शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 18 फरवरी 2023 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 18 फरवरी 2023 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

आप सभी को महाशिवरात्रि के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग18 फरवरी 2023 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    18 फरवरी
     2023 का पंचांग, 18 February 2023 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – 
फाल्गुन माह,
* पक्ष – 
कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह,वृश्चिक, मकर, मीन,

जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न,

  • तिथि (Tithi)- त्रियोदशी 20.02 PM तक तत्पश्चात चतुर्दशी
  • तिथि का स्वामी – त्रियोदशी के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है।

 त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी  हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए  हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।

कामदेव का वाहन हाथी को  माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।

त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।

त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।  

अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए  त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला  जाप अवश्य करें ।

इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है।

शनि अमावस्या के दिन शनि देव और राहु के शुभ फलो के लिए करें ये आसान उपाय

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महाशिवरात्रि पर राशिनुसार इस तरह से करें भगवन भोलेनाथ का अभिषेक मिलेगी सर्वत्र सफलता

आज 18 फरवरी, शनिवार को भगवान भोलेनाथ जी को अति प्रिय महाशिवरात्रि का महा पर्व है। इस दिन भगवान शंकर और माँ पार्वती की पूजा करने ब्रत रखने से पूरे वर्ष की शिव पूजा का फल प्राप्त हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, देवी सती जी का पार्वती देवी के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। भगवान शंकर माता पार्वती के आराध्य थे वह भगवान शिव को को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी।

इसके लिए उन्होंने त्रियुगी नारायण से पांच किलोमीटर दूर गौरीकुंड में तप किया पारवती जी ने अपनी कठिन साधना से शिव भगवान का ह्रदय जीत लिया।

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ जी और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था ।

ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का इस मृत्यु लोक में प्रकाट्य हुआ था ।

शास्त्रों में महाशिवरात्रि का अत्यधिक महत्त्व बताया गया है, महाशिवरात्रि का पर्व भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का सबसे बड़ा दिन है ।

शास्त्रों के अनुसार एक बार माँ पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि संसार में उन्हें कौन सी पूजा कौन सा ब्रत प्रिय है जिससे मनुष्यो को उनकी कृपा प्राप्त हो सके, तब भगवान आशुतोष ने उन्हें स्वयं इस दिन के महत्व बताया था कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि को जो उपवास करता है, मेरी आराधना करता है मै उससे बहुत प्रसन्न होता हूँ।

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी का शुभारंभ: 18 फरवरी, रात्रि 08:02 बजे से
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की समाप्ति: 19 फरवरी, सांय 04:18 बजे पर

चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में निशिता काल में की जाती है, इसलिए महा शिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को ही मनाया जायेगा ।

इस वर्ष 2023 महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है, 17 जनवरी 2023 को शनि देव कुंभ राशि में आये थे।

13 फरवरी को सूर्य ग्रह भी इस राशि में आ रहे हैं, 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अतिरिक्त चंद्र देव भी कुंभ राशि में होंगे ।

इसलिए कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा तीनो ग्रहो के कारण त्रिग्रही योग का निर्माण होगा, यह बहुत ही श्रेष्ठ और दुर्लभ संयोग माना जा रहा है ।

नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तरषाढ़ा 17.42 PM तक तत्पश्चात श्रवण

नक्षत्र के स्वामी :-     उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्‍वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है ।   

उत्तराषाढा नक्षत्र 21 वें नंबर का नक्षत्र है। उत्तराषाढ़ा’ का अर्थ होता है अजेय, विजय के पश्चात। यह एक हाथी के दांत जैसा प्रतीत होता है।

उत्तराषाढ़ नक्षत्र तारे का लिंग स्त्री है। उत्तराषाढा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कटहल और नक्षत्र का स्वभाव स्थिर माना गया है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 3 और 8, भाग्यशाली रंग, तांबे का रंग, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार और शुक्रवार का माना जाता है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य गणेश संकट स्रोत्र का पाठ करना चाहिए इससे कार्यो में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – व्यतिपात 19.36 PM तक तत्पश्चात वरीयान
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- व्यतिपात योग के स्वामी रूद्र देव जी एवं स्वभाव अशुभ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – गर 9.51 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – वणिज 20.02 PM तक तत्पश्चात विष्टि
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:57 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:13 PM
  • विशेष :- त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।


अचला सप्तमी के दिन इस उपाय से जीवन में सुख – समृद्धि, हर्ष, और आरोग्य की होगी प्राप्ति

  • पर्व त्यौहार- महाशिवरात्रि
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

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