मंगलवार का पंचांग


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

4 जनवरी 2022 का पंचांग, 4 January 2022 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

  • दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।

    मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।

    मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।

    मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।

    मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।

*विक्रम संवत् 2078,
*शक संवत – 194
3
*कलि सम्वत 5123
*अयन – दक्षिणायण
*ऋतु – शरद
 ऋतु
*मास –
 पौष माह,
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन।

तिथि :- द्वितीया 17.19 PM तक तत्पश्चात तृतीया

तिथि के स्वामी :- द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं।

द्वितीया तिथि का विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।

सोमवार और शुक्रवार को द्वितीया तिथि मृत्युदा होती है।

लेकिन बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ होता है और यह सिद्धिदा हो जाती है, अर्थात इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।
द्वितीया तिथि को चारो वेदो के रचियता ब्रह्मा जी का स्मरण करने से कार्य सिद्ध होते है।

व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है। ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।

देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।

ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।

द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।

शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शंकर जी माँ पार्वती के संग होते हैं इसलिए भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान शंकर की पूजा करना उत्तम नहीं माना जाता है।

  • नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तरषाढ़ा नक्षत्र 10.57 AM तक तत्पश्चात श्रवण
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्‍वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र 21 वें नंबर का नक्षत्र है। उत्तराषाढ़ा’ का अर्थ होता है अजेय, विजय के पश्चात। यह एक हाथी के दांत जैसा प्रतीत होता है।

उत्तराषाढ़ नक्षत्र तारे का लिंग स्त्री है। उत्तराषाढा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कटहल और नक्षत्र का स्वभाव स्थिर माना गया है ।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक पर सूर्य, शनि और गुरु का प्रभाव बना रहता है।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति एक सफल एवं स्वतंत्र व्यक्ति होते हैं। इन्हे ईश्वर में आस्था होती है, इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति प्रसन्न चित्त और मित्रो में लोकप्रिय होते है ।

विवाह के उपरान्त इनको जीवन में और अधिक सफलता प्राप्त होती है, इन्हे उत्तम पुत्र सुख मिलता है। यह घूमने फिरने के बहुत शौक़ीन होते है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 3 और 8, भाग्यशाली रंग, तांबे का रंग, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार और शुक्रवार का माना जाता है ।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

उत्तराषाढा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य गणेश संकट स्रोत्र का पाठ करना चाहिए इससे कार्यो में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है


  • योग :- हर्षण 21.38 PM तक तत्पश्चात वज्र
  • प्रथम करण : – बालव 6.52 AM तक
  • द्वितीय करण : – कौलव 17.19 PM तक तत्पश्चात तैतिल
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:38
  • सूर्यास्त – सायं 17:47
  • विशेष – द्वितीया को नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )


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