गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 6 अप्रैल 2023 का पंचांग,

आप सभी को हनुमान जी के प्राकट्य दिवस, हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 6 अप्रैल 2023 का पंचांग,
बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
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गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
6 अप्रैल 2023 का पंचांग, 6 April 2023 Ka Panchang,
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- गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 6 अप्रैल 2023 का पंचांग,
- दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
- गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । - गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया, - गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
6 अप्रैल गुरुवार को हनुमान जी के प्राकट्य दिवस के दिन अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है,

- *विक्रम संवत् 2079,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – चैत्र माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-
प्रात: 6.06 AM से 7.09 AM तक
दोपहर 13.26 PM से 2.29 PM तक
रात्रि 20.35 PM से 9.32 PM तक
गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
बृहस्पति देव के मन्त्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
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- तिथि (Tithi) :- पूर्णिमा प्रात: 10.04 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
- तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के अग्नि देव जी है।
पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
पूर्णिमा के दिन “ॐ सोम सोमाय नम:” मन्त्र का जाप अवश्य ही करें। इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
हनुमान जयंती के दिन बजरंग बलि जी को इस तरह से चढ़ाएं चोला, सभी मनोकामनाएं होगी पूरी

आज हनुमान जन्मोत्सव है अर्थात हनुमान जी का प्राकट्य दिवस है ।
माना जाता है की हनुमान जी का जन्म वानर रूप में त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 4 बजे अंजनी माता जी के गर्भ से हुआ था । वे भगवान् शिव के 11 वें अवतार माने जाते है।
हनुमान जी के पिता का नाम वानर राज केसरी है, केसरी जी के कुल 6 पुत्र बताए गए हैं और सभी में बजरंगबली को सबसे बड़ा बताया गया है।
बजरंग बलि को हनुमान नाम अपनी ठोड़ी के आकार के कारण मिला । संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी। इसी लिए पवनपुत्र हनुमान भी कहलायें जाते है।
राम भक्त हनुमान दुर्गा माँ के सेवक भी माने गए हैं। हनुमानजी माँ दुर्गा के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे-पीछे।
इसीलिए माँ दुर्गा के देश में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर जरूर होते हैं।
हनुमानजी मातंग ऋषि के शिष्य माने जाते थे।
हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है। हनुमान जी की कृपा पाने, किसी भी संकट से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जंयती के दिन बजरंगबली को सिंदूर का चोला अवश्य चढ़ाएं।
इससे बजरंगबली की कृपा से समस्त कार्यो में सफलता मिलती है। इस उपाय से शनि देव के प्रकोप में भी कमी आती है।
हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को तुलसी और गुलाब की माला अर्पित करें, इस उपाय को करने से शनि – राहु – मंगल आदि ग्रहो के प्रकोप में भी कमी आती है।
आज के दिन मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके लाल पेड़े / बूंदी / या लड्डुओं का प्रशाद चढ़ाएं ।
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जीवन में कोई भी मनोकामना हो हनुमान जी के जन्मोत्सव के दिन अवश्य ही करें ये उपाय
- नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त 12.42 PM तक तत्पश्चात चित्र
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – हस्त नक्षत्र के देवता सुर्य और स्वामी चंद्र देव जी है।
आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है।
यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।
हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।
हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5, भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।
हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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योग :- व्याघात
योग के स्वामी, स्वभाव :- व्याघात योग के स्वामी वायु देव एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
प्रथम करण :- बव 10.04 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
द्वितीय करण :- बालव 22.15 PM तक तत्पश्चात कौलव
करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
- दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:06
- सूर्यास्त – सायं 18:42
- विशेष – पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।।
- पर्व त्यौहार– हनुमान जन्मोत्सव, चैत्र माह की पूर्णिमा
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)
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