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नवरात्रि navratri सौन्दर्य, हर्ष उल्लास, उमंगो का पर्व है। नवरात्री में कन्या पूजन, navratri me kanya pujan, का बहुत ही महत्त्व बताया गया है।
कहते है नवरात्रि navratri में माँ दुर्गा धरती पर भ्रमण करती है और अपने सच्चे भक्तों पर कृपा द्रष्टि बरसाते हुए उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती है ।  

शास्त्रों के अनुसार माता दुर्गा का स्वरूप माने जाने वाली कन्याओं की पूजा के बिना नौ दिन के नवरात्री में माता की पूजा अधूरी मानी जाती है क्योंकि मां हवन, तप और दान से इतनी प्रसन्न नहीं होती, जितनी कन्या पूजन से होती है ।

नवरात्र navratr में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी किसी भी दिन नौ कन्याओं की पूजा करके उनका आशीर्वाद लेना अत्यंत शुभ माना जाता है।

वर्ष 2021 के शरद नवरात्र में 13 अक्टूबर अष्टमी तिथि के दिन, 14 अक्टूबर नवमी के दिन कन्या पूजन करना, उन्हें भोजन करवा कर उन्हें उपहार देना उचित रहेगा।

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नवरात्रि navratri में माता की कृपा पाने के लिए 2 से लेकर 10  वर्ष तक की नन्ही कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार इनके माध्यम से माता दुर्गा को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। वस्तुत: ये कुमारी कन्याएँ माँ आदि शक्ति का ही स्वरूप मानी गयी है

मान्यता है कि माँ दुर्गा होम, जप और दान से इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी कन्या पूजन से प्रसन्न होती हैं। कन्या पूजन से सभी तरह के वास्तु दोष,विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश होता है ।  

 पूजी जाने वाली कन्याओं को देवी के शक्ति स्वरूप का प्रतीक मानकर उनको श्रद्धा से जीमाना चाहिए ।

नवरात्र में नौ कन्याओं को माता के नौ रूपों क्रमश: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री का रूप मानकर उनकी पूजा का विधान है।

शास्त्रों के अनुसार नवरात्र में की गयी पूजा-पाठ एवं आराधना कभी निष्फल नहीं होती भक्तो को उसका फल अवश्य ही मिलता है।

कन्या पूजन के दिन जिस प्रशाद से मां दुर्गा को भोग लगाया हो उस प्रशाद को भोग के बाद सबसे पहले कन्याओं को ही खिलाना चाहिए।

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देवी पुराण में लिखा है कि, इन्द्र ने एक बार ब्रह्मा जी से देवी दुर्गा को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो ब्रह्मा जी ने माँ दुर्गा को प्रसन्न करने की सर्वोत्तम विधि कन्या पूजन को ही बताया, और कहा कि माँ दुर्गा जप, ध्यान, पूजन और हवन से भी उतनी प्रसन्न नहीं होती जितना सिर्फ कन्या पूजन से हो जाती हैं |
कन्या पूजन से सभी तरह के वास्तु दोष,विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश होता है।

 नवरात्रि में कन्या पूजन में ध्यान रखे कि कन्याओ की उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से ज्यादा भी न हो ।

शास्त्रों के अनुसार दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा गया है । कुमारी के पूजन से सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है ।

तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति माना गया है । त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है ।

चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते है । कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है ।

पांच वर्ष की कन्या kanya को रोहिणी कहा गया है ।  माँ के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते है।

छः वर्ष की कन्या को काली कहते है ।  माँ के इस स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है ।

सात वर्ष की कन्या को चंडिका कहते है ।  माँ चण्डिका के इस स्वरूप की पूजा करने से धन, सुख और सभी तरह की ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है ।

आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी कहते है । शाम्भवी की पूजा करने से युद्ध, न्यायलय में विजय और यश की प्राप्ति होती है ।  

नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा का स्वरूप मानते है ।  माँ के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती है, शत्रुओं का नाश होता है और कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है ।

दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा स्वरूपा माना गया हैं। माँ के इस स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवाँछित फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है ।

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इसीलिए नवरात्र के इन नौ दिनों तक प्रतिदिन इन देवी स्वरुप कन्याओं को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य से भेंट देना अति शुभ माना जाता है।
इन दिनों इन नन्ही देवियों को फूल, श्रंगार सामग्री, मीठे फल (जैसे केले, सेब,नारियल आदि), मिठाई, खीर , हलवा, कपड़े, रुमाल,रिबन, खिलौने, मेहंदी आदि उपहार में देकर मां दुर्गा की अवश्य ही कृपा प्राप्त की जा सकती है ।

             इन उपरोक्त रीतियों के अनुसार माता की पूजा अर्चना करने से देवी मां प्रसन्न होकर हमें सुख, सौभाग्य,यश, कीर्ति, धन और अतुल वैभव का वरदान देती है।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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