन बहुत ही सिद्ध और शक्ति संपन्न होते है, नवरात्री के इस उपाय से मिलेगी सभी कार्यों में श्रेष्ठ सफलता, जानिए नवरात्री के अचूक उपाय,

  • योग :- वरीयान 17.53 PM तक तत्पश्चात परिध
  • योग के स्वामी :-   वरीयान योग के स्वामी कुबेर देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – तैतिल 7.17 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – गर 18.31 PM तक तत्पश्चात वणिज
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:00
  • सूर्यास्त – सायं 18:44
  • विशेष – पंचमी तिथि को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पंचमी को बेल का सेवन करने से अपयश मिलता है।  
    पंचमी तिथि को कर्ज भी नहीं देना चाहिए, पंचमी को कर्ज देने से धन डूब जाता है तथा धन के आगमन में भी रुकावटें आने लगती है ।

नवरात्री में आज माँ को इस खाद्य पदार्थ का लगाएं, माँ की मिलेगी असीम कृपा, जानिए नवरात्री में माता के प्रत्येक दिन के भोग

  • पर्व – त्यौहार-

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 942520350
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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