गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 11 अगस्त 2022 का पंचांग,
रक्षाबंधन के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
11 अगस्त 2022 का पंचांग, 11 August Ka Panchang,
बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahasptivar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
11 अगस्त 2022 का पंचांग, 11 August 2022 Ka Panchang,
- गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 11 जून 2022 का पंचांग,
- दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
- गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । - गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया, - गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
इस तरह से मनाएं रक्षा बंधन का पर्व, भाइयों को मिलेगा निरोगिता, दीर्घ आयु, सुख समृद्धि का वरदान
- *विक्रम संवत् 2079,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – सावन माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन
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- तिथि (Tithi) :- चतुर्दशी 10.38 AM तक तत्पश्चात पूर्णिमा
- तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव जी है।
चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।
किसी भी पक्ष की चतुर्दशी में शुभ कार्य करना वर्जित हैं क्योंकि इसे क्रूरा कहा जाता है, चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथियों की श्रेणी में आती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे लोगों को क्रोध बहुत आता है। इस तिथि में जन्मे जातक साहसी और परिश्रमी होते हैं। इन लोगों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है तभी इन्हे सफलता हाथ लगती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।
इस वर्ष 2022 के रक्षा बंधन के दिन इस मुहूर्त में बहने भाइयों को बांधे रक्षा सूत्र ( राखी ), भूल कर भी ना करें ये गलती
आज रक्षाबंधन का महा पर्व है । रक्षाबंधन का पर्व भाई – बहन के निश्छल स्नेह का पर्व है जिसमें बहने अपने भाइयों की दायीं कलाई पर उनके कल्याण, उनकी दीर्घ आयु, उनकी सुख – समृद्धि के लिए रक्षा सूत्र बांधती है। भाई बहनो को वचन देते है कि वह अपनी बहनो की हर परिस्तिथि में सदैव रक्षा करेंगे ।
इस वर्ष 11 अगस्त दिन गुरुवार को प्रातः 09 बजकर 35 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग जाएगी जो 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 07:25 तक ही रहेगी।
इसके अतिरिक्त इस वर्ष पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा भी प्रारंभ हो जायेगी जो की रात्रि 08:25 तक रहेगी।
इस प्रकार भद्रा से रहित पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को रात्रि 08:26 से लेकर अगले दिन 12 अगस्त को प्रातः 07:16 तक रहेगी इस अवधि में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त रहेगा।
वस्तुत: इस वर्ष रक्षा बंधन पर्व अर्थात श्रावणी पूर्णिमा तिथि दिनांक 11 अगस्त में प्रातः काल 09:35 से लगभग रात्रि 08:30 तक भद्रा व्याप्त होने के कारण इस अवधि में रक्षाबंधन का कार्य कदापि नहीं करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार भद्रा के समय में भाइयों को रक्षा सूत्र बांधना उत्पातकारी बताया गया है, मान्यता है कि रावण ने भी एक बार भद्रा के समय में अपनी बहन से रक्षा सूत्र बंधवाया तो एक वर्ष के भीतर ही उसके कुल का सर्वनाश हो गया ।
ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भद्रा शनिदेव की बहन है, जिसे ब्रम्हा जी ने श्राप दिया था कि अगर भद्रा में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य किया जायेगा उसका परिणाम अशुभ ही होगा इसी कारण से भद्रा में राखी नहीं बांधने की सलाह दी जाती है।
लेकिन कुछ विद्वानों के मतानुसार रक्षाबंधन के दिन भद्रा अवश्य है लेकिन मकर का चन्द्रमा होने के कारण भद्रा का दोष पृथ्वी लोक पर ना होकर पाताल लोक में है इस कारण विशेष परिस्थितियों में 11 अगस्त को कुछ शुभ मुहूर्त में बहने अपने भाइयों की कलाई में राखी बांध सकती है ।
जीवन में कैसी भी हो समस्या रक्षाबंधन के दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय
रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त: –
अभिजीत मुहूर्त :- गुरुवार 11:37 AM से 12:28 PM
विजय मुहूर्त : – गुरुवार दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट
रक्षा बंधन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : – गुरुवार 11 अगस्त रात्रि 08:30 से रात्रि 11: 30 तक
12 अगस्त शुक्रवार का मुहूर्त : – 05:35 सूर्योदय के उपरान्त प्रातः 07:15 AM तक
- नक्षत्र (Nakshatra) – उत्तराषाढ़ा 6.53 AM तक तत्पश्चात श्रवण
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है ।
उत्तराषाढा नक्षत्र 21 वें नंबर का नक्षत्र है। उत्तराषाढ़ा’ का अर्थ होता है अजेय, विजय के पश्चात। यह एक हाथी के दांत जैसा प्रतीत होता है।
उत्तराषाढ़ नक्षत्र तारे का लिंग स्त्री है। उत्तराषाढा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कटहल और नक्षत्र का स्वभाव स्थिर माना गया है ।
उत्तराषाढा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 3 और 8, भाग्यशाली रंग, तांबे का रंग, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार और शुक्रवार का माना जाता है ।
उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य गणेश संकट स्रोत्र का पाठ करना चाहिए इससे कार्यो में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है
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योग :- आयुष्मान 15.32 PM तक तत्पश्चात सौभाग्य
प्रथम करण :- वणिज 10. 38 AM तक
द्वितीय करण :- विष्टि 20.50 PM तक तत्पश्चात बव
- दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 05:48
- सूर्यास्त – सायं 19:04
- विशेष – शास्त्रों में चतुर्दशी को हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन, तिल का तेल, लाल रंग का साग, काँसे के बर्तन में भोजन एवं शारीरिक संबंध बनाना मना किया गया है।
- पर्व त्यौहार– रक्षा बंधन
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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