रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 26 जून 2022 का पंचांग

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 26 जून 2022 का पंचांग,



रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

26 जून 2022 का पंचांग, 26 June 2022 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
26 जून
 2022 का पंचांग26 June 2022 ka Panchang,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन –उत्तरायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – आषाढ़ माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

  • तिथि (Tithi)- त्रियोदशी
  • तिथि के स्वामी :- त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है।

त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी  हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए  हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।

कामदेव के हाथ में धनुष है जिसका एक कोना स्थिरता और दूसरा कोना चंचलता का प्रतीक है। कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। कामदेव जब कमान से अपना तीर छोड़ते हैं, तो उसमें कोई आवाज नहीं होती है।

कामदेव का वाहन हाथी को  माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।

त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।

त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।  

अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए  त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला  जाप अवश्य करें ।

इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है।

त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।

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  • नक्षत्र (Nakshatra)-  – कृतिका 1.06 PM तक तत्पश्चात रोहिणी
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है 

यह नक्षत्र भगवान अग्नि देव द्वारा शासित है । कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है। कृतिका नक्षत्र का तत्व अग्नी, आराध्य वृक्ष उंबर, औदुंबर और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक तेजस्वी, सुन्दर, महत्वाकांक्षी, गुणवान, आत्मवश्वासी एवं धर्म पर पूर्ण विश्वास रखने वाले होते हैं।

कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति विलासता जीवन जीने में विश्वास रखता हैं। यह बड़ी ही आसानी से विपरीत लिंग को आकर्षित कर लेते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

इनकी सबसे बड़ी कमजोरी इनका जिद्दीपन है और यह कई बार बहुत ही जल्दी लड़ने पर भी उतारू हो जाते है ।

कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3 और 9, भाग्यशाली रंग पीला और लाल , भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार होता है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज गायत्री मन्त्र “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है।

कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को गूलर के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और अपने घर अथवा मंदिर में गूलर के पेड को लगाकर उसकी सेवा करनी चाहिए ।


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  • योग (Yog) – धृति 5.55 AM तक तत्पश्चात शूल
  • प्रथम करण : – गर 2.16 PM तक
  • द्वितीय करण : – वणिज
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:25
  • सूर्यास्त – सायं 19:23

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।
  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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