द्वादश ज्योतिर्लिंग, davadash jyotirling,
श्री सोमनाथ | श्री मल्लिकार्जुन | श्री महाकाल |
श्री ओंकारेश्वर | श्री बैद्यनाथ | श्री भीमशंकर |
श्री रामेश्वरम् | श्री नागेश्वर | श्री काशी विश्वनाथ |
श्री त्र्यंम्बकेश्वर | श्री केदारनाथ | श्री घृष्णेश्वर |
कहते है कि जो भी मनुष्य नित्य इनके दर्शन करके इन द्वादश ज्योतिर्लिंग, davadash jyotirling, के नामो का उच्चारण करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है, धीरे धीरे उसका यश सभी दिशाओं में फैलने लगता है, उसको जीवन में कोई भी आभाव कोई भी संकट नहीं रहता है, उसे धन की कोई भी कमी नहीं रहती है, वह अपने परिवार के साथ प्रेमपूर्वक जीवन व्यतीत करते हुए अंत में स्वर्ग को प्राप्त होता है।
इसलिए नित्य सभी मनुष्यों को इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन और इनका उच्चारण अवश्य ही करना चाहिए।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग, Bhagwan Shiv Ke 12 Jyotirling,
2. मल्लिकार्जुन (Mallikarjun) (कुर्नूल, आंध्र प्रदेश, ) :- श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर विराजमान हैं। इसे दक्षिण भारत का कैलाश पर्वत भी कहते हैं। महाभारत में लिखा है की श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से भक्तो के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं।
माता पार्वती का नाम ‘मल्लिका’ है, जबकि भगवान शंकर को ‘अर्जुन’ कहा जाता है। इसलिए वह ज्योतिर्लिंग ‘मल्लिकार्जुन’ के नाम से जगत् में प्रसिद्ध हुआ ।
महाकालेश्वर (Mahakaleshwar)( उज्जैन, मध्य प्रदेश )
ओंकारेश्वर (Omkareshwar) ( नर्मदा नदी में एक दीप पर, मध्य प्रदेश )
वैद्यनाथ (vaidyanath) (देवघर, झारखंड )
रामेश्वरम् (Rameshwaram)( रामनाड, रामेश्वरम, तमिलनाडु )
नागेश्वर (Nageshwar)( द्वारका, गुजरात )
काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) ( वाराणसी, उत्तर प्रदेश )
त्रयम्बकेश्वर (Trimbakeshwar) (त्रयम्बकेश्वर नासिक, महाराष्ट्र )
घृष्णेश्वर (Grishneshwar) ( औरंगाबाद, महाराष्ट्र,)
2. मल्लिकार्जुन (Mallikarjun) (कुर्नूल, आंध्र प्रदेश, ) :- श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर विराजमान हैं। इसे दक्षिण भारत का कैलाश पर्वत भी कहते हैं। महाभारत में लिखा है की श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से भक्तो के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं।
माता पार्वती का नाम ‘मल्लिका’ है, जबकि भगवान शंकर को ‘अर्जुन’ कहा जाता है। इसलिए वह ज्योतिर्लिंग ‘मल्लिकार्जुन’ के नाम से जगत् में प्रसिद्ध हुआ ।
महाकालेश्वर (Mahakaleshwar)( उज्जैन, मध्य प्रदेश )
ओंकारेश्वर (Omkareshwar) ( नर्मदा नदी में एक दीप पर, मध्य प्रदेश )
वैद्यनाथ (vaidyanath) (देवघर, झारखंड )
रामेश्वरम् (Rameshwaram)( रामनाड, रामेश्वरम, तमिलनाडु )
नागेश्वर (Nageshwar)( द्वारका, गुजरात )
काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) ( वाराणसी, उत्तर प्रदेश )
त्रयम्बकेश्वर (Trimbakeshwar) (त्रयम्बकेश्वर नासिक, महाराष्ट्र )
घृष्णेश्वर (Grishneshwar) ( औरंगाबाद, महाराष्ट्र,)
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