शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag, 1 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag, 1 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

Shaniwar Ka Panchag, शनिवार का पंचांग1 October 2022 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    1 अक्टूबर 2022
     का पंचांग, 1 October 2022 ka Panchang,
  • शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
    ।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
* कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
अश्विन माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क. सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन,।

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  • तिथि (Tithi)- षष्ठी
  • तिथि का स्वामी – षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है।

षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ के पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है।

कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है ।

इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है।

भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।

कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है ।

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माँ कात्यायनी

नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है।

मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था, जिस कारण मां कात्यायनी को असुरों और पापियों का संहार करने वाली देवी कहा जाता है। इनकी सवारी सिंह है।

मां कात्यायनी की चार भुजा हैं इनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल तथा अन्य दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है।

माता कात्यायनी की पूजा से विवाह में हो रही बाधाएं दूर होती है, देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छा मिलने के योग बनते हैं, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सहयोग बनता है।

मां कात्यायनी की पूजा शाम के समय माता को लाल या पीले फूल, कच्‍ची हल्‍दी की गांठ एवं चांदी के या मिटटी के पात्र में शहद अर्पित करके गोधुलि बेला में करनी चाहिए।

नवरात्री के छठे दिन भक्तो को यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

।।ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।।

नक्षत्र (Nakshatra)- ज्येष्ठा

नक्षत्र के स्वामी :- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है। ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’।

ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है। देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : निर्गुडी/चीड़ तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। ‘ज्येष्ठा’ नक्षत्र सितारे का लिंग मादा है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर मंगल और बुध दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग सफ़ेद, भाग्यशाली दिन शनिवार और मंगलवार माना जाता है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

नवरात्री में घर, कारोबार में इस विधि से करें कलश की स्थापना, अवश्य जानिए कलश स्थापना की सही और बहुत ही आसान विधि

  • योग(Yog) – आयुष्मान
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – कौलव 9.44 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – तैतिल
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:13
  • सूर्यास्त – सायं 18:07
  • विशेष :- षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, दातुन करना या किसी भी तरह से  नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । इस दिन नीम का सेवन करने से नीच योनि की प्राप्ति होती है।


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  • पर्व त्यौहार- नवरात्रि का छठा दिन
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

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