रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,
रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,
2 जनवरी 2021 का पंचांग, 2 January 2022 ka Panchang,
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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।
रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
2 जनवरी 2021 का पंचांग, 2 January 2022 ka Panchang,
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
*विक्रम संवत् 2078,
* शक संवत – 1943,
*कलि संवत 5123
* अयन –दक्षिणायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – पौष माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन
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- तिथि (Tithi)- अमावस्या 12.02 AM, 3 जनवरी तक तत्पश्चात प्रतिपदा
- तिथि के स्वामी – अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव है।
आज पौष माह की अमावस्या तिथि है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है।
अमावस्या के दिन घर के मुखिया को लोहे के बर्तन में कच्चा दूध, चीनी, जौ और काले तिल डालकर पितरो को जल ( तर्पण )अवश्य देना चाहिए इससे पितृ प्रसन्न होते है। अमावस्या तिथि को “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र की दो माला का जाप अवश्य करना चाहिए।
आज पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।
अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।
हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।
इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
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- नक्षत्र (Nakshatra)- – मूल 16.23 PM तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मूल नक्षत्र के देवता निॠति (राक्षस) एवं स्वामी केतु जी है ।
मूल नक्षत्र का नक्षत्र मंडल में 19वां स्थान है। ‘मूल’ का अर्थ ‘जड़’ होता है। ज्योतिष शास्त्र में गंडमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है।
ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षण में हो तब उस की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।
गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेने पर भी अगर लड़के का जन्म रात में और लड़की का जन्म दिन में हो, तब मूल नक्षत्र का प्रभाव समाप्त हो जाता है। लेकिन यदि बच्चे का जन्म अगर मंगलवार अथवा शनिवार के दिन हुआ है तो इसके अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं।
मूल नक्षत्र में जन्मा जातक शांतिप्रिय, आकर्षक, साहसी, राजनीति में निपुण, धनवान, चतुर, वाकपटु, सौभाग्यशाली, ज्ञानवान और धार्मिक स्वभाव का होता है।
मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक को रविवार को छोड़कर सदैव या समय समय पर पीपल के वृक्ष में प्रसाद और जल चढ़ाते रहना चाहिए । मूल नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है।
मूल नक्षत्र का आराध्य वृक्ष साल और नक्षत्र का स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।
मूल नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 7, भाग्यशाली रंग, सुनहरा और क्रीम, भाग्यशाली दिन शनिवार, मंगलवार और बुधवार का माना जाता है ।
मूल नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ निॠतये नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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- योग (Yog) – वृद्धि प्रात: 9.43 AM तक तत्पश्चात ध्रुव
- प्रथम करण : – चतुष्पाद 1.52 PM तक
- द्वितीय करण : – नाग 12.02 AM, 3 जनवरी तक
- गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 06:43
- सूर्यास्त – सायं 17:49
आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय - विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।
अमावस्या को तुलसी जी, फूल पत्ते तोड़ना, शारीरिक सम्बन्ध बनाना मना है।
- पर्व त्यौहार- पौष माह की अमावस्या
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।
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