शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 9 सितम्बर 2022 का पंचांग


शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 9 सितम्बर 2022 का पंचांग,

अनंत चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनायें

गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग

शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 0 September 2022 ka Panchang,

शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

    1:- तिथि (Tithi)
    2:- वार (Day)
    3:- नक्षत्र (Nakshatra)
    4:- योग (Yog)
    5:- करण (Karan)


    पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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  • 9 सितम्बर 2022 का पंचांग, 9 September 2022 ka Panchang,

जानें कैसे हुआ गणेश जी का अवतरण, अवश्य जानिए कैसे गणेश जी का सर हाथी के सर में बदल गया,

  • महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
  •  
  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥


आज का पंचांग, aaj ka panchang,

  • दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

    शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
    शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

    शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
  • *विक्रम संवत् 2079 ,
  • * शक संवत – 1944,
    *कलि संवत – 5124
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – शरद ऋतु,
    * मास – भाद्रपद माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,
  • तिथि, (Tithi) :- चतुर्दशी 18.07 PM तक तत्पश्चात पूर्णिमा
    • तिथि के स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है।

    चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मासिक शिवरात्रि कहलाती है।

    चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।

    चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

    चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।

    गणेश उत्सव के 10 दिनों में नित्य अवश्य ही स्मरण करें भगवान भगवान गणपति जी के परिवार के सदस्यों का  

    परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,

    अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 

    आज अनन्त चतुर्दशी है, भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी अनन्त चतुर्दशी कहलाती है। अनंत चतुर्दशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके समस्त संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त रक्षा सूत्र को कलाई में बांधा जाता है।

    शास्त्रों के अनुसार पाण्डव जब जुए में अपना सारा राज-पाट हारकर अज्ञातवास काट रहे थे, वन में नाना प्रकार के कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवो को समस्त दुखो को हरने वाले अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने को कहा।

    भगवान श्रीकृष्ण से इस ब्रत का महात्म्य सुनकर धर्मराज युधिष्ठिर जी ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ विधि पूर्वक यह व्रत करके इस अनन्त रक्षा सूत्र को धारण किया। अनन्त चतुर्दशी व्रत के शुभ प्रभाव के कारण ही पांडवो को समस्त कष्टों से मुक्ति मिली थी ।

    अनन्त चतुर्दशी के दिन एक मोटा रेशमी या सूती डोरा / कलावा ले कर ‘ॐ अनन्तायनम:’ मंत्र का जाप करते हुए उस डोरे पर समान दूरी पर चौदह गांठे लगाएं फिर उसे शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने रखे।

    उसके बाद भगवान श्री विष्णु जी की विधि पूर्वक पूजा करके ‘ॐ अनन्तायनम:’ मंत्र का जाप करते हुए पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में इस डोरे को बांध लें।

    मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन इस अनंत रक्षा सूत्र को बांधने से पूरे वर्ष सभी संकटो से रक्षा होती है, कार्यो में सफलता और जीवन में हर्ष उल्लास प्राप्त होता है ।

    भगवान गणपति जी की आराधना परम फलदाई है । भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं।

    गणेश जी के भक्त भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं, उसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन पूरे हर्ष उल्लास से नाचते – गाते – ढोल मंजीरे बजाते हुए गणपति बप्पा का समुद्र / नदी / जलाशय में विसर्जन करते हैं।

    मान्यता है कि गणेश उत्सव के इन 10 दिनों में गणपति जी पृथ्वी पर अपने भक्तो के बीच में रहते है, इन दिनों गणेश जी की प्रतिदिन उपासना करने एवं यदि आपने गणपति जी की स्थापना की है तो अनंत चतुर्दशी के दिन विधि पूर्वक इनका विसर्जन करने से पूरे वर्ष भक्तों पर कोई भी संकट नहीं आता है।

    घर परिवार में हर्ष उल्लास का वातावण रहता है, सुख-समृद्धि, धन-वैभव की कोई भी कमी नहीं होती है।

