गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त, grahnirman ke shubh muhurth,

 

गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त, grahnirman ke shubh muhurth,

 
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गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त, Grah Nirman Ke Shubh Muhurat,


किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखकर उसे करने से मन को बड़ा सुकून और आत्मविश्वास मिलता है। और जब बात सबसे आवश्यक किसी सुंदर और और सपनो के भवन बनाने की हो तो सर्वप्रथम  गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त, Grah Nirman Ke Shubh Muhurat, को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
जी हाँ अपना मकान अपना सुन्दर सा घर हर व्यक्ति चाहता है जो उसकी पहचान उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता होती है । 

मुहूर्त अर्थात शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों में कोई भी भवन बनाना प्रारंभ करने से जातक को शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और मानसिक लाभ प्राप्त होता हैं ।

गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त, Grah Nirman Ke Shubh Muhurat, ऐसा शुभ ऐसा उपर्युक्त होना चाहिए ताकि भवन निर्माण में कोई भी रूकावट ना आ सके।

यहाँ पर हम भवन निर्माण के बारे में कुछ अचूक बातो के बारे में बता रहे है जिससे आप सभी को अवश्य ही लाभ प्राप्त होगा । 
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गृह निर्माण के शुभ मुहूर्त, Grah Nirman Ke Shubh Muhurat,



भवन सम्बन्धी कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माह का चयन करना अति महत्वपूर्ण होता है ।
भारतीय कैलेण्डर  के अनुसार फाल्गुन, वैसाख एवं सावन के महीने भूमिपूजन, शिलान्यास एवं गृह निर्माण ( Grah Nirman ) हेतु  के लिए सर्वश्रेष्ठ महीने माने गए हैं।

इन महीनो में गृह सम्बन्धी किसी भी कार्य की शुरुआत करने से मान सम्मान, धन संपत्ति और निरोगिता की प्राप्ति होती है , घर के सदस्यों के मध्य प्रेम बना रहता है,

* जबकि माघ, ज्येष्ठ, भाद्रपद एवं मार्गशीर्ष महीने को मध्यम श्रेणी में रखा गया हैं।

* लेकिन  चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा कार्तिक मास उपरोक्त शुभ कार्य की शुरुआत के लिए वर्जित कहे गए है। इन महीनों में गृह निर्माण प्रारंभ करने से धन यश की हानि होती है एवं घर परिवार के सदस्यों की आयु भी कम  होती है।

* भवन बनाना शुरू करने से पहले हमें शुभ वार का अवश्य ही चयन करना चाहिए । भवन निर्माण के लिए  सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार , शुक्रवार तथा  शनिवार सबसे  शुभ दिन माने गए हैं।

* लेकिन मंगलवार और रविवार को भवन सम्बन्धी कोई भी कार्य जैसे  भूमिपूजन, गृह निर्माण का प्रारम्भ , गृह का शिलान्यास या गृह प्रवेश को बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। 

* भवन सम्बन्धी कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ तिथि का चयन करना भी अति आवश्यक होता है ।
 गृह निर्माण हेतु सर्वाधिक शुभ तिथियाँ  द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथियाँ मानी गयी है ।
इन तिथियाँ में गृह निर्माण करने से किसी भी प्रकार की अड़चने नहीं आती है जबकि अष्टमी तिथि को मध्यम माना गया है।

लेकिन शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की तीनों रिक्त तिथियाँ अशुभ होती हैं। ये रिक्ता तिथियाँ  हैं- चतुर्थी, नवमी एवं  चतुर्दशी। इन तीनों तिथियों में गृह निर्माण सम्बन्धी कोई भी कदापि कार्य शुरू नहीं करने चाहिए ।

इसके अतिरिक्त प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी गृह निर्माण सम्बन्धी कोई भी कार्य शुरू नहीं करना चाहिए अन्यथा इसके अशुभ परिणाम भोगने पड़ सकते है ।

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* भवन सम्बन्धी कार्यों की शुरुआत के लिए यदि शुभ नक्षत्र का चयन किया जाय तो यह बहुत ही उत्तम साबित होता है । किसी भी शुभ माह के रोहिणी, पुष्य, अश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, स्वाति, हस्तचित्रा, रेवती, शतभिषा, धनिष्ठा सर्वाधिक पवित्र और सभी प्रकार से लाभप्रद नक्षत्र माने जाते हैं।


गृह निर्माण अथवा किसी भी तरह के शुभ कार्य की शुरुआत इन नक्षत्रों में करना बहुत हितकर होता है। बाकी अन्य सभी नक्षत्र मध्यम श्रेणी में माने जाते हैं। 

* हमारे शास्त्रानुसार (स) अथवा (श) वर्ण से शुरू होने वाले सात अति शुभ लक्षणों में गृह सम्बन्धी कार्यों की शुरुआत करने से ना केवल धन-संपत्ति, ऐश्वर्य, निरोगिता और सद्बुद्धि की ही प्राप्ति होती है वरन घर के सदस्यों में प्रेम एवं आपसी भाईचारा भी हमेशा बना रहता है ।

* सात शुभ लक्षणों का योग है, सावन माह, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि, शनिवार का दिन, शुभ योग, सिंह लग्न में स्वाति नक्षत्र । इस योग में गृह निर्माण सर्वोत्तम माना गया है।

इसमें या भी संभव है कि सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि में शनिवार ना हो  या उस दिन उपरोक्त नक्षत्र ना हो फिर भी इसमें जितने भी योग मिल जाये वह बहुत ही लाभकारी है ।  

* किसी भी निर्माण में शिलान्यास सर्वप्रथम अग्नेय दिशा में करना चाहिए फिर उसके बाद प्रदिक्षणा करने के क्रम से निर्माण करना चाहिए अर्थात अग्नेय दिशा के बाद दक्षिण, नैत्रत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर , ईशान और अंत में पूर्व की तरफ निर्माण को समाप्त करना चाहिए ।

* यह अवश्य ही ध्यान रहे कि कभी भी निर्माण की समाप्ति दक्षिण दिशा में नहीं होनी चाहिए अन्यथा भवन स्वामी की स्त्री , पुत्र को गंभीर रोग / अकाल मृत्यु के साथ साथ धन की हानि भी हो सकती है ।

अतः  इससे स्पष्ट है कि गृह निर्माण सम्बन्धी किसी भी कार्य के शुभारंभ में शुभ मुहूर्त पर विचार करके हम अपने घर को निश्चय ही सपनो का घर बना सकते है ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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