शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchag,
Shaniwar Ka Panchag, शनिवार का पंचांग,
15 जनवरी 2022 का पंचांग, 15 January 2022 ka Panchang,
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
15 जनवरी 2022 का पंचांग, 15 January 2022 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
अगर धन की लगातार परेशानी रहती है, धन नहीं रुकता हो, सर पर कर्ज चढ़ा तो अवश्य करें ये उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
*विक्रम संवत् 2078,
* शक संवत – 1943,
*कलि संवत 5123
* अयन – दक्षिणायण,
* ऋतु –शरद ऋतु,
* मास – पौष माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुंभ।
- तिथि (Tithi)- त्रियोदशी 12.57 AM ( मध्य रात्रि )अगले दिन 16 जनवरी तक
- तिथि का स्वामी – त्रियोदशी के प्रेम के देवता कामदेव जी है ।
त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।
कामदेव के हाथ में धनुष है जिसका एक कोना स्थिरता और दूसरा कोना चंचलता का प्रतीक है। कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। कामदेव जब कमान से अपना तीर छोड़ते हैं, तो उसमें कोई आवाज नहीं होती है।
कामदेव का वाहन हाथी को माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।
त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।
त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।
अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला जाप अवश्य करें ।
इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है।
त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।
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इस वर्ष 2022 में मकर संक्रांति के पर्व को लेकर लोगो में बहुत भ्रम है कि मकर संक्रांति किस दिन मनाई जाय।
पंचांगों के मुताबिक सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 जनवरी की रात 8 बजे का दिया गया है, इसके मुताबिक मकर संक्रांति का सूर्य अगले दिन 15 जनवरी को उदित होगा, लिहाजा मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
आज 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी के सूर्योदय से लेकर दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा।
मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करने की परंपरा भी है। इस दिन घर में सूर्योदय से पूर्व नहाने के पानी में गंगा जल और काले तिल मिलाकर भी स्नान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति के दिन उगते हुए सूर्य देव को जल में रोली, अक्षत, चीनी या गुड़ और लाल पुष्प डाल कर अर्घ्य दे एवं तिल के तेल का दीपक जलाकर उनकी आरती करें या ॐ सूर्याय नम: । का जाप करें । मकर संक्रांति के दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य ही करें ।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल खाने, खिचड़ी एवं तिल का दान करने से पापो का नाश होता है ।
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नक्षत्र (Nakshatra)- मृगशिरा 11.21 PM आद्रा
नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण इस नक्षत्र में जन्मे जातको पर मंगल का प्रभाव अधिक रहता है। यह नक्षत्र एक हिरण के सिर जैसा प्रतीत होता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष खैर तथा स्वाभाव शुभ माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र सितारा का लिंग तटस्थ है।
चन्द्रमा का असर होने के कारण इस राशि के जातक कल्पनाशील, भावुक, सौंदर्य प्रेमी, बुद्धिमान, परिश्रमी, उत्साहीऔर ज्ञानवान होते हैं।
मृगशिरा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चमकीला भूरा, कत्थई रंग, भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चन्द्रमसे नम:” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।
मॄगशिरा नक्षत्र के जातको को माँ पार्वती की आराधना अत्यंत शुभ फलदाई है । मॄगशिरा नक्षत्र के दिन चावल और दही के दान से भी इस नक्षत्र के अशुभ फलो को दूर किया जा सकता है ।
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- योग(Yog) – ब्रह्म 14.34 तक तत्पश्चात इंद्र
- प्रथम करण : – कौलव 11.39 AM
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
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- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:37
- सूर्यास्त – सायं 17:46
- विशेष :- त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।
- पर्व त्यौहार- मकर संक्रांति
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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