ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag, 19 फरवरी का पंचांग,


शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag, 19 फरवरी 2022 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

Shaniwar Ka Panchag, शनिवार का पंचांग,

19 फरवरी 2022 का पंचांग, 19 Febuary 2022 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    19 फरवरी
      202का पंचांग, 19 Febuary 2022 ka Panchang,
  • शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
    ।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2078,
* शक संवत – 1943,
* कलि संवत 5123
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु –शरद ऋतु,
* मास – 
फाल्गुन माह,
* पक्ष – कृष्ण
 पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुंभ, मीन।

  • तिथि (Tithi)- तृतीया 21.56 PM तक तत्पश्चात चतुर्थी
  • तिथि का स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर जी है।

तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है।  तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है।

अपने नाम के अनुसार ही यह तिथि सभी शुभ कार्यों में जय दिलाने अर्थात सफलता दिलाने वाली कही गई है। लेकिन बुधवार को तृतीया तिथि होने से मृत्युदा कहलाती है, इसलिए बुधवार की तृतीया को कोई भी नया कार्य शुरु करना शुभ नहीं माना जाता  है।

तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें । 

कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए  और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए । 

शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक किसी भी पक्ष की तृतीया को घी का दीपक जलाकर नियम से नीचे दिए गए कुबेर मंत्र का जप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करता है उसे कुबेर देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है, उसे अपने कार्यक्षेत्र , व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है। 

कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:”। यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।

तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।

नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तरा फाल्गुनी 16.51 तक तत्पश्चात हस्त

नक्षत्र के स्वामी :-   उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के देवता आर्यमन और स्वामी सूर्य, बुध देव जी है।

आकाश मंडल में उत्तरा फाल्गुनी को 12 वां नक्षत्र माना जाता है। ‘उत्तरा फाल्गुनी’ का अर्थ है ‘बाद का लाल नक्षत्र’। यह एक बिस्तर या बिस्तर के पिछले दो पाए को दर्शाता है जो आराम और विलासिता के जीवन का प्रतीक है।

यह नक्षत्र रोमांस, कामुक, ऐश्वर्य, रोमांच और अनैतिक आचरण को प्रदर्शित करता है।

इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पाकड़ तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर सूर्य और बुध का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्ष‍त्र में जन्मे व्यक्ति दानी, दयालु, साहसी, विद्वान, चतुर, उग्र स्वभाव, सही निर्णय लेने वाले होते है। इन्हे पूर्ण संतान, भूमि का सुख मिलता है।

लेकिन यदि सूर्य और बुध की स्थिति जन्म कुंडली में खराब है तो जातक का रुझान गलत कार्यों में रहने लगता है, उसका झुकाव विपरीत लिंगी की तरफ बहुत आसानी से हो जाता है।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, सरल, शांत लेकिन खुशमिज़ाज़ होती हैं। यह आसानी से सबको प्रभावित कर लेती है ।इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 12, भाग्यशाली रंग, चमकदार नीला, भाग्यशाली दिन बुधवार, शुक्रवार, और रविवार माना जाता है ।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ अर्यमणे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

  • योग(Yog) – धृति 16. 47 PM तक तत्पश्चात शूल
  • प्रथम करण : – वणिज 10.15 AM तक
  • द्वितीय करण : – विष्टि 21.56 PM तक तत्पश्चात बव
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:41
  • सूर्यास्त – सायं 18:19
  • विशेष :- तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।
  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 07714070168
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष  विशेषज्ञ )
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