सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 7 नवम्बर 2022 का पंचांग,
आप सभी को देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 7 नवम्बर 2022 का पंचांग,
Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।
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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,
7 नवम्बर 2022 का पंचांग, 7 Npvember 2022 ka Panchang,
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
- दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।
सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।
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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन।
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- तिथि (Tithi)- चतुर्दशी 16.15 PM तक तत्पश्चात पूर्णिमा
- तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव जी है।
चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मासिक शिवरात्रि कहलाती है।
अतः प्रत्येक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है ।
चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।
किसी भी पक्ष की चतुर्दशी में शुभ कार्य करना वर्जित हैं क्योंकि इसे क्रूरा कहा जाता है, चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथियों की श्रेणी में आती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मा जातक समान्यता धर्मात्मा, धनवान, यशस्वी, साहसी, परिश्रमी तथा बड़ो का आदर सत्कार करने वाला होता है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे लोगों को क्रोध बहुत आता है। इस तिथि में जन्मे जातक साहसी और परिश्रमी होते हैं। इन लोगों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है तभी इन्हे सफलता हाथ लगती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।
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शास्त्रो में देव दीपावली का अत्यंत महत्व है । मनुष्यो की दीपावली मनाने के एक पक्ष अर्थात 15 दिनों के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं की दीपावली अर्थात देव दीपावली होती है।
मान्यता है कि देव दीपावली मनाने के लिए सभी देवतागण स्वर्ग से धरती पर गंगा नदी के पावन घाटों पर अदृश्य रूप में आते हैं। देव दीपावली, दीपावली समारोह का अंतिम उत्सव है।
कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन 8 नवंबर 2022 को चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण भी भारत में नज़र आएगा, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है।
देव दिवाली के दिन 8 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 01बजकर 32 मिनट से शाम 07 बजकर 27 मिनट तक लगेगा । ग्रहण के कारण 8 नवम्बर को देव दीपवाली मनाना उचित नहीं है ।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के कई ग्रंथों जैसे, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि के आधार पर ज्योतिषाचार्यो, धर्म के विद्वानों ने देव दीपावली का पर्व 7 नवंबर को मनाने की सहमति दी।
अत: वर्ष 2022 में देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन 7 नवम्बर सोमवार को मनाई जाएगी ।
देव दिवाली के दिन घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए, इस दिन भगवान श्री विष्णु जी को तुलसी जी अर्पित करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है ।
देव दीपावली के दिन अपने घर को दीप मालाओं से सजाना चाहिए, दीपकोंके प्रकाश से रौशन करना चाहिए, इससे माँ लक्ष्मी की असीम कृपा मिलती है ।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र उदय के समय इनका नाम लेने से समस्त मनोकामनाएं होती है पूरी,
- नक्षत्र (Nakshatra)- अश्विनी
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनीकुमार जी और नक्षत्र के स्वामी केतु जी है ।
अश्विन नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र है और घोड़े के सिर का प्रतीक है। अश्विनी नक्षत्र साहस, जीवन, और शक्ति का प्रतीक है।
अश्विनी एक देवता नक्षत्र है जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह नाम अश्विनी-कुमारों से संबंधित है जो हिंदू देवता माने जाते हैं।
अश्विनी नक्षत्र का लिंग पुरुष है। अश्विन नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कुचला और स्वभाव शुभ माना गया है ।
अश्विन नक्षत्र में जन्मे जातक धनवान तथा भाग्यवान होते है। यह धन, स्त्री,आभूषण तथा पुत्रादि का पूर्ण सुख प्राप्त करते है। ऐसे जातक सक्रिय, उत्साही होते है यह अपने फैसलों पर दृढ़ रहते हैं।
अश्विनी नक्षत्र के जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 7 और 9, भाग्यशाली रंग पीला, मैरून, ऑरेंज, गुलाबी, एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार होता है ।
आज अश्विनी नक्षत्र के मंत्र “ॐअश्विनी कुमाराभ्यां नमः” का 108 बार जाप करें इससे अश्विनी नक्षत्र को बल मिलेगा।
दिवाली की रात ऐसे करें पूजा घर में पूरे वर्ष सुख – समृद्धि, धन की होगी वर्षा, जानिए दीपावली की पूजा विधि प्राप्त
- योग(Yog) – सिद्धि 22.35 PM तक तत्पश्चात व्यतिपात
- योग के स्वामी :- सिद्धि योग के स्वामी भगवान गणेश जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
- प्रथम करण : – वणिज 16.15 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।
- द्वितीय करण : – विष्टि
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
- गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
- यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह -7:30 से 9:00 तक।
अपनी आकृषण शक्ति, चुम्बकीय शक्ति बढ़ाना चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय - * सूर्योदय – प्रातः 06:37
- * सूर्यास्त – सायं 17:32
- विशेष – शास्त्रों में चतुर्दशी को हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन, तिल का तेल, लाल रंग का साग, काँसे के बर्तन में भोजन एवं शारीरिक संबंध बनाना मना किया गया है।
- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।
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