गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 9 जून 2022 का पंचांग
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
9 जून 2022 का पंचांग, 9 June Ka Panchang,
बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahasptivar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
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गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
9 जून 2022 का पंचांग, 9 June 2022 Ka Panchang,
- दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
- गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । - गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया, - गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
- *विक्रम संवत् 2079,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तारायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – ज्येष्ठा माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,
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- तिथि (Tithi) :- नवमी 8.23 AM तक तत्पश्चात दशमी
- तिथि का स्वामी – नवमी की स्वामिनी मां दुर्गा जी और दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है।।
नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी है ।
नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा जी हैं ऎसे में जातक को दुर्गा जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नही हो पा रहा है तो जातक को चाहिए की दुर्गा सप्तशती के पाठ को करे और मां दुर्गा जी को लाल पुष्प अर्पित करके अपने जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने की प्रार्थना करे।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
शुक्ल पक्ष की नवमी में भगवान शिव का पूजन करना वर्जित है लेकिन कृष्ण पक्ष की नवमी में शिव का पूजन करना उत्तम माना गया है।
हिंदू पंचाग की नौवीं तिथि नवमी (navami) कहलाती है। इस तिथि का नाम उग्रा भी है क्योंकि इस तिथि में शुभ कार्य करना वर्जित होता है।
किसी भी प्रकार के युद्ध में विजय पाने के लिए ये तिथि अनुकूल मानी गई है।
शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू नहीं खाना चाहिए।
ऐसा होगा हिंदू नव संवत्सर, हिन्दू नव वर्ष के राजा और मंत्री होंगे यह देवता,
- नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – हस्त नक्षत्र के देवता सुर्य और स्वामी चंद्र देव जी है।।
आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है।
यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।
हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5, भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।
हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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योग :- व्यतीपात
प्रथम करण :- कौलव 8.23 AM तक
द्वितीय करण :- तैतिल 20.01 पीएम तक तत्पश्चात गर
- दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 05:22
- सूर्यास्त – सायं 19:17
- विशेष – नवमी को लौकी और दशमी को कलंबी का सेवन नहीं करना चाहिए।।
- पर्व त्यौहार–
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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