मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 4 अक्टूबर 2022 का पंचांग,
आप सभी को नवरात्री की नवमी की हार्दिक शुभकामनायें
मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,
Panchang, पंचाग, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
आज का पंचांग, Aaj ka Panchang, मंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,
4 अक्टूबर 2022 का पंचांग, 4 October 2022 ka panchang,
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
मार्ग शीर्ष माह में इस दिन है काल भैरव जयंती, भैरव नाथ सभी भय और संकटो का करेंगे नाश
*विक्रम संवत् 2079,
*शक संवत – 1944
*कलि सम्वत 5124
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – शरद् ऋतु
*मास – अश्विन माह,
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,
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तिथि :- नवमी 14.20 PM तक तत्पश्चात दशमी
तिथि के स्वामी :- नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी और दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है।
नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा जी हैं ऎसे में जातक को दुर्गा जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नही हो पा रहा है तो जातक को चाहिए की दुर्गा सप्तशती के पाठ को करे और मां दुर्गा जी को लाल पुष्प अर्पित करके अपने जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने की प्रार्थना करे।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
किसी भी प्रकार के युद्ध में विजय पाने के लिए ये तिथि अनुकूल मानी गई है।
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जय माँ श्री सिद्धिदात्री
नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री का है जिनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है उसे बुरे कर्मों से लडने की शक्ति मिलती है।
मां सिद्धिदात्री की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कमल के आसान पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है । आज के दिन मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल व धन की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री अष्टसिद्धियां प्रदान करने वाली देवी है देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्ति स्वरूपा देवी की उपासना करके सभी शक्तियां प्राप्त की थीं जिसके प्रभाव से शिव का आधा शरीर स्त्री का हो गया था।
शिवजी का यह स्वरूप अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इस तरह नवरात्र के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना करने वाले भक्तों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।
नवरात्रि में नवें दिन इस मंत्र जाप करना चाहिए।
सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
- नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तराषाढ़ा 22.51 PM तक तत्पश्चात श्रवण
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है।
उत्तराषाढा नक्षत्र 21 वें नंबर का नक्षत्र है। उत्तराषाढ़ा’ का अर्थ होता है अजेय, विजय के पश्चात। यह एक हाथी के दांत जैसा प्रतीत होता है।
उत्तराषाढ़ नक्षत्र तारे का लिंग स्त्री है। उत्तराषाढा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कटहल और नक्षत्र का स्वभाव स्थिर माना गया है ।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक पर सूर्य, शनि और गुरु का प्रभाव बना रहता है।
उत्तराषाढा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 3 और 8, भाग्यशाली रंग, तांबे का रंग, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार और शुक्रवार का माना जाता है ।
उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य गणेश संकट स्रोत्र का पाठ करना चाहिए इससे कार्यो में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है
नवरात्री में इस तरह से करें कन्या पूजन, सभी तरह के वास्तु दोष, विघ्न, भय और शत्रुओं का होगा नाश,
- योग :- अतिगण्ड 11.23 AM तक तत्पश्चात सुकर्मा
- योग के स्वामी :- अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक है ।
- प्रथम करण : – कौलव 14.20 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
- द्वितीय करण : – तैतिल
- करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
- गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
- दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:15
- सूर्यास्त – सायं 18:04
- विशेष – शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू नहीं खाना चाहिए।
- पर्व – त्यौहार- नवरात्री की नवमी
जीवन में समस्त संकटो को दूर करने, सफलता का द्वार खोलने के लिए नवरात्री के मंगलवार को अवश्य ही करें ये उपाय
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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