शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag, 11 जून 2022 का पंचांग,


शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag, 11 जून 2022 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

Shaniwar Ka Panchag, शनिवार का पंचांग,

11 जून 2022 का पंचांग, 11 june 2022 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    11 जून 2022
     का पंचांग11 June 2022 ka Panchang,
  • शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
    ।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – 
ज्येष्ठ माह,
* पक्ष – शुक्ल
 पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,।

  • तिथि (Tithi)- एकादशी 5.45 AM तक तत्पश्चात द्वादशी
  • तिथि का स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है।

आज भी निर्जला एकादशी है, इसे भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में किसी भी प्रकार का खाना पीना अर्थात पानी पीना भी वर्जित माना जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है।

इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से इसलिए जानते हैं क्योंकि इस निर्जला एकादशी का ब्रत पांडव पुत्र भीम ने भी रखा था। लेकिन वह पानी ना पीने के कारण मूर्छित हो गए थे। इसी लिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है, सुख-समृद्धि, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का ब्रत रखने से वर्ष की सभी एकादशियों के ब्रत का फल प्राप्त हो जाता है ।

किंतु इस बार निर्जला एकादशी को लेकर थोड़ा सा संशय है। क्योंकि इस वर्ष 2022 एकादशी तिथि 10 और 11 जून दोनों दिन है। एकादशी तिथि कल 10 जून को प्रात: 07:25 से प्रारम्भ हुई है ।

एकादशी तिथि प्रारम्भ – 10 जून, 2022 को प्रात: 07:25 AM से एकादशी तिथि समाप्त – 11 जून, 2022 को प्रात: 05:45 AM तक

चूँकि एकादशी के ब्रत का पारण द्वादशी तिथि को ही करना शास्त्र सम्मत है और द्वादशी तिथि 11 जून को प्रात: 05:45 से लग जाएगी।

भारत में बहुत से जगह एकादशी का ब्रत 10 जून को रखा गया है ।

किन्तु बहुत सी जगह लोग उदया तिथि के कारण आज 11 जून शनिवार को भी इस ब्रत को रख रहे है। और अगर आप किसी कारणवश 10 जून को इस ब्रत को नहीं रख पाएं है तो आप इस ब्रत को आज 11 जून को भी रख सकते है ।

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नक्षत्र (Nakshatra)- स्वाति

नक्षत्र के स्वामी :- स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है ।

स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है।

स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

लेकिन यदि शुक्र ख़राब हो तो जातक क्रोधी, घमंडी, अति कामुक, मदिरा प्रेमी होता है उसको धन और स्त्री का सुख भी नहीं मिलता है ।

स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।

स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

  • योग(Yog) – परिध 20.47 PM तक तत्पश्चात शिव
  • प्रथम करण : – विष्टि 5.45 AM तक
  • द्वितीय करण : – बव 16.39 PM तक तत्पश्चात
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:23
  • सूर्यास्त – सायं 19:19
  • विशेष :- एकादशी के दिन चावल और दूसरो का अन्न नहीं खाना चाहिए ।

द्वादशी के दिन तुलसी जी को तोडना, मसूर की दाल खाना और यात्रा करना मना है ।

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  • पर्व त्यौहार- निर्जला एकादशी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष  विशेषज्ञ )

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