रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 10 जुलाई 2022 का पंचांग,
आप सभी को देवशयनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनायें
रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,
10 जुलाई 2022 का पंचांग, 10 July 2022 ka Panchang,
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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।
रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
10 जुलाई 2022 का पंचांग, 10 July 2022 ka Panchang,
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन –दक्षिणायन,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – आषाढ़ माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
- तिथि (Tithi)- एकादशी 14.13 PM तक तत्पश्चात द्वादशी
- तिथि के स्वामी :- एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है।
आज 10 जुलाई रविवार को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है।
इस देवशयनी एकादशी से ही भगवान विष्णु जी क्षीर सागर में चार माह तक योग निद्रा में विश्राम करते हैं और लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को उन्हें उठाया जाता है। इस समय को चातुर्मास के नाम से भी जाना जाता है।
इस चातुर्मास के समय में विवाह, मुण्डन आदि शुभ कार्य रोक दिए जाते है और फिर चार माह के बाद उनके जागने पर ही शुभ कार्य प्रारम्भ होते है ।
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु इस दिन से चार मास तक (चातुर्मास) पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को वापस लौटते हैं।
एकादशी तिथि प्रारम्भ – 09, जुलाई 2022 को सांय 16:39 PM से
एकादशी तिथि समाप्त – 10, जुलाई 2022 को अपराह्न 14:13 PM तक
एकादशी व्रत पारण- 11, जुलाई 05:31 AM से 08:17 AM तक
पुराण के अनुसार भगवान श्री हरि ने वामन रूप में दैत्य बलि के यज्ञ में तीन पग दान के रूप में मांगे।
भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढक लिया। अगले पग में सम्पूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया। तीसरे पग में बलि ने अपने आप को समर्पित करते हुए सिर पर पग रखने को कहा।
इस प्रकार के दान से भगवान ने प्रसन्न होकर पाताल लोक का अधिपति बना दिया और कहा वर मांगो। बलि ने वर मांगते हुए कहा कि भगवान आप मेरे महल में नित्य रहें।
बलि के बंधन में बंधा देख उनकी भार्या लक्ष्मी ने बलि को भाई बना लिया और भगवान से बलि को वचन से मुक्त करने का अनुरोध किया।
तब इसी दिन से भगवान विष्णु जी द्वारा वर का पालन करते हुए तीनों देवता 4-4 माह सुतल में निवास करते हैं।
विष्णु देवशयनी एकादशी से देवउठानी एकादशी तक,
शिवजी महाशिवरात्रि तक और
ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक निवास करते हैं।
पद्म पुराण के अनुसार इस दिन उपवास करने से जाने – अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
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- नक्षत्र (Nakshatra)- – विशाखा 9.55 AM तक तत्पश्चात अनुराधा
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्राग्नी (इंद्र और अग्नि) और स्वामी बृहस्पति देव जी है।
विशाखा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 16वां है।
विशाखा नक्षत्र देवी राधा के साथ सम्बंधित है जो उनकी प्रसन्नता को दर्शाता है, भगवान श्री कृष्ण के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।
विशाखा नक्षत्र वास्तव में पत्तियों से सजाया गया एक तोरण द्वार का प्रतीक है, जिसका मुख्य रूप से विवाह समारोहों में आवश्यकता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : कटाई, नागकेशर तथा स्वाभाव अशुभ माना गया है। विशाखा नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर बृहस्पति देव जी का प्रभाव बना रहता है।
विशाखा नक्षत्र वाले जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 9, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन मंगलवार, शुक्रवार और गुरुवार माना जाता है ।
विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ इंद्राग्नीभ्यां नमः” अथवा “ॐ विशाखाभ्यां नमः”। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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- योग (Yog) – शुभ
- प्रथम करण : – विष्टि 14.13 PM तक
- द्वितीय करण : – बव
- गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 05:31
- सूर्यास्त – सायं 19:22
आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय - विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । - एकादशी को चावल और दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए।
- पर्व त्यौहार- देवशयनी एकादशी
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।
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