सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 26 सितम्बर 2022 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 26 सितम्बर 2022 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 26 सितम्बर 2022 का पंचांग,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

26 सितम्बर 2022 का पंचांग, 26 September 2022 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन।

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  • तिथि (Tithi)- प्रतिपदा
  • तिथि का स्वामी – प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है I 

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

आज अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शूरू होते हैं। इस साल में शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होंगे जो कि 4 अक्टूबर तक चलेंगे, 5 अक्टूबर को विजय दशमी का पर्व है ।

इस बार अश्विन नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होने जा रहा है जो कि बहुत ही शुभ होगा ।

नवरात्र के 9 दिनों में शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माँ दुर्गा की श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। बहुत से भक्त गण नवरात्री का ब्रत रखकर, फलाहार रहते हुए माँ की आराधना करते है ।

साल में चार नवरात्रि होती है जिसमें से दो गुप्त और अन्य दो प्रत्यक्ष नवरात्रि कहलाती है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलते हैं।

नवरात्री के प्रथम दिन शुभ महूर्त में कलश की स्थापना करके माँ दुर्गा का आहवान किया जाता है । शास्त्रों के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करने से घर कारोबार में निश्चय जी मनवाँछित फलो की प्राप्ति होती है ।

शरद नवरात्री में घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

नवरात्रि कलश स्थापना का अमृत मुहूर्त सूर्योदय से 7.27 बजे तक घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।

इसके अलावा शुभ का चोगड़िया के मुहूर्त में सुबह 9.19 से 10.49 तक में कलश की स्थापना कर सकते है ।

आप दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्‍थापना कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त 1.30 से 5.05 तक चर, लाभ और अमृत की चौघड़िया में भी कलश की स्थापना की जा सकती है।

सोमवार को राहू काल सुबह 7:30 से 9:00 बजे तक रहेगा, राहु काल में कलश स्थापना का कार्य नहीं करना चाहिए।

माँ शैलपुत्री

नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की आराधना की जाती है। यह मां दुर्गा का प्रथम रूप है। मां का यह अद्भुत रूप है।

दाहिने हाथ में त्रिशूल व बांए हाथ में कमल का फूल लिए मां अपने पुत्रों को आर्शीवाद देने आती है। पूर्वतराज हिमालय की पुत्र के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनको शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है।

श्वेत व दिव्य रूप में मां शैलपुत्री वृषभ के उपर बैठी है। माँ के इस रूप की आराधना करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है ।

इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार‘ च्रक में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।

मां शैलपुत्री की आराधना का मंत्र …

वन्दे वांछितलाभाय चंद्राद्रधकृतशेखराम
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।

नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,

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  • नक्षत्र (Nakshatra)- आद्रा 18.11 PM तक तत्पश्चात पुनर्वसु
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-     आद्रा नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव) और नक्षत्र के स्वामी राहु जी है । 

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आद्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आद्रा नक्षत्र में जन्मे जातको पर राहु का प्रभाव रहता है अत: इन्हे राहु का उपाय अवश्य करना चाहिए । इन्हे अनैतिक कार्यो से सदैव दूर रहना चाहिए अन्यथा इन्हे अपमान अपयश का सामना करना पड़ सकता है ।

आद्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 4, 7 और 9, भाग्यशाली रंग, लाल और बैंगनी, भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

आद्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन आद्रा नक्षत्र हो उस दिन ॐ रुद्राय नम: मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे आद्रा नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।

आर्द्रा नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभदायक होता है।

भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए. सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है।

यह है नवरात्री में कलश स्थापना का सर्वोत्तम मुहूर्त, इस समय घर पर कलश की स्थापना तो माँ दुर्गा की मिलेगी असीम कृपा प्राप्त

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  • योग(Yog) – व्यतिपात 7.29 AM तक तत्पश्चात वरीयान
  • योग के स्वामी :- व्यतिपात योग के स्वामी रूद्र देव जी एवं स्वभाव अशुभ माना जाता है तथा वरीयान योग के स्वामी कुबेर देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – गर 19.01 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – वणिज
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – द्वितीया को बैगन, कटहल और नींबू का सेवन नहीं करना चाहिएशास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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