    इस बार गणेश विसर्जन 9 सितंबर शुक्रवार को होगा। गणेश विसर्जन के लिए 3 बार शुभ मुहूर्त बन रहे है ।

    गणपति जी के विसर्जन का पहला शुभ मुहूर्त 9 सितंबर को सूर्योदय से प्रात: 10.44 बजे तक,

    गणपति जी के विसर्जन का दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12.18 से लेकर दोपहर 1.52 मिनट तक, एवं

    गणपति जी के विसर्जन का तीसरा शुभ मुहूर्त सांय 5 बजे से सांय 6.31 बजे तक तक रहेगा ।

    शास्त्रों के अनुसार, गणपति विसर्जन के दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करें। पूजा में उन्हें दूर्वा, शहद, घी, नैवेद्य, नारियल, अक्षत और लाल पुष्प अर्पित करें।

    उन्हें मोदक, लड्डू आदि का भोग लगाकर धूप, दीप जलाकर “ऊं गं गणपतये नमः”: का जाप करें अंत में गणेश जी की आरती करें ।

    नक्षत्र ( Nakshatra ) : धनिष्ठा 11.35 AM तक तत्पश्चात शतभिषा

    नक्षत्र के स्वामी :–      धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल और देवता वसु हैं।

    27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा नक्षत्र 23वां नक्षत्र है। ‘धनिष्ठा’ का अर्थ होता है ‘सबसे अधिक धनवान’। 

     वैदिक ज्योतिष में आठ वसुओं को इस नक्षत्र का अधिपति देवता माना गया है, वसु श्रेष्ठता, सुरक्षा, धन-धान्य आदि वस्तुओं के ही दूसरे नाम भी हैं।

    धनिष्ठा नक्षत्र का गण – राक्षस तथा सितारा का लिंग महिला है। धनिष्ठा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: शमी, तथा स्वाभाव शुभ होता है ।

    धनिष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 9, भाग्यशाली रंग चमकीला स्लेटी, ग्रे, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और बुधवार होता है ।

    धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  “ॐ धनिष्ठायै नमः “ मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

    धनिष्ठा नक्षत्र के जातको को दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सुख – समृद्धि एवं समस्त सुखो की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र के जातको के लिए भगवान शिव की पूजा भी शुभफलदायक मानी जाती है।

    इस नक्षत्र के जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भी समस्त सांसारिक सुख मिलते है। 

    अवश्य जानिए भगवान श्री कृष्ण की नगरी, द्वारिका नगरी कहाँ थी, किसने बसाई, इसके शिल्पकार कौन थे, यह दिखती कैसी थी और यहाँ पर कौन कौन रहते है, 

    अवश्य पढ़ें :- बी पी हाई रहता हो तो ना हो परेशान, इन उपायों से बी पी की समस्या निश्चित रूप से होगी दूर

    योग(Yog) :- सुकर्मा 18.12 PM तक तत्पश्चात धृति

    योग के स्वामी, स्वभाव :- सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है, सुकर्मा योग के स्वामी जल और स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।

    प्रथम करण : – गर 7.33 AM तक

    करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।

    द्वितीय करण :- वणिज 18.07 PM तक तत्पश्चात विष्टि

    करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।

    • गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
    • दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
      यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
    • राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
    • सूर्योदय -प्रातः 06:03
    • सूर्यास्त – सायं : 18:34
    • विशेष – शास्त्रों में चतुर्दशी को हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन, तिल का तेल, लाल रंग का साग, काँसे के बर्तन में भोजन एवं शारीरिक संबंध बनाना मना किया गया है।
    • पर्व त्यौहार- अनंत चतुर्दशी, गणपति विसर्जन,
    • मुहूर्त (Muhurt) –

    जीवन में समस्त कार्यों में चाहते है श्रेष्ठ सफलता तो गणेश जी को ऐसे करें प्रसन्न

    “हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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                     ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
    ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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