*जानिए चंद्र ग्रह का प्रभाव आचार्य मुक्ती नारायण पाण्डेप जी के अनुसार अध्यात्म ज्योतिष*
*परामर्श केंन्द्र रायपुर*
पुराणों के अनुसार देव और दानवों द्वारा एक समय किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे, उनमें से चंद्रमा भी एक थे। चंद्र देव को भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था।
श्रीमद्भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र माने गए हैं। यह सोलह कलाओं से युक्त हैं। चंद्र देव हिंदू धर्म में देवता माने गए हैं, चन्द्र देव को जल तत्व का देवता कहा जाता है। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की मानी जाती है।
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परम पिता ब्रह्मा जी ने चंद्र देव को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्र देव का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। और यही कन्याएं सत्ताईस नक्षत्रों जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि के रूप में भी जानी जाती हैं।
चंद्रमा के मित्र सूर्य एवं बुध ग्रह है । राहु और केतु चन्द्रमा के शत्रु है जबकि मंगल, गुरु, शुक्र और चंद्र सम हैं। कुंडली में राहु के साथ होने से चंद्र ग्रहण होता है
चंद्रदेव का विवाह रोहिणी से हुआ है और उनका एक पुत्र है जिनका नाम बुध है। चंद्र देव सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों का आप्यायन करते हैं।
चन्द्र ग्रह Chandr Grah : चन्द्रमा ग्रह माँ का सूचक है और मन का करक है। शास्त्र कहता है की "चंद्रमा मनसो जात:", इसकी राशि कर्क है तथा यह जल तत्व प्रधान होती है ।
चन्द्र गृह के अशुभ प्रभाव
कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर।
जातक की माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है,
घर में दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है।
स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।
घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं
मानसिक तनाव, मन में घबराहट, तरह तरह की शंका मन में आती है और
मन में अनिश्चित भय व शंका रहती है और सर्दी बनी रहती है।
व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते है
अगर किसी की कुंडली में चंद्र अशुभ हो तो व्यक्ति को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। साथ ही, कार्यों में बाधाएं भी आती हैं।
चन्द्र गृह के शुभ प्रभाव
यदि आपकी कुंडली में भी चंद्र ग्रह पीड़ित /कमजोर का होक्र स्थित है तो करे निम्नलिखित उपाय और बनाये मजबूत----
चंद्र यंत्र :- चन्द्रमा के शुभ फलो हेतु चंद्र यंत्र को धारण करना चाहिए। इस यंत्र के प्रभाव से चन्द्रमा के अशुभ प्रभाव दूर होते है। जीवन में धन, यश, उन्नति, मानसिक शांति, एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस यंत्र को सोमवार के दिन चाँदी के ताबीज में भरकर सफ़ेद सूती या सफ़ेद रेशमी धागे में बांध कर सोमवार को शुभ समय में गले या बाँह में धारण करना चाहिए। एवं इस चंद्र यंत्र को नित्य देखकर पढ़ना चाहिए।
चन्द्र ग्रह के औषधि स्नान :- चन्द्र ग्रह को अपने अनुकूल करने के लिए सोमवार के दिन प्रात: जल में पंचगव्य, श्वेत चन्दन, श्वेत सुगन्धित पुष्प, डालकर स्नान करने से चन्द्र ग्रह के अनुकूल फल मिलते है।
चन्द्रमा का तांत्रिक मन्त्र :- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
चन्द्रमा का पौराणिक मन्त्र :- ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम: ।।
उपरोक्त दोनों मंत्रो में से किसी भी एक मन्त्र का विधिवत जाप कराने से चंद्र देव के अशुभ फल निश्चय ही दूर होते है। चंद्र देव के मन्त्र की कम से कम 11000, एवं अधिकतम 44000, जप पूर्णतया फलदाई होता है।
चंद्र देव के दान :- यदि कुंडली में चंद्र ग्रह अशुभ फल दे रहे हो तो सोमवार के दिन चावल, चीनी, दही, सफेद वस्त्र, शंख, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, बैल, और मोती का किसी सात्विक ब्राह्मण को पूर्ण श्रद्धा से दक्षिणा सहित दान चाहिए, इससे चंद्र ग्रह के अशुभ फल दूर होते है, शुभ फल मिलने लगते है।
कुंडली में चंद्रमा का शुभ प्रभाव होने से जातक की माता का जीवन सुखमय होता है और उसे किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती।
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चंद्रमा का उच्च स्थिति में होना,
जातक को माता पक्ष जैसे- नानी, मौसी से भरपूर प्रेम दिलाता है और जातक इनके द्वारा संपत्ति अर्जित करने वाला होता है।
ऐसे व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति होती है
और घर में प्रेम बना रहता है।
इस स्थिति में घर में संपन्नता और सम्मान भी भरपूर होता है।
मां,एवं दादी की सेवा और सम्मान करें।
बुजुर्ग और विधवा औरतों की मदद करना चाहिए। इनके प्रति अपना व्यवहार विनम्रतापूर्वक बनाए रखें और सात्विक जीवन जीने को प्रमुखता दें।
घर में गंगाजल जरूर रखें।
समय-समय पर मंदिर में दूध और चावल का दान करते रहें और चांदी का एक चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें। सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव जी की आराधना करना।
दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें।
कभी भी चांदी से बनी कोई भी चीज उपहार में या दान में न लें।
यदि चंद्र बारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन कराएँ और दूध पिलाएँ।
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सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, 1 जोड़ा जनेऊ,दक्षिणा के साथ ब्राह्मण को दान करें ।
और ॐ क्लीं सोमाय नमः का 108 बार (1 माला) नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।
दूध का दान करें। सोमवार को दूध का सेवन करने से बचें, वरना चंद्र देव क्रोधित हो सकते हैं।
घर में मोर पंख रखेंगे तो चंद्र से शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
घर में पूजा करते समय शंख भी बजाएं। इससे भी चंद्र के अशुभ असर खत्म होते हैं।
घर में बहुत ज्यादा बड़ी घड़ी रखने से बचें।
ध्यान रखें -------
यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ इन बातों का ध्यान रखेंगे तो कुंडली के अशुभ चंद्र का असर खत्म हो सकता है और मानसिक तनाव से मुक्ति मिल सकती है।
pandit ji mukti narayan pandey
आचार्य मुक्ती नारायण पाण्डेप
